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Shani ki dasha: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शनि देव हनुमान जी के भक्त हैं, इसलिए हनुमान जी की पूजा करने वाले व्यक्ति पर सूर्य पुत्र शनि देव की कृपा रहती है। जबकि जो भक्त इस धार्मिक पुस्तक का पाठ करते हैं उनको हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए रामचरित मानस के पांचवे अध्याय का पाठ करने से शनि देव भी प्रसन्न रहते हैं और भक्त को आशीर्वाद देकर उसके जीवन की बाधाएं दूर करते हैं और उसकी मनोकामना पूरी करते हैं।
इस धार्मिक ग्रंथ की खासियत यह भी है कि यह लोगों को निराशा से बाहर निकालती है और मुश्किल समय में लोगों को सहारा देकर आत्मबल बढ़ाती है। भक्त के जीवन में सकारात्मकता लाती है। जयपुर के ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास से आइये जानते हैं सुंदरकांड पाठ से क्या क्या लाभ होते हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार शनिदेव हनुमानजी के भक्तों को परेशान नहीं करते हैं। हनुमान जी की पूजा शनिदेव की दशा के दुष्प्रभाव को कम करने के उपायों में से एक है।
यदि आप शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करते हैं तो बजरंगबली तो प्रसन्न होंगे ही, शनिदेव भी आपको शुभ फल देंगे। सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं, उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती।
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार मान्यताओं के अनुसार सुंदरकांड गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस के सात अध्यायों में से पांचवा अध्याय है। मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त की मनोकामना जल्दी पूरी होती है। रामचरित मानस के सभी अध्याय भगवान की भक्ति के लिए हैं, लेकिन सुंदरकांड का महत्व अधिक बताया गया है।
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motivational book: डॉ. अनीष व्यास के अनुसार सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती। यह भी माना जाता है कि जब भक्त का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन में कोई काम ना बन रहा हो तो सुंदरकांड का पाठ करने से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं।
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार सुंदरकांड के महत्व को मनोवैज्ञानिकों ने भी बहुत खास माना है। शास्त्रीय मान्यताओं में ही नहीं, विज्ञान ने भी सुंदरकांड के पाठ के महत्व को समझाया है।
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों की राय में सुंदरकांड का पाठ भक्त के आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को बढ़ाता है। इस पाठ की एक-एक पंक्ति और उससे जुड़ा अर्थ भक्त को जीवन में कभी ना हार मानने की सीख प्रदान करता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार किसी बड़ी परीक्षा में सफल होना हो तो परीक्षा से पहले सुंदरकांड का पाठ अवश्य करना चाहिए।
Shani ki dasha ke Upay: ज्योतिषाचार्य व्यास के अनुसार शनिदेव स्वयं हनुमानजी के भक्त हैं। ऐसा माना जाता है कि जिन जातकों पर शनि की ढैय्या फिर साढ़ेसाती चल रही हो, वे अगर रोजाना सुंदरकांड का पाठ करें तो शनि की महादशा का दुष्प्रभाव कम होता है। शनि बिना कुछ बुरा किए इस पूरी महादशा की अवधि को गुजार देते हैं।
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Updated on:
14 Dec 2024 12:26 pm
Published on:
14 Dec 2024 12:06 pm


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