AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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सवाईमाधोपुर। रणथंभौर को बाघों की सुरक्षित शरणस्थली माना जाता है, लेकिन इसकी फलौदी और खंडार रेंज अब शिकारियों की गतिविधियों का गढ़ बनती जा रही हैं। बीते पांच वर्षों में 88 वन्यजीवों का शिकार हो चुका है, जिनमें से कई मामले अदालतों में विचाराधीन हैं।
वन विभाग की कार्रवाई के बावजूद शिकार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। यहां के 49 मामलों में विभागीय स्तर पर जांच चल रही है। हाल ही में रणथंभौर खंडार रेंज में वन विभाग की टीम ने एक शिकारी को वन्यजीव का शिकार करते हुए रंगे हाथों पकड़ा। पूर्व में फलौदी रेंज में दो मादा चीतलों को भी शिकारियों ने निशाना बनाया था।

-अप्रेल 2018 को आवण्ड वन क्षेत्र में बाघिन 79 के दो शावकों का हुआ था शिकार।
-फरवरी 2020 में भैरोपुरा वन क्षेत्र से दो चीतलों का किया था शिकार।
-मई 2020 में खंडार रेंज से जंगली जानवर का मांस पकाते हुए वन विभाग ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया।
-मार्च 2021 में खंडार रेंज में जंगली सूअर का शिकार का मामला आया था सामने।
-मई 2025 को रणथंभौर की बालेर रेंज में वन्यजीव प्रेमियों ने शिकारी को पकड़ा।
-जुलाई 2025 में मध्यप्रदेश से भी दबोचे थे शिकारी, रणथंभौर से शिकार होने की जताई थी आशंका।
खंडार क्षेत्रफल के लिहाज से रणथंभौर की दूसरी सबसे बड़ी रेंज है, लेकिन इसके बाद भी यहां पर्यटन नहीं होता है। साथ ही स्टॉफ की कमी होने के कारण नियमित गश्त में समस्या आ रही है। इसके कारण भी अवैध गतिविधियां व शिकारियों की पदचाप थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
29 Oct 2025 08:06 am


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