AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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MP News: यदि मन में ऊंचाइयों को छूने का संकल्प हो और शासन की नीतियों का सहयोग मिल जाए, तो सफलता की राह आसान हो जाती है। इसका जीवंत उदाहरण है उद्योगपति अरविंद सिंह चौहान, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों से निकलकर आत्मनिर्भरता और उद्यमिता की मिसाल कायम की है। मूल रूप से इंदौर निवासी अरविंद सिंह चौहान कभी एक फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में कार्य करते थे।
उस समय उन्हें मात्र 1500 रुपए मासिक वेतन मिलता था, लेकिन सीमित साधनों के बीच उन्होंने बड़े सपने देखना नहीं छोड़ा। नौकरी के दौरान ही उनके मन में उद्योग स्थापित करने की इच्छा जागी। उन्होंने तकनीकी ज्ञान अर्जित किया, बाजार की समझ विकसित की और आत्म विश्वास के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया।
सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी छोड़कर उन्होंने लेबर सप्लाई का कार्य शुरू किया, जिससे कुछ पूंजी जुटाई। शेष राशि बैंक ऋण के माध्यम से प्राप्त कर उज्जैन से कुछ किलोमीटर दूर ग्राम मताना खुर्द में साढ़े तीन बीघा भूमि पर डिस्टिनट वेल्टेक प्राइवेट लिमिटेड नाम से फैक्ट्री की स्थापना की। शासन की सहयोगी नीतियों ने उनके इस सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। करीब 10 से 12 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित यह फैक्ट्री वेल्डिंग कार्य में उपयोग होने वाले इलेक्ट्रोड का निर्माण कर रही है।
वर्तमान में फैक्ट्री की उत्पादन क्षमता 50 मैट्रिक टन है, जबकि इसकी कुल क्षमता 500 मैट्रिक टन तक है। अरविंद सिंह चौहान का लक्ष्य निकट भविष्य में पूर्ण क्षमता से उत्पादन शुरू करने का है, जिससे क्षेत्र में और अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे। आज अरविंद सिंह चौहान न केवल एक सफल उद्योगपति हैं, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी है। उनकी सफलता की कहानी यह संदेश देती है कि परिश्रम, आत्मविश्वास और सही मार्गदर्शन से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
24 Dec 2025 03:42 pm


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