AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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Tarique Rahman Homecoming: बांग्लादेश की राजनीति में एक ऐसे तूफान की आहट सुनाई दे रही है, जो पूरे दक्षिण एशिया के समीकरण बदल सकता है। इस देश की राजनीति के 'क्राउन प्रिंस' माने जाने वाले तारिक रहमान की 17 साल बाद वतन वापसी होने जा रही है। वे पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के सर्वेसर्वा हैं। उनके लौटने की खबर मात्र से ढाका की सड़कों पर हलचल बढ़ गई है और अंतरिम सरकार ने उनके स्वागत के लिए ढाका में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए हैं। खबरों की मानें तो ढाका हवाई अड्डे से लेकर उनके आवास तक लाखों की भीड़ जुटने की संभावना है। सवाल यह है कि क्या तारिक रहमान उतरते ही गिरफ्तारी देंगे या अंतरिम सरकार उन्हें 'सेफ पैसेज' देगी।
लौटने की तारीख: 25 दिसंबर, 2025 (क्रिसमस के दिन)
समय: दोपहर लगभग 11:45 AM से 11:55 AM के बीच।
कहां से आ रहे हैं: वे लंदन (यूके) से लौट रहे हैं।
कैसे आ रहे हैं: वे विमान बांग्लादेश एयरलाइंस की एक नियमित कमर्शियल फ्लाइट से लंदन से ढाका (वाया सिलहट) पहुंचेंगे।
स्वागत कार्यक्रम: ढाका के '300 फीट रोड' (पूर्वांचल क्षेत्र) में एक विशाल जनसभा और स्वागत समारोह आयोजित किया गया है, जहां वे जनता को संबोधित करेंगे।
जाने की तारीख: तारिक रहमान सितंबर 2008 में बांग्लादेश छोड़ कर लंदन चले गए थे।
कारण: उन्हें 2007 में तत्कालीन सैन्य समर्थित अंतरिम सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। हिरासत के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ने और चिकित्सा आधार पर जमानत मिलने के बाद वे इलाज के लिए लंदन गए थे।
VVIP सुरक्षा: ढाका में 'डबल-लेयर' सुरक्षा घेरा तैयार किया गया है। एयरपोर्ट से लेकर उनके गुलशन स्थित आवास तक हजारों पुलिसकर्मी और पार्टी वॉलंटियर्स तैनात रहेंगे।
हवाई अड्डे पर पाबंदी: सुरक्षा कारणों से 24 दिसंबर शाम 6 बजे से 25 दिसंबर शाम 6 बजे तक हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आगंतुकों के प्रवेश और ड्रोन उड़ाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
स्पेशल ट्रेनें: कार्यकर्ताओं को ढाका लाने के लिए बांग्लादेश रेलवे ने 20 विशेष ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है।
तारिक रहमान की यह वापसी 12 फरवरी 2026 को होने वाले आम चुनावों से ठीक पहले हो रही है, जिसे उनकी पार्टी (BNP) सत्ता में वापसी के 'मास्टर कार्ड' के रूप में देख रही है।
डॉ. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के लिए तारिक रहमान की वापसी एक दोहरी चुनौती है। एक ओर सरकार पर लोकतंत्र बहाल करने का दबाव है, तो दूसरी ओर कानून-व्यवस्था बनाए रखना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। यूनुस प्रशासन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि तारिक की वापसी राजनीतिक नफरत का जरिया न बने। सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती तारिक के खिलाफ पुराने अदालती मामलों और उनके समर्थकों के जोश के बीच संतुलन बनाना है।
खालिदा जिया की पार्टी (BNP) के लिए तारिक रहमान सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि जीत की उम्मीद हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि शेख हसीना के जाने के बाद जो राजनीतिक शून्यता आई है, उसे केवल तारिक ही भर सकते हैं। उनके लौटने से पार्टी का संगठनात्मक ढांचा मजबूत होगा और आगामी चुनावों में वे एक आक्रामक चेहरा बनकर उभरेंगे।
भारत में रह रहीं शेख हसीना और उनके समर्थकों के लिए यह खबर किसी बुरे सपने से कम नहीं है। अवामी लीग के शासनकाल में तारिक रहमान को 'भ्रष्टाचार का चेहरा' और 'ग्रेनेड हमले' का मास्टरमाइंड बताकर घेरा गया था। अब सत्ता पलटने के बाद, तारिक की वापसी अवामी लीग के बचे-खुचे अस्तित्व को पूरी तरह मिटाने की कोशिश मानी जा रही है।
बांग्लादेश फिलहाल हिंसा के दौर से गुजर रहा है। देश में 'मॉब लिंचिंग' और अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं ने वैश्विक चिंता पैदा की है। जानकारों का मानना है कि तारिक रहमान के आने के बाद अगर उनके समर्थकों ने प्रतिशोध की राजनीति शुरू की, तो देश में नागरिक युद्ध जैसी स्थिति बन सकती है। सड़कों पर उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करना सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
तारिक रहमान की वापसी का सबसे बड़ा असर आगामी आम चुनावों पर पड़ेगा। वे किंगमेकर ही नहीं, बल्कि खुद किंग बनने की रेस में सबसे आगे होंगे। उनके आने से चुनाव प्रचार का तरीका बदल जाएगा और पूरा मुकाबला 'प्रो-इस्लामिक' बनाम 'धर्मनिरपेक्ष' ताकतों के बीच सिमट सकता है।
नई दिल्ली के लिए तारिक रहमान की वापसी एक कूटनीतिक सिरदर्द हो सकती है। भारत के संबंध अवामी लीग के साथ हमेशा प्रगाढ़ रहे हैं, जबकि BNP के दौर में भारत विरोधी तत्वों को संरक्षण मिलने के आरोप लगते रहे हैं। भारत की चिंता यह है कि तारिक की वापसी के बाद क्या बांग्लादेश की धरती का इस्तेमाल फिर से भारत विरोधी गतिविधियों के लिए होगा? सीमा सुरक्षा और शरणार्थी समस्या भारत के लिए प्रमुख मुद्दे रहेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तारिक रहमान की वापसी बांग्लादेश को या तो स्थिरता की ओर ले जाएगी या पूरी तरह अराजकता की ओर। सोशल मीडिया पर एक वर्ग उन्हें 'मसीहा' बता रहा है, तो दूसरा वर्ग पुरानी फाइलों के खुलने के डर से सहमा हुआ है। इस पूरे घटनाक्रम में कट्टरपंथी संगठनों (जैसे जमात-ए-इस्लामी) की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। क्या तारिक रहमान इन संगठनों के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे या वे एक उदारवादी छवि पेश कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भरोसा जीतेंगे ?
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Updated on:
24 Dec 2025 05:58 pm
Published on:
24 Dec 2025 05:57 pm


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