Patrika Logo
Switch to English
होम

होम

वीडियो

वीडियो

प्लस

प्लस

ई-पेपर

ई-पेपर

प्रोफाइल

प्रोफाइल

तब हमले की आशंका में बॉर्डर के गांव खाली, शहर में ब्लैकआउट

- विजय दिवस आज: पाक से 1965 व 1971 के दोनों युद्धों के साक्षी बोहड़ सिंह ने साझा किए संस्मरण

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

पूरी खबर सुनें
  • 170 से अधिक देशों पर नई टैरिफ दरें लागू
  • चीन पर सर्वाधिक 34% टैरिफ
  • भारत पर 27% पार्सलट्रिक टैरिफ
पूरी खबर सुनें

श्रीगंगानगर. अन्तरराष्ट्रीय बॉर्डर से सटे मिर्जेवाला गांव निवासी 81 वर्षीय बोहड़ सिंह आज भी युद्ध के उन दिनों को याद कर सिहर उठते हैं। उनका कहना है कि युद्ध की आशंका मात्र से पूरा इलाका वीरान हो जाता था। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने वर्ष 1965 और वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्धों के दौरान बॉर्डर एरिया में देखे हालात और अपनी जिम्मेदारियों के अनुभव साझा किए। बोहड़ सिंह ने बताया कि वे वर्ष 1965 में पुलिस सेवा में भर्ती हुए थे। युद्ध की घोषणा होते ही उन्हें अन्य साथियों के साथ अनूपगढ़ बॉर्डर क्षेत्र में तैनात किया गया। वहां ग्रामीण इलाकों में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी थी, ताकि कोई भी व्यक्ति दुश्मन देश को सेना की मूवमेंट की सूचना न दे सके। उन्होंने बताया कि 1965 के युद्ध में जिले में खतरा सीमित रहा, लेकिन 1971 में हालात पूरी तरह बदल गए। वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान पहली बार जिले के बॉर्डर क्षेत्रों में माइंस बिछाई गईं। हिन्दुमलकोट और नग्गी बॉर्डर को अति संवेदनशील घोषित कर सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया। उस समय बोहड़ सिंह पुलिस अधीक्षक कार्यालय में तैनात थे। पूरे जिले में पुलिस को कानून व्यवस्था संभालने के साथ-साथ संदिग्धों पर कड़ी निगरानी के निर्देश थे। उन्हें सेना के लिए अंडरकवर एजेंट के रूप में भी काम करना पड़ा, जिसे उन्होंने पूरी निष्ठा से निभाया।
तब पलायन को मजबूर हो गए ग्रामीण

इस बुजुर्ग के अनुसार 1971 में पाक सेना के हमले की आशंका के चलते हिन्दुमलकोट से मिर्जेवाला तक ग्रामीण क्षेत्र लगभग खाली हो गए थे। अधिकांश परिवारों ने अपने बच्चों और महिलाओं को रिश्तेदारों के यहां भेज दिया, जबकि एक सदस्य घर की देखरेख के लिए रुकता था। सांझ ढलते ही पूरा इलाका ब्लैकआउट में डूब जाता था। यही हाल श्रीगंगानगर शहर का भी था, जहां हवाई हमले की आशंका के चलते घरों के बाहर बंकर खोदकर रहने की वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। उस समय युद्ध से जुड़ी हर खबर सुनने का एकमात्र माध्यम रेडियो ही था। बोहड़ सिंह ने बताया कि लगातार ड्यूटी और तनाव के बीच वे एलर्जी रोग का शिकार हो गए। चिकित्सकों की सलाह पर उन्होंने समय पर भोजन और विश्राम को प्राथमिकता दी। आखिरकार वर्ष 1974 में नौ साल की सेवा के बाद उन्होंने पुलिस नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। वे कहते हैं कि सेहत से बड़ा कुछ नहीं, लेकिन देश के लिए उस दौर में निभाई गई जिम्मेदारियों पर उन्हें आज भी गर्व है।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

अभी चर्चा में
(35 कमेंट्स)

अभी चर्चा में (35 कमेंट्स)

User Avatar

आपकी राय

आपकी राय

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?


ट्रेंडिंग वीडियो

टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

User Avatar