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अमरिका से खींच लाया गांव व परंपरा का प्रेम, अब युवाओं को निशुल्क कोर्स करवाकर विदेशों में दिलाएंगे नौकरी

माटी में ममता व पीढ़ियों की परंपरा में पूर्वजों का प्रेम बसा होता है। खूड़ी निवासी करणविजय सिंह शेखावत इन्हीं दोनों के मेल से अपने अनूठे सपनों को साकार कर रहे हैं।

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घोड़ों व स्टाफ के साथ करण विजय सिंह
घोड़ों व स्टाफ के साथ करण विजय सिंह


सीकर. माटी में ममता व पीढ़ियों की परंपरा में पूर्वजों का प्रेम बसा होता है। खूड़ी निवासी करणविजय सिंह शेखावत इन्हीं दोनों के मेल से अपने अनूठे सपनों को साकार कर रहे हैं। भारतीय सेना की 61वीं कैवलरी से सेवानिवृत उनके दादा लेफ्टिनेंट कर्नल गोविंदसिंह शेखावत ने कभी गांव में घोड़ा पालन शुरू किया था, उसी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने पहले तो अमरिका में स्टड फार्म मैनेजमेंट का कोर्स किया और फिर सात देशों में सेवाएं देने के बाद उस परंपरा को अपनी माटी में ही निभाने के लिए वे फिर खूड़ी लौट आए। 2021 से अपने उन्हीं पर दादा के नाम से गोविंद बाग फार्म शुरू कर वे राष्ट्रीय— अंर्तराष्ट्रीय रेस में दौड़ने वाले थरोब्रेड घोड़ों का पालन कर रहे हैं। प्रदेश के युवाओं के लिए कुछ कर गुजरने की चाह में अब उन्होंने एक एकेडमी का संचालन करना तय किया है। जिसमें विदेशों में बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए वे युवाओं को घोड़ा पालन का निशुल्क कोर्स करवाकर उनकी प्लेसमेंट में भी मदद करेंगे।

200 बीघा के फार्म में 50 लाख तक के घोड़े

खूड़ी में करण विजय करीब 200 बीघा जमीन में केवल इंग्लैंड की थरोब्रेड प्रजाति के घोड़ों का ही पालन कर रहे हैं। रेस में दौड़ने वाले इन घोड़ों की कीमत 8 से 50 लाख तक है। ये 55 से 57 सैकंड में 100 मीटर की रेस पूरी करने में सक्षम होते हैं। अस्तबल में फिलहाल 27 घोड़े- घोड़ियां हैं, जिनकी देखभाल के लिए 16 कर्मचारी कर रहे हैं। उनके फार्म से 50 लाख में बिका एक घोड़ा आरआर रुइया गोल्ड कप सहित कई प्रतियोगिताएं जीत चुका है।

तीन पीढ़ियों परंपरा के लिए सात देशों का भ्रमण

करण विजय घोड़ा पालन की तीन पीढ़ी की परंपरा निभा रहे हैं। दादा गोविंद सिंह के गोविंद स्टड फार्म के बाद पिता ब्रह्मदेवसिंह व भाई कर्नल भोपालसिंह और दिग्विजय सिंह शेखावत ने भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया। अब वे खुद इस परंपरा को निभा रहे हैं। इसके लिए अजमेर मेयो कॉलेज से स्नातक के बाद उन्होंने अमरिका में स्टड मैनेजमेंट का कोर्स कर केंटकी, आयरलैंड, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया, नैनोली स्टड फार्म, पुणे सहित सात देशों में कार्य का अनुभव बढ़ाया और फिर अपनी माटी के लगाव से वापस खूड़ी खिंचे चले आए। परिवार जयपुर रहने पर भी वे महीने में करीब 25 दिन फार्म को ही समय देते हैं।

नंदी पहुंचाता है घोड़ों को घास, मुर्गे व बकरी भी साथ

करण विजय पशु प्रेम की भी नजीर हैं। रास्ते में मिलने वाले पशुओं को लाकर वे उन्हें भी घोड़ों के परिवार का हिस्सा बना लेते हैं। अब भी उनके फार्म पर एक-एक नंदी, श्वान, बकरी और मुर्गे पल रहे हैं। खास बात है कि क्रूर माना जाने वाला नंदी भी यहां गाड़ी में जुतकर घोड़ों तक घास पहुंचाने में काम कर रहा है।

अब निशुल्क कोर्स के साथ युवाओं को दिलवाएंगे नौकरी

गोविंद बाग में अब निशुल्क एकेडमी शुरू होगी। बकौल करण विजय विदेशों में होर्स ट्रेनर की बढ़ती मांग तथा कोर्स व विदेश भेजने के नाम पर हो रही ठगी को देखते हुए उन्होंने प्रदेश के युवाओं को निशुल्क कोर्स करवाकर अपने स्तर पर ही देश— विदेश में प्लेसमेंट करवाना तय किया है। एकेडमी की शुरुआत अगस्त— सितंबर माह में प्रस्तावित है। जिसमें 18 से 30 वर्ष के युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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