AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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अतुल पोरवाल
उज्जैन.
नारियों को यूं ही नहीं नारी शक्ति कहा जाता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण शासकीय जालसेवा सीएम राइज स्कूल की दो शिक्षिकाएं हैं, जो अपने दुध मुंहे बच्चों को गोदी लेकर अपना दायित्व निभा रही हैं। दरअसल घर में कोई बच्चों को संभालने वाला नहीं है और बच्चों की फीडिंग भी जरूरी है। चाहे तो दोनों शिक्षिकाएं दो साल की सीसीएल(चाइल्ड केयर लीव) ले सकती थी, जो नियमानुसार मिलती भी है, लेकिन अपने दायित्व की खातिर दोनों ने इसका उपयोग नहीं किया। एक शिक्षिका बिंदिया शर्मा की सात माह तो दूसरी नम्रता राठौर की ९ माह की बच्ची है, जिन्हें गोदी में उठाकर बच्चों को पढ़ा रही हैं।
नम्रता का कहना है कि पति कृषि उपजमंडी में दुकान चलाते हैं, जबकि घर पर कोई बच्चे की देखभाल करने वाला नहीं है। वे हाई स्कूल के बच्चों को पढ़ाती हैं। एक और शिक्षिका बिंदिया की भी इसी तरह की परेशानी है कि बच्चे को घर पर और कोई नहीं होने से उसे नहीं छोड़ सकती हैं। इसी के चलते वह भी अपनी ७ माह की बिटिया को गोदी उठाकर हायरसेकेंडरी क्लास के बच्चों को पढ़ाती हैं। दोनों शिक्षिकाओं ने बताया कि स्कूल के प्राचार्य व स्टाफ काफी मददगार है, जो खाली पीरियड में उनके बच्चों की देखभाल करते हैं। स्कूली छात्रा अदिति सिकरवार ने बताया कि हम लोगों के लिए मैडम एक इंस्पीरेशन है, जो छोटे बच्चों को साथ लेकर हमारी भी चिंता करती हैं।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
21 Nov 2022 12:01 pm


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