AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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राजसमंद. शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के घरों में इन दिनों एक राहत भरी चर्चा है। वजह साफ है, अब महंगी व्यावसायिक पढ़ाई बच्चों के सपनों के आड़े नहीं आएगी। शिक्षा विभाग ने अपने कर्मियों के बच्चों के लिए हितकारी निधि के तहत आर्थिक सहायता का रास्ता खोल दिया है, जिससे तकनीकी, चिकित्सा और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को सीधी मदद मिल सकेगी।
अक्सर देखा जाता है कि इंजीनियरिंग, मेडिकल या प्रबंधन जैसे कोर्स की फीस सामान्य परिवारों के बजट पर भारी पड़ जाती है। शिक्षा विभाग की यह पहल इसी चिंता को कम करने की कोशिश है। उद्देश्य साफ है—कोई भी योग्य छात्र सिर्फ पैसों की कमी के कारण अपनी पढ़ाई अधूरी न छोड़े।
यह योजना शिक्षा विभाग के प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा में कार्यरत सभी श्रेणियों के कर्मचारियों पर लागू होगी, लेकिन लाभ केवल उनके बच्चों को दिया जाएगा। यानी शिक्षक हों या अन्य कर्मचारी—उनके बच्चे इस सहायता के हकदार होंगे, बशर्ते वे व्यावसायिक शिक्षा में अध्ययनरत हों।किन पाठ्यक्रमों के लिए मिलेगी सहायतायोजना के तहत चार वर्षीय इंजीनियरिंग स्नातक पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को सहायता दी जाएगी। इनमें शामिल हैं:
पेट्रोलियम इंजीनियरिंग सहित अन्य तकनीकी विषयइसके साथ ही मेडिकल (एलोपैथी), होम्योपैथी, आयुर्वेद, फार्मेसी और पशु चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी इसका लाभ मिलेगा। डिप्लोमा, बी-फार्मा और स्नातकोत्तर प्रबंधन पाठ्यक्रमों के लिए भी निर्धारित अवधि के अनुसार सहायता दी जाएगी।
शिक्षा सत्र 2025-26 के लिए देय इस सहायता राशि का उपयोग केवल ट्यूशन फीस, पुस्तकालय और प्रयोगशाला शुल्क के भुगतान में किया जा सकेगा। अधिकतम सहायता राशि 10 हजार रुपये निर्धारित की गई है। इसके लिए संबंधित महाविद्यालय के प्रधानाचार्य का प्रमाण-पत्र जमा कराना अनिवार्य होगा। एक शैक्षणिक सत्र में एक ही बच्चे के लिए एक आवेदन मान्य रहेगा।
इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ उठाने के लिए 31 जनवरी तक आवेदन करना जरूरी है। समय पर आवेदन कर शिक्षा विभाग के कर्मी अपने बच्चों के भविष्य को एक मजबूत आधार दे सकते हैं।
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Published on:
18 Dec 2025 11:39 am


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