AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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ब्रिटेन की इंडी यूनिवर्सिटी के ग्लेशियर विशेषज्ञ डॉ.साइमन कुक ने अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के दल के साथ ग्लेशियर से संबंधित 120 सालों के आंकड़ों का अध्ययन कर दुनिया भर में 609 घटनाओं की पहचान की है, जिनमें ग्लेशियर झीलें फटने से बाढ़ आई। इसमें हिमालय को लेकर भी काफी कुछ कहा गया है। अक्टूबर 2023 में सिक्किम में तीस्ता घाटी में आई बाढ़ के कारणों का भी इसमें जिक्र है। जिसमें 55 लोगों की मृत्यु हो गई थी।
पहले विश्व भर में साल 1900 से 2020 के बीच ग्लेशियर झीलें फटने की 400 घटनाएं ही दर्ज थी,लेकिन सेटेलाइट तस्वीरों और पुराने रिकार्ड का अध्ययन किया गया तो यह संख्या 609 निकली। इसका सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन से है। डॉ.कुक के अनुसार 1900 से 1970 के बीच घटनाएं ज्यादा नहीं होती थीं,लेकिन 1970 के बाद से ग्लेशियर झील फटने के कारण बाढ़ की घटनाएं तेजी से बढ़ीं। 2011 से 2020 के बीच इन घटनाओं में तीन गुना बढ़ोतरी हो गई।
इस अध्ययन के अनुसार हिमालय के साथ दक्षिण अमरीका के ट्रॉपिकल एंडीज में भी ग्लेशियरों के पिघलने के कारण उनका आकार घट रहा है। इस दौरान ग्लेशियर कम होने से जो पानी जमा होता है वह बहने की बजाय झील का रूप ले लेता है। इन झीलों का पानी पत्थरों और रेत की बेहद कमजोर अस्थिर दीवारें रोकती हैं। 70 फीसदी मामलों में यह झीलें तब टूटती हैं जब ग्लेशियर से कोई बड़ा बर्फ का टुकड़ा या पत्थर टूट कर इनमें गिरता है।
रिपोर्ट के अनुसार तेजी से पिघलते ग्लेशियरों क कारण पहाड़ी ढलानों पर जो झीलें बन रहीं हैं वह बेहद अस्थिर हैं। 1980 के बाद इससे आने वाली बाढ़ की घटनाएं बढ़ी हैं। 1981 से 1990 के बीच हर साल औसतन पांच ऐसी घटनाएं होती थीं। जोकि 2011 से 2020 के बीच बढ़ कर 15 घटनाएं प्रति साल हो गईं।
इस अध्ययन के अनुसार 120 वर्षों में ग्लेशियर झीलें टूटने के कारण आई बाढ़ में 13 हजार लोगों की मृत्यु हुई है। सबसे ज्यादा नुकसान हिमालय और दक्षिण अमरीका के ट्रॉपिकल एंडीज में हुआ है।
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Updated on:
29 Dec 2025 05:31 am
Published on:
29 Dec 2025 05:29 am


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