AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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सीकर. मौसम के बदलते ही जिले में चर्म रोगों का प्रकोप तेजी से बढ़ने लगा है। सर्दी का असर बढ़ने से जिला अस्पताल की चर्म रोग ओपीडी में मरीजों की संया पिछले दिनों की तुलना में करीब 20 प्रतिशत बढ़ गई है। इनमें सबसे ज्यादा मामले चिकन पॉक्स (वैरिसेला) और हर्पीज जोस्टर, (सिंगल्स), हर्पीज सिपलेक्स के सामने आ रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार मौसम में आ रही नमी और ठंडी-गर्म हवाओं के चलते वायरस सक्रिय हो जाते हैं। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में यह संक्रमण जल्दी पकड़ लेता है और एक से दूसरे तक फैलने का खतरा भी अधिक रहता है। इस कारण युवा और बुजुर्गों सहित प्रत्येक उम्र के मरीजों में यह संक्रमण बढ़ा है। संक्रमण के कारण मरीजों में चिकन पॉक्स के दाने और हर्पीज के कारण लाल दाने, फफोले, जलन या दर्द जैसे लक्षण दर्दनाक छाले जैसे लक्षण नजर आ रहे है।
चिकित्सकों के अनुसार चिकनपॉक्स (वारिसेला) संक्रमण होने पर मरीज में हल्का बुखार, कमजोर, चेहरे, पीठ, पेट पर लाल दाने बन जाते हैं। कुछ समय बाद ये दाने फफोले का रूप ले लेते हैं। इनमें तेज खुजली होती है। हर्पीज (सिंगल्स) में शरीर के किसी एक हिस्से में जलन, झनझनाहट, तेज दर्द, पट्टी की तरह लाल दाने और पानी भरे छाले होते हैं। इन छालों के सूखने तक जलन और तेज दर्द के साथ बुखार और बदन टूटने जैसे लक्षण नजर आते हैं।
चर्म रोग तेजी से फैलता है। ऐसे में संक्रमण की चपेट में आए मरीज से बच्चे व बुजुर्ग दूरी रखे। मरीज अपनी स्वच्छता का पूरा ध्यान रखे, किसी चीज को छूने के बाद हाथ धोएं। मरीज के तौलिए, कपड़े, रजाई-तकिए अलग रखें। शरीर को हाइड्रेट रखते हुए पौष्टिक खाना खाएं, पूरी नींद लें। शरीर पर बने दानों को न छुएं। तेज बुखार, छाले बढ़ने, तेज दर्द होने हो तो फौरन चिकित्सक को दिखाएं। चिकित्सक के बताए अनुसार परहेज रखें तथा दवाएं नियमित रूप से लें।
मौसम परिवर्तन के कारण अस्पताल की ओपीडी में रोजाना चिकन पॉक्स, हर्पीज जोस्टर के मरीज आ रहे हैं। इसकी रोकथाम के लिए सावधानी रखना जरूरी है। हल्की खाज-खुजली या शरीर पर दाने दिखने पर लापरवाही न करें। शुरुआती उपचार से बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है और संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
डॉ. जितेंद्र भूरिया, चर्म रोग विशेषज्ञ
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Published on:
27 Nov 2025 11:36 am


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