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भीलवाड़ा की दुर्गा श​क्ति कविता छीपा, आत्मरक्षा से लिख रही महिला सश​क्तिकरण की नई गाथा

टेक्सटाइल सिटी में नारी शक्ति को आत्मरक्षा के लिए मजबूत करने का बीड़ा उठाकर 'दुर्गाशक्ति' की अखाड़ा प्रमुख कविता छीपा एक अनूठा और सराहनीय कार्य कर रही हैं। यह सिर्फ एक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि हर महिला को उसके भीतर की 'दुर्गा' को जगाने का एक महाभियान है। पढि़ए राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ रिपोर्टर नरेन्द्र वर्मा की खास रिपोर्ट।

भीलवाड़ा । टेक्सटाइल सिटी में नारी शक्ति को आत्मरक्षा के लिए मजबूत करने का बीड़ा उठाकर ‘दुर्गाशक्ति’ की अखाड़ा प्रमुख कविता छीपा एक अनूठा और सराहनीय कार्य कर रही हैं। यह सिर्फ एक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि हर महिला को उसके भीतर की ‘दुर्गा’ को जगाने का एक महाभियान है। पढि़ए राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ रिपोर्टर नरेन्द्र वर्मा की खास रिपोर्ट।

आजादनगर निवासी कविता छीपा (45), जिनका मार्गदर्शन और जुनून इस पहल की रीढ़ है, अपने अखाड़ों में पांच साल की बालिकाओं से लेकर उम्रदराज महिलाओं तक को नि:शुल्क जुडो-कराटे, दंड और तलवारबाजी का प्रशिक्षण दे रही हैं। उनका उद्देश्य स्पष्ट है: हर महिला को इतना सक्षम बनाना कि वह न केवल अपनी बल्कि दूसरों की भी रक्षा कर सके। दस हजार से ज्यादा आधी दुनिया को वह आत्मरक्षा के गुर सीखा चुकी है।

सरकारी मदद नहीं, अपने बूते निडर और मजबूत बना रही

इस नेक कार्य के लिए कविता खुद अपने सीमित संसाधनों से व्यवस्थाएं जुटा रही हैं। यह उनके त्याग और बलिदान को दर्शाता है कि वह बिना किसी सरकारी मदद के व्यक्तिगत स्तर पर समाज की इस मूलभूत आवश्यकता को पूरा कर रही हैं। इस पुनीत कार्य में देवकिशन माली का सहयोग उन्हें निरंतर संबल प्रदान कर रहा है। यह प्रशिक्षण महिलाओं को केवल शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत और निडर बना रहा है। आत्मरक्षा की यह कला उन्हें समाज के आवारा तत्वों, समाजकंटकों व मजनूओं द्वारा किए जाने वाले उत्पीड़न, छेड़छाड़ और अन्याय से लड़ने की ताकत दे रही है। अब भीलवाड़ा की महिलाएं ‘अबला’ नहीं, बल्कि ‘सबल’ बनकर हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। कविता का यह प्रयास नारी सशक्तिकरण की एक जीती-जागती मिसाल है, जो हर महिला को यह संदेश देती है कि अपनी रक्षा के लिए किसी और पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है; आपकी सबसे बड़ी शक्ति आपके भीतर ही है।

वर्ष-2016 में सात बालिकाओं से शुरुआत

वह बताती है कि दुर्गा शक्ति अखाड़े ने वर्ष-2016 में सात बालिकाओं के साथ शुरूआत की। वर्ष-2019 में दुर्गा शक्ति से जुड़ी और भीलवाड़़ा संजय कॉलोनी क्षेत्र में आत्म सुरक्षा की नई इबारत बनाई। इसके बाद यह अभियान छह साल में वटवृक्ष बन चुका है। शहर के कई हिस्सों में अखाड़े संचालित हो रहे है और कुल दस हजार से अधिक बालिका, छात्रा व महिलाएं आत्मरक्षा के गुर सीख चुकी है। यह महाभियान अब गांवों में भी शुरू हुआ है। वह बताती है हाल ही में कुछ घटनाओं में बहनों ने बहादुरी दिखाई और समाजकंटकों को कड़ा सबक भी सिखाया। उनका मानना है कि अब जमाना बदल गया है और नारी शक्ति अपनी ताकत पहचानने लगी है।