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अहमदाबाद

पांच वर्षों में 223 लोग जो दुनिया छोड़ने से पहले दे गए 717 चेहरों पर मुस्कान

पांच वर्षों में 223 लोग जो दुनिया छोड़ने से पहले दे गए 717 चेहरों पर मुस्कान

Ahmedabad: एशिया के सबसे बड़े अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में पिछले पांच वर्षों में 223 लोग दुनिया को छोड़ने से पहले 717 मरीजों को नया जीवन दे गए। इनमें से 72 मरीजों की धड़कन हृदय ट्रांसप्लांट के बाद पुनः सामान्य रूप से लौट आई, जबकि 410 मरीजों को डायलिसिस की पीड़ा से मुक्ति मिली है। इन दाताओं की वजह से अनेक को रोशनी भी मिली है।

सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राकेश जोशी ने बताया कि उपचार लेने के दौरान वर्ष 2025 में ही 106 मरीजों को ब्रेन डेड घोषित किया गया, जिनमें से परिजनों की सहमति से 48 मरीजों के अंगदान हुए। हर अंगदान के पीछे दाता परिवार की महानता और मानवता का अद्भुत उदाहरण छिपा है। दुःख की घड़ी में भी उन्होंने किसी अनजान को जीवन की भेंट दी।उनके अनुसार वर्ष 2020 से अब तक 223 ब्रेनडेड मरीज अंगदाताओं से 739 अंग और 192 ऊतक दान में मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 410 किडनी और 197 लिवर दान में मिले हैं। 72 हृदय, 34 फेफड़े, 18 पैंक्रियाज़, 2 हाथ और 2 आंत भी दान में मिले। इसके अलावा 162 आंखें और 30 त्वचा भी दान में मिली हैं।

ब्रेनडेड मरीज अंगदाता में राजस्थान दूसरे स्थान पर

डॉ. जोशी ने बताया कि भौगोलिक दृष्टि से देखें तो सिविल अस्पताल में इस अवधि में गुजरात से सबसे अधिक 196 ब्रेन डेड दाताओं के अंग दान में मिले हैं। इस सूची में राजस्थान और मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर हैं। सिविल अस्पताल में उपचार के लिए लाए गए मरीजों में से राजस्थान व मध्य प्रदेश से 9-9 ब्रेन डेड मरीजों के अंगों का दान किया गया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश से 5, बिहार से 3 और नेपाल से 1 दानदाता शामिल है। इनमें पुरुष दाताओं की संख्या 173 और महिलाएं 50 हैं।

45 से 60 वर्ष के सबसे अधिक दाता

सिविल अस्पताल में हुए अंगदान में सबसे अधिक 85 दाता 45 से 60 वर्ष के बीच के हैं। 26 से 40 वर्ष के 59 दाता हैं, जबकि 13 से 25 वर्ष के 41, 61 से 70 वर्ष के बीच के 12 और 70 वर्ष से अधिक आयु के 6 अंगदाता हैं।

अमरकक्ष बना प्रेरणा स्थल

सिविल अस्पताल में निर्मित अमरकक्ष अंगदान कार्यक्रम का भावनात्मक केंद्र बना है। इस कक्ष में अंगदाताओं की स्मृति को संजोया गया है और उनके परिवारों को सम्मानित किया जाता है। यह कक्ष समाज को यह संदेश देता है कि मृत्यु के बाद भी जीवन बांटा जा सकता है।