AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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प्रभाकर मिश्रा@जबलपुर. प्रकाश से जगमग दिवाली की अमावस रात में रतजगा कर गुप्त साधना होगी। बाजनामठ, चौंसठयोगिनी मंदिर समेत कई जगह साधक तंत्र व मंत्रों का जागरण करेंगे। वैदिक जानकारों के अनुसार दिवाली की रात को माता लक्ष्मी सभी पर कृपा बरसाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की रात देवी लक्ष्मी स्वर्ग से सीधे पृथ्वी पर आती हैं। इस दौरान रतजगा तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए अनुकूल होता है।
24 और 25 को पड़ रही है अमावस्या तिथि
शास्त्रों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात मैया लक्ष्मी मठ, मंदिर, सिद्ध स्थलों से लेकर घरों में आती हैं। जिन घरों में साफ-सफाई, रोशनी और विधि-विधान से देवी-देवताओं का पूजन होता है, वहां मैया का वास रहता है। इस बार अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों दिन है। हालांकि, 25 अक्टूबर को अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल पहले ही समाप्त हो जा रहा है। 24 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या तिथि मौजूद रहेगी। इसी दिन निशित काल में भी अमावस्या रहेगी।
सूर्य इस दिन सबसे कमजोर
ज्योतिषविदों के अनुसार अमावस्या की रात अंधेरे की ऊर्जाएं सबसे मजबूत होती हैं, यह वह दिन होता है जब सूर्य अपनी सबसे कमजोर स्थिति में होता है। चंद्रमा अपने शक्तिशाली पावक के बिना होता है। प्राचीन ग्रंथों और ऋषि मुनियों की कथाओं के अनुसार दीपावाली के दिन अमावस्या तिथि के दौरान साधना करने से किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर किया जा सकता है।
दीपावली की रात तंत्र-म्तं्र साधना और सिद्धि के लिए सबसे अनुकूल समय है, इस अवसर पर साधक घरों से लेकर सिद्ध स्थलों में साधना करते हैं। बाजनामठ और चौसठ योगिनी मठ समेत कई और स्थल तंत्र-मंत्र साधना के प्रमुख केन्द्र हैं जहां साधना की जाती है।
जनार्दन शुक्ला, ज्योतिषाचार्य
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Published on:
18 Oct 2022 12:52 pm


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