AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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Unnao rape case: उन्नाव दुष्कर्म मामले में हाईकोर्ट से पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सशर्त जमानत मिलने के बाद एक बार फिर धरना प्रदर्शन शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर भी बहस का दौर जारी है। लोग कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ मीडिया ट्रायल के रूप में भी देख रहे हैं। इन सब के बीच कुलदीप सिंह सेंगर की पुत्री ने 'एक्स' पर पत्र शेयर किया है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि पिछले 8 साल से वह और उनका परिवार चुपचाप सब्र से इंतजार कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर हम सब कुछ सही तरीके से करेंगे तो सच अपने आप सामने आ जाएगा। हमें कानून और संविधान पर भरोसा है। हमने भरोसा किया कि इस देश में न्याय शोर, हैशटैग या जनता के गुस्से पर निर्भर नहीं करता है। लेकिन अब उनका विश्वास टूट रहा है।
उत्तर प्रदेश के उन्नाव की रहने वाली पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पुत्री ने लिखा, "उनके शब्द सुने जाने से पहले ही उनकी पहचान एक लेवल तक सीमित कर दी जाती है। उन्हें एक भाजपा विधायक की बेटी कहा जाता है, जो मेरी इंसानियत को खत्म कर देता है। जैसे इसी वजह से मैं निष्पक्षता, सम्मान और बोलने के अधिकार की हकदार नहीं हूं।"
जिनसे मेरी मुलाकात नहीं हुई, उन्होंने उन्होंने मेरी जिंदगी की कीमत तय किया
जिन लोगों ने मुझसे कभी मुलाकात नहीं की, कभी कोई दस्तावेज नहीं पढ़ा, कोई कोर्ट रिकॉर्ड नहीं देखा, उन्होंने तय कर लिया कि मेरी जिंदगी की कोई कीमत नहीं है। सोशल मीडिया पर अनगिनत बार कहा गया कि मुझे सिर्फ जिंदा रहने के लिए रेप किया जाना चाहिए, मार दिया जाना चाहिए, सजा दी जानी चाहिए। यह नफरत काल्पनिक नहीं बल्कि रोज की बात है। इतने सारे लोग मानते हैं कि आप जीने के लायक भी नहीं हैं तो आपके अंदर कुछ तोड़ देता है।
उन्होंने आगे लिखा कि हमने चुप्पी इसलिए नहीं चुनी क्योंकि हम ताकतवर थे। हमने अपने संस्थानों पर भरोसा किया, इसलिए विरोध प्रदर्शन और टेलीविजन डिबेट में चिल्लाया नहीं। हमारा मानना था कि सच को तमाशे की जरूरत नहीं है। हमें चुप्पी की कीमत चुकानी पड़ी। हमसे हमारी गरिमा को धीरे-धीरे छीन लिया गया। पिछले 8 सालों से हर दिन गाली दी गई, मजाक उड़ाया गया, अमानवीय जैसा व्यवहार किया गया।
हम आर्थिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से थक चुके हैं। हम एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस भागते रहे, चिट्ठी लिखते रहे, फोन करते रहे, अपनी बात सुने जाने की मांग करते रहे। ऐसा कोई दरवाजा नहीं जहां हमने दस्तक ना दी हो, ऐसा कोई अधिकारी नहीं जिससे हमने संपर्क ना किया हो, ऐसा कोई मीडिया हाउस नहीं जिसको हमने ना लिखा हो।
इसलिए नहीं कि तथ्य कमजोर थे, सबूतों की कमी थी, बल्कि इसलिए कि हमारा सच आसुविधाजनक था। लोग हमें ताकतवर कहते हैं। उन्होंने सवाल किया कि यह किस तरह की ताकत है जो एक परिवार को 8 सालों तक बेजुबान रखती है। यह कैसी ताकत है जिसका मतलब है कि रोज आपका नाम कीचड़ में घसीटा जाए और आप चुपचाप बैठे रहें, एक ऐसी सिस्टम पर भरोसा करते हुए जो आपकी मौजूदगी को मानने के लिए तैयार नहीं है।
उन्होंने लिखा कि आज मुझे सिर्फ अन्याय से ही नहीं बल्कि डर से डर लगता है। ऐसी परिस्थितियाँ पैदा की गई हैं कि आज जज, पत्रकार, संस्थाएँ, आम नागरिक सभी चुप हैं, हमारे साथ खड़े होने की कोई हिम्मत नहीं कर रहा है, कोई हमारी बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं है। कोई यह कहने की हिम्मत नहीं करता है कि चलो तथ्यों को देखते हैं।
यदि 'दबाव और लोगों का उन्माद' सबूतों और सही प्रक्रिया पर हावी होने लगे, तो आम नागरिक के पास सच में क्या सुरक्षा है? अंत में उन्होंने लिखा, "मैंने यह चिट्ठी किसी को धमकी देने के लिए नहीं लिखी है और ना ही मैं सहानुभूति पाने के लिए लिख रही हूं। मैं यह इसलिए लिख रही हूं कि मैं बहुत डरी हूं, क्योंकि मुझे अभी विश्वास है कि कोई कहीं उनकी बातों को सुनेगा। हम एहसान नहीं, सुरक्षा नहीं, हम न्याय मांग रहे हैं। भले ही वह लोकप्रिय ना हो, मैं एक बेटी हूं जिसे अभी इस देश पर विश्वास है। मुझे इस विश्वास पर पछतावा न करवाए, एक बेटी जो अभी न्याय के इंतजार कर रही है। सबूतों की जांच बिना किसी दबाव में होने दें।"
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
29 Dec 2025 06:36 pm


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