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पांचवां विकल्प चयन नहीं: प्राध्यापक एवं कोच (स्कूल शिक्षा) भर्ती में 2911 अभ्यर्थी अपात्र, 11 विषयों के पद रहेंगे खाली

राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा माध्यमिक शिक्षा विभाग में आयोजित प्राध्यापक एवं कोच (स्कूल शिक्षा) भर्ती–2024 में गंभीर विसंगतियां सामने आई हैं।

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फाइल फोटो पत्रिका

मधुसूदन शर्मा

राजसमंद. राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा माध्यमिक शिक्षा विभाग में आयोजित प्राध्यापक एवं कोच (स्कूल शिक्षा) भर्ती–2024 में गंभीर विसंगतियां सामने आई हैं। आयोग द्वारा 24 विषयों के कुल 2202 पदों के लिए निकाली गई इस भर्ती में पांचवां विकल्प चयन नहीं करने के कारण 2911 अभ्यर्थियों को अपात्र घोषित कर दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि ये सभी अभ्यर्थी स्नातकोत्तर उत्तीर्ण हैं, इसके बावजूद परीक्षा के एक सामान्य नियम का पालन नहीं कर सके। वहीं, 24 विषयों में से 11 विषयों में विज्ञापित पदों से भी कम अभ्यर्थी पात्र पाए गए, जिससे भर्ती में बैकलॉग बढ़ने की पूरी संभावना है।

जून–जुलाई में हुई परीक्षा, अगस्त से परिणाम जारी

आयोग द्वारा इस भर्ती की परीक्षाएं जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई के प्रारंभ में आयोजित की गई थीं। विभिन्न विषयों के परिणाम 20 अगस्त से जारी किए जाने लगे। अब तक लगभग सभी विषयों के परिणाम जारी हो चुके हैं, केवल शारीरिक शिक्षा विषय का परिणाम शेष है। परिणाम आने के बाद यह भर्ती बेरोजगार युवाओं के बीच चर्चा का बड़ा विषय बन गई है। विश्लेषण में सामने आया कि राजनीति विज्ञान सहित 11 विषयों में लेक्चरर के सभी पद नहीं भरे जा सकेंगे। केवल फिजिक्स, भूगोल और गणित सहित 10 विषय ऐसे हैं, जिनमें पद भरे जाने की संभावना है, हालांकि इनमें भी दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया अभी बाकी है।

राजनीति विज्ञान का परिणाम बना चर्चा का केंद्र

इस भर्ती का पहला परिणाम अंग्रेजी विषय का जारी किया गया था। 23 सितंबर को जब राजनीति विज्ञान का परिणाम आया, तब यह भर्ती सबसे अधिक चर्चा में आ गई। राजनीति विज्ञान में 225 स्कूल लेक्चरर की भर्ती होनी थी, लेकिन आयोग को केवल 6 अभ्यर्थी ही पात्र मिले।

पांचवां विकल्प नहीं भरने पर 2911 अभ्यर्थी अपात्र

आयोग के अनुसार, परीक्षा में 10 प्रतिशत से अधिक प्रश्नों में पांच विकल्पों में से कोई भी विकल्प नहीं भरने के कारण 2911 अभ्यर्थियों को अयोग्य घोषित किया गया। इनमें हिंदी विषय में सबसे अधिक अभ्यर्थी अपात्र हुए।

विषयवार स्थिति (विज्ञापित पद – पात्र – अपात्र)

क्रम सं.विषयविज्ञापित पदपात्रअपात्र
1हिंदी350928740
2अंग्रेजी325701183
3संस्कृत64130137
4राजस्थानी784
5पंजाबी1177
6उर्दू262325
7इतिहास90279294
8राजनीति विज्ञान2256386
9भूगोल210589391
10अर्थशास्त्र354429
11समाजशास्त्र161034
12गृह विज्ञान16217
13रसायन शास्त्र3610999
14भौतिक शास्त्र14729869
15गणित153397116
16जीवविज्ञान67193136
17वाणिज्य340284168
18चित्रकला6872
19संगीत614
20कोच (कुश्ती)100
21कोच (खो-खो)100
22कोच (हॉकी)100
23कोच (फुटबॉल)340
24शारीरिक शिक्षा37परिणाम घोषित नहीं

इन कारणों से बिगड़ा परिणाम

  • पाठ्यक्रम से स्तर व अंक भार हटाया जाना
  • शिक्षा बोर्ड की पुस्तकों से प्रश्न पत्र निर्माण नहीं होना
  • मुख्य विषयवस्तु की बजाय गौण विषयवस्तु से प्रश्न
  • आंकड़ों पर आधारित प्रश्नों की अधिकता
  • तत्वों को तोड़-मरोड़ कर प्रश्न निर्माण
  • सामान्य ज्ञान के प्रश्न पत्र में गणित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कठिन प्रश्न

कई श्रेणियों में कटऑफ में लिखना पड़ा ‘NA’

आयोग द्वारा जारी परिणामों में 24 में से 11 विषयों में तय पदों से कम अभ्यर्थी पात्र पाए गए। परिणाम के साथ विभिन्न श्रेणियों की कटऑफ भी जारी की गई, लेकिन 20 से अधिक केटेगरी में कई विषयों के सामने आयोग को ‘NA’ लिखना पड़ा।

न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक भी नहीं ला पाए

  • प्रथम प्रश्न पत्र: 150 अंक (सामान्य ज्ञान)
  • द्वितीय प्रश्न पत्र: 300 अंक (विषय विशेष)
  • सभी प्रश्न बहुविकल्पीय
  • प्रत्येक गलत उत्तर पर 1/3 अंक की नेगेटिव मार्किंग
  • प्रत्येक प्रश्न पत्र में न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक अनिवार्य
  • एससी/एसटी को 5 प्रतिशत छूट
  • भूतपूर्व सैनिक व विशेष योग्यजन को नियमों अनुसार छूट

माइनस अंकों पर चयन के दिन गए

पूर्व में आरपीएससी की परीक्षाओं में न्यूनतम अर्हक अंक का प्रावधान नहीं था। ऐसे में कई बार शून्य या माइनस अंक लाने वाले अभ्यर्थी भी आरक्षित श्रेणी में चयनित हो जाते थे, लेकिन अब यह व्यवस्था समाप्त हो चुकी है।

सरकार पर पड़ा आर्थिक भार

  • वन टाइम रजिस्ट्रेशन शुल्क
  • सामान्य वर्ग: 510 रुपये
  • आरक्षित वर्ग: 410 रुपये
  • रोडवेज बसों में निशुल्क यात्रा
  • प्रश्न पत्र छपाई, बैठक व्यवस्था, वीक्षक, परिवहन, अधिकारियों का मानदेय,
  • ओएमआर मूल्यांकन, परिणाम तैयार करने सहित लाखों रुपये का खर्च

स्कूल-कॉलेजों में पास, प्रतियोगी परीक्षा में फेल

पिछले कुछ वर्षों में स्कूल, बोर्ड और कॉलेज परीक्षाओं के मूल्यांकन स्तर में भारी गिरावट आई है। नई पीढ़ी पढ़ाई की बजाय रील बनाने और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने में व्यस्त है। डिक्टेशन अंकों के सहारे पास होने वाले विद्यार्थी जब प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठते हैं, तो उन्हें वास्तविक स्थिति का सामना करना पड़ता है।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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