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EXPOSE: जमादार को बाबू बनाने के लिए पहले डिमोशन किया, विवाद बढ़ा तो वापस ले लिया आदेश

सीकर. जिला शिक्षा विभाग में एक जमादार को नाजायज लाभ देने के लिए नियमों को ताक पर रखने का गंभीर मामला सामने आया है।

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जमादार की पदावनति की।
जमादार की पदावनति की।


सीकर. जिला शिक्षा विभाग में एक जमादार को नाजायज लाभ देने के लिए नियमों को ताक पर रखने का गंभीर मामला सामने आया है। डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी प्रा.) सुरेंद्र सिंह शेखावत ने समग्र शिक्षा कार्यालय में नियुक्त जमादार शैलेंद्र कुमार पारीक की पदोन्नति को दो साल बाद प्रत्याहारित कर दिया। जो सेवा नियमों के खिलाफ होने के साथ जमादार को अनुचित लाभ देने के लिए किया गया। क्योंकि पदोन्नति के बाद जमादार 12वीं कक्षा पास कर चुका है। ऐसे में चतुर्थश्रेणी पद पर पदावनति से वह भविष्य में उस एलडीसी पद पर पदोन्नत होता, जहां वह जमादार रहते नहीं पहुंच पाता। हालांकि विवाद गहराया तो डीईओ ने मंगलवार को आदेश को फिर वापस ले लिया। पर पूरे मामले में उनकी कार्य प्रणाली सवालों व संदेहों से घिर गई है।

दो साल से कार्यरत, पद संभालते ही पदावनत


शैलेंद्र कुमार दो साल पहले तक डाइट में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद पर नियुक्त था। 18 अगस्त 2023 को पदोन्नति के बाद उसका पदस्थापन समसा, कार्यालय में हुआ। तब से वह वहीं कार्यरत था। इसी दौरान उसने दूरस्थ शिक्षा से 12वीं पास कर ली। पिछले महीने प्रारंभिक शिक्षा में डीईओ पद पर सुरेंद्र सिंह नागौर से स्थानांतरित होकर जिले में आए तो माध्यमिक जिला शिक्षा अधिकारी का पद खाली होने पर उसका कार्यभार भी उन्हें ही मिला। उसी पद के नाते उन्होंने 2 जुलाई को शैलेंद्र को पदावनत कर वापस डाइट भेजने के आदेश कर दिए।

पारिवारिक कारणों का दिया हवाला

खास बात ये है कि पदावनति के आदेश में शिक्षा अधिकारी ने कोई स्पष्ट कारण भी नहीं लिखा। प़त्र में उसके पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए समसा एडीपीसी की अनुशंसा पर उसके पद परित्याग करने का जिक्र किया गया।

विवाद बढ़ा तो बैक डेट में आदेश रद्द


शैलेंद्र की पदावनति के साथ ही मामला शिक्षा विभाग से लेकर शिक्षक संगठनों तक में चर्चा में आ गया। सूत्रों की मानें तो मामला शिक्षा निदेशालय तक पहुंचा तो वहां से फटकार पड़ने के बाद आखिरकार 13 दिन बाद मंगलवार को ये आदेश वापस लिया गया। इसमें भी खास बात ये रही कि आदेश वापसी का पत्र आॅफलाइन जारी किया गया है, जिस पर 4 जुलाई की बैक डेट अंकित की गई है।

पदोन्नति लेने के बाद नियम नहीं, उठे सवाल

सरकार के सेवा नियमों में पदोन्नति स्वीकार करने के बाद पदावनति का कोई नियम ही नहीं है। शिक्षा निदेशालय अपने कई आदेशों में इसका साफ जिक्र भी कर चुका है। फिर भी जमादार की पदोन्नति के दो साल बाद पदावनति ने बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। चर्चा ये भी है कि नियम विरुद्ध कार्यवाही राजनीतिक दबाव में की गई थी।

इनका कहना है:—


जमादार की पदावनति के मामले का पता करवाया था। नियम विरुद्ध होने की वजह से आदेश तुरंत ही वापस लेने की जानकारी मिली है। बैक डेट में आदेश करने की जानकारी नहीं है।
बजरंगलाल स्वामी, संयुक्त निदेशक, चुरू मंडल।

नोट: इस मामले में डीईओ प्रा. सुरेंद्रसिंह शेखावत का पक्ष जानने के लिए 6 बार संपर्क का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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