AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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ग्वालियर. भारत में मेला संस्कृति का इतिहास बहुत पुराना है। मेले का नाम सुनकर जहन में झूले और खिलौने आने लगते हैं। देश भर के गांव और शहरों में तीज-त्योहार के मौके पर मेले लगते हैं। इनमें पशु मेले से लेकर ट्रेड फेयर शामिल हैं। देश ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे बड़े मेले की बात की जाए तो ग्वालियर के व्यापार मेले में जहां फ्रिज, एसी समेत कारों और अन्य महंगे प्रोडक्ट्स पर तगड़ा डिस्काउंट मिलता है। देश के इस व्यापारिक मेले में ऑफर और डिस्काउंट के चलते देश भर के लोग यहां खरीदारी करने पहुुचते हैं। लेकिन इस बार यह दुकान आवंटन को लेकर विवादों में है, इसका कारण है 2004 से पूर्व के लोगों को दुकान आवंटित करने में प्राथमिकता इससे बाद के 850 दुकानदार बाहर हो गए हैं।
ग्वालियर के व्यापार मेले क120 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है। परंपरा और आधुनिकता के संगम वाले इस व्यापार मेले की शुरूआत पशु मेले के रूप में हुई थी। तत्कालीन शासक माधौराव सिंधिया ने 1905 में इसका शुभारंभ किया था। सागरताल में जब मेले ने साकार रूप लिया, तब शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि पशु मेले के रूप में शुरू हुआ यह मेला करोड़ों का कारोबार करने वाला देश का सबसे आर्थिक और मजबूत मेला बन जाएगा। मेले के ऑटोमोबाइल सेक्टर में मिलने वाली रोड टैक्स की 50 फीसदी छूट के चलते गत मेले में 3,327 करोड़ से अधिक का कारोबार कर चुका ये मेला देश के मेलों का शहंशाह बन चुका है।
इस मेले के कारोबार की अगर बात करें तो 1937 में इसका टर्नओवर लगभग 5-6 लाख रुपए था। 1984-85 में जहां मेले में करों की छूट मिलने के बाद टर्नओवर 84 लाख 86 हजार 730 रुपए था वहीं 1990-91 में यह बढकऱ 70 करोड़ 36 लाख रुपए हो गया। 1984 में व्यापार मेले का दर्जा मिलने पर इलेक्ट्रॉनिक और ऑटोमोबाइल सेक्टर इसका प्रमुख आकर्षण बन गए। इस आकर्षण के पीछे इन सेक्टरों में मेले में दी जाने वाली पचास फीसदी विक्रय कर की छूट थी। इसके चलते उस समय सभी बड़ी कंपनियां मेले में भागीदारी करती थीं। 1998 में मेले का कारोबार 350 करोड़ और सैलानियों की संख्या 40 लाख तक जा पहुंची थी। वहीं 2018 में मेले के ऑटोमोबाइल सेक्टर में रोड टैक्स में 50 फीसदी छूट मिलने के बाद इसका टर्नओवर 500 करोड़ के पार हो गया था।
उज्जैन में विक्रम उत्सव के तहत विक्रम व्यापार मेले का आयोजन दो साल पूर्व प्रारंभ किया गया है। पिछले साल 64 दिन तक चले इस मेले में वाहनोंं की बिक्री से करीब 3,500 करोड़ का कारोबार हुआ था।
दिल्ली के प्रगति मैदान में इंटरनेशनल फेयर हर साल लगा करता है। इस ट्रेड फेयर में 2023 में 1,500 करोड़ का कारोबार हुआ था।
भारत कुंभ मेला भी लगता है, जो हर चार साल में चार अलग-अलग शहरों इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। धार्मिक महत्व से भरपूर इस मेले में करोड़ों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। इस मेले में प्रत्येक वर्ष लगभग 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है।
ठाणे मेला महाराष्ट्र के प्रमुख मेलों में से एक है, जो खासतौर पर कला, संस्कृति और खानपान के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर साल 300 करोड़ रुपए का कारोबार होता है, जिसमें हस्तशिल्प, लोक कला, संगीत व नृत्य का प्रदर्शन, और खानपान की बिक्री होती है।
इस बार ग्वालियर व्यापार मेला 25 दिसंबर से 25 फरवरी तक लगाया जाना है। इसके लिए तैयारियां काफी पहले से प्रारंभ कर दी गई हैं। ऑाटोमोबाइल सेक्टर में वाहनों पर रोड टैक्स पर मिलने वाली 50 फीसदी छूट के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है। उम्मीद है कि इस बार का व्यापार मेला भी आर्थिक रूप से काफी उन्नति करेगा।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
03 Nov 2025 05:53 pm
Published on:
03 Nov 2025 05:52 pm


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