Patrika Logo
Switch to English
होम

होम

वीडियो

वीडियो

प्लस

प्लस

ई-पेपर

ई-पेपर

प्रोफाइल

प्रोफाइल

द्वारकाधीश मंदिर, भगवान कृष्ण को समर्पित है, यह मन्दिर उत्तरप्रदेश के कानपुर में कमला टावर के पास स्थित है। द्वारकाधीश का शाब्दिक अर्थ है 'द्वारका का राजा' और यह हिंदू भगवान कृष्ण को संदर्भित करता है। जुलाई और अगस्त के बीच श्रवण माह के दौरान, झूला या स्विंग त्योहार यहां बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है।   त्यौहार के दौरान, भगवान कृष्ण की मूर्ति नए कपड़े, फूल और गहने के साथ लिपटी हुई है। राधा की मूर्ति, जो भगवान कृष्ण के साथियों में से एक थी। उत्सव के दौरान स्विंग पर अपनी मूर्ति के साथ रखी गई थी। त्योहार के समापन दिवस पर, प्रसाद या मिठाई भक्तों को वितरित की जाती है।   भगवान् कृष्ण और उनकी सहचरी राधा के साथ यह त्योहार मनाने से अधिक अच्छा विकल्प नहीं हो सकता। वे दोनों भगवानों को रंगीन कपडे पहनाते हैं और उन्हें झूले में रखकर झूले से बंधी हुई पतली रस्सी से उन्हें झुलाते हैं। अनुष्ठान करते हुए वे खुशी के गीत गाते हैं।   कानपुर का द्वारकाधीश मंदिर अपने झूले के लिए प्रसिद्ध है जहां भक्त अत्यंत उत्साह के साथ देव युगल को झूला झुलाया जाता है।  

द्वारिकाधीश मंदिर में बदले नियम, भक्त अब नहीं चढ़ा पाएंगे प्रसाद!

मथुरा

Dwarkadhish Temple

वृंदावन आने वाले भक्त ध्यान दें! बुजुर्ग और बच्चों के लिए एडवाइजरी, ऐसे होंगे बांके बिहारी के दर्शन, जानिए  

मथुरा

Play video

मथुरा


पांच शुभयोगों में किया जाएगा श्रीहरि का पूजन

बारां

आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि जगत के नाथ भगवान विष्णु व मुख्यत: उनके वामन अवतार को समर्पित होती है। इस दिन योगिनी एकादशी मनाई जाती है। इस बार यह पांच शुभयोगों के संयोग में 2 जुलाई को मनाई जाएगी। वैष्णव समाज के लोग व्रत रख विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण की पूजा करेंगे। शुभ कार्यों में सिद्धि पाने के लिए विशेष उपाय भी करेंगे। भगवान विष्णु, श्रीराम व श्रीकृष्ण मंदिरों में विशेष पूजन होंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार एकादशी तिथि 01 जुलाई को सुबह 10.26 बजे शुरू होगी। 02 जुलाई को सुबह 08.42 बजे समाप्त होगी। इसलिए उदयातिथि अनुसार 2 जुलाई को एकादशी मनाई जाएगी। ज्योतिर्विदों ने बताया कि योगिनी एकादशी पर शिववास योग का निर्माण भी होगा। इस दिन भगवान शिव सुबह 08.42 बजे तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद नंदी पर सवार रहेंगे। भगवान शिव के कैलाश और नंदी पर विराजमान रहने के दौरान रुद्राभिषेक करने से साधक को सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्ति होती है।

बारां