AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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शिवपुरी. जिले में अप्रेल माह में ही इतनी तेजी से वाटर लेबल घट रहा है कि प्रशासन ने अभी से अच्छे जल स्त्रोतों पर नजर रखने के आदेश जारी कर दिए, जबकि पहले ऐसे हालात जून माह में बना करते थे। मंगलवार को कलेक्टर ने सभी एसडीएम को बैठक में निर्देश दिए कि अपने क्षेत्र में अच्छे वाटर लेबल वाले जलस्त्रोतों पर नजर रखें, ताकि हालात बिगडऩे पर उन्हें अधिग्रहित कर जलसंकट से निपटा जा सके। शिवपुरी जिले में बीते वर्ष औसत से कम बारिश होने की वजह से जल संसाधन विभाग के 97 फीसदी ताल-तलैया खाली रह गए थे। जो थोड़ा बहुत पानी उनमें रह गया था, वह भी मार्च माह के आखिरी दिनों पड़ी भीषण गर्मी में सूख गया।
कलेक्टर ने दिए सभी एसडीएम को निर्देश
शिवपुरी जिले की औसत सामान्य बारिश 816.3 मिमी से कम बारिश बीते वर्ष हुई थी, जिसके चलते जल संसाधन विभाग का केवल पोहरी का पचीपुरा तालाब को छोडक़र शेष कोई भी तालाब फुल नहीं हो पाया। जिसके चलते जल संसाधन विभाग के सभी 79 तालाब पहले से ही खाली होने तथा गर्मी में उनका पानी तेजी से सूख जाने के कारण, उनके आसपास का वाटर लेबल भी तेजी से नीचे सरकने लगा। यही वजह है कि कलेक्टर रङ्क्षवद्र कुमार चौधरी ने सभी एसडीएम को निर्देश दिए है ंकि जिन क्षेत्रों में जल स्त्रोत अच्छे हैं, उन्हें अधिग्रहित करने के लिए चिह्नित कर लें।
निजी जल स्रोतों पर होगा प्रशासन का अधिकार
जलस्त्रोतों के अधिग्रहण की प्रक्रिया यूं तो हर साल होती है, लेकिन ऐसी नौबत जून माह के मध्य में आया करती थी। इस बार मार्च माह में ही तापमान 41 डिग्री तक पहुंच गया तथा अप्रेल माह के शुरुआती दिनों में ही गर्मी असहनीय हो गई। जिसके चलते कलेक्टर ने अप्रेल माह में ही जलस्त्रोतों को अधिग्रहित करने की तैयारी के निर्देश दिए। जिन जल स्त्रोतों में पर्याप्त पानी होगा, उसे प्रशासन अपने कब्जे में लेकर उसका पानी टैंकरों आदि से भरकर आमजन तक पहुंचाया जाएगा। इसके एवज में प्रशासन कुछ राशि जलस्त्रोत के मालिक को उपलब्ध कराएगा।
जल संरचनाओं की स्थिति भी नाजुक
शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया, भिण्ड में ङ्क्षसचाई के लिए पानी देने एवं शिवपुरी शहर को पेयजल उपलब्ध कराने वाले मड़ीखेड़ा डैम की हालत इस बार खराब है। बीते वर्ष शिवपुरी में तो औसत से कम बारिश हुई ही थी, साथ ही ङ्क्षसध के कैचमेंट एरिया में बारिश न होने से मड़ीखेड़ा डैम न तो फुल हो पाया और न ही उसके गेट खोले गए। वहीं चांदपाठा झील भी पूरी नहीं भर पाई थी, जिसके चलते घसारही पर स्थित पंप से फिल्टर प्लांट को पानी देना नेशनल पार्क प्रबंधन बंद कर देगा। शहर का जाधव सागर तालाब पहले से ही सूख चुका है।
विकासखंडवार वाटर लेवल की यह है स्थिति
जिले के सभी विकासखंडों का औसत भूजल स्तर मार्च से पहले तक 25.15 मीटर तथा, जो अब 28.97 मीटर तक नीचे पहुंच गया। यानि जिले का वाटर लेबल 3.82 मीटर नीचे पहुंच गया, जो अब भीषण गर्मी में और भी तेजी से नीचे पहुंच रहा है। वहीं शिवपुरी जिले की सबसे बड़ी करैरा तहसील में वाटर लेवल पिछले साल की तुलना में 4 मीटर से अधिक नीचे उतर गया। जिले में विकासखंडबार वाटर लेबल की स्थिति:
विकासखंड गर्मी से पहले वर्तमान स्थिति
शिवपुरी 23.70 मीटर 27.80 मीटर
पोहरी 24.50 मीटर 29.00 मीटर
्रकोलारस 25.00 मीटर 28.00 मीटर
बदरवास 25.00 मीटर 27.50 मीटर
करैरा 24.00 मीटर 28.50 मीटर
नरवर 24.00 मीटर 27.50 मीटर
पिछोर 27.00 मीटर 31.50 मीटर
खनियांधाना 28.00 मीटर 32.00 मीटर
और बिगड़ेंगे हालात
बीते वर्ष औसत से कम बारिश व कृषि में भू-जल लेबल तेजी से नीचे खिसक रहा है। बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष 4.50 मीटर अधिक वाटर लेबल नीचे पहुंच गया है। गर्मी ऐसी ही पड़ती रही तो भविष्य में गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा।
सतीश पंचरत्न, इंजीनियर पीएचई
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Published on:
11 Apr 2024 12:01 am


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