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भीलवाड़ा

भीलवाड़ा में चायनीज मांझे पर पुलिस का ​शिकंजा, छह पतंगबाज गिरफ्तार

भीलवाड़ा शहर में चायनीज मांझा के खिलाफ सुभाषनगर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की। चायनीज मांझा की खरीद फरोख्त के आरोप में पुलिस ने छह जनों को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से भारी मात्रा में चकरी से लिपटा चाइनीज मांझा भी बरामद किया गया।

भीलवाड़ा शहर में चायनीज मांझा के खिलाफ सुभाषनगर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की। चायनीज मांझा की खरीद फरोख्त के आरोप में पुलिस ने छह जनों को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से भारी मात्रा में चकरी से लिपटा चाइनीज मांझा भी बरामद किया गया।

सुभाषनगर थाना प्रभारी कैलाश कुमार विश्नोई ने बताया कि शहर में पंतग बाजी के शौकीन कुछ लोग प्रतिबंधित चायनीज मांझा से पतंग उड़ा रहे हैं। यह लोग ऑनलाइन मांझा मंगवाने और उसकी बिक्री करने में भी लिप्त है। इसकी खरीद फरोख्त कई स्थानों पर होेने की जानकारी सामने आई। इसी को लेकर रविवार को विभिन्न हिस्सों में कार्रवाई हुई। यहां तीन जने बेचते, दो जने खरीदते व और दो जने चायनीज मांझा के धागे से पतंग उड़ाते मिले। उन्होंने बताया कि शहर में चायनीज मांझा के बनाने की संभावना को भी तलाशने के लिए जिला पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह यादव ने निर्देशित किया है।

धागों से लिपटी चकरियां बरामद

छह जनों को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार किया। पुलिस ने कार्रवाई के दौरान चायनीज मांझा युक्त 54 चकरी बड़ी, 54 चकरी हलकी, 22 चकरी मोनो एवं 74 चकरी छोटी वाली बरामद की। इसी प्रकार एक हाथ से मांझा भरने वाली मशीन जब्त की।

यह हुए गिरफ्तार

पुलिस कार्रवाई के दौरान मजिस्ट्रेट कॉलोनी के पीछे कुंवाडा खान निवासी मदनलाल खटीक, कन्हैयालाल खटीक , नेमीचंद उर्फ नवीन खटीक एवं अनीश मोहम्मद पठान को गिरफ्तार किया। इसी प्रकार प्रियदर्शनी नगर निवासी राजकुमार खटीक व मारुति नगर निवासी गुलाम हुसैन जुलाहा को गिरफ्तार किया।

खूनी डोर से खतरे में इंसान और परिंदे, रहे सावधान

जानकार बताते है कि पतंगबाजी का शौक मासूम पक्षियों और राहगीरों के लिए ‘जानलेवा’ साबित हो रहा है। बाजार में धड़ल्ले से बिक रहा चाइनीज मांझा (प्लास्टिक या नायलॉन की डोर) शहर की हवाओं में मौत का जाल बुन सकता है।

पक्षियों पर कहर

यह मांझा कांच के बुरादे और धातुओं के मिश्रण से बना होता है, जो आसानी से नहीं टूटता। उड़ते हुए पक्षी जब इसकी चपेट में आते हैं, तो उनके पंख और गर्दन कट जाते हैं। पेड़-पौधों में फंसा यह मांझा महीनों तक पक्षियों के लिए ‘डेथट्रैप’ बना रहता है, जिससे सैकड़ों बेजुबान दम तोड़ देते हैं।

इंसानी जान को खतरा

सड़क पर दुपहिया वाहन चालकों के लिए यह अदृश्य तलवार जैसा है। पिछले कुछ समय में गले और चेहरे पर गहरे घाव लगने से कई लोगों की जान जा चुकी है। यह मांझा बिजली का सुचालक भी होता है, जिससे बिजली की लाइनों के संपर्क में आने पर करंट लगने का भारी जोखिम रहता है।

रहना होगा सावधान

पर्यावरण विदों ने कहा कि हालांकि इस पर प्रतिबंध है, लेकिन इसकी अवैध बिक्री जारी है। पर्यावरण और जीवन की सुरक्षा के लिए सूती धागे (सद्दी) का ही उपयोग करें। आपकी थोड़ी सी सावधानी किसी की जान बचा सकती है।