AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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Star Anesthetist Poisoning: डॉक्टर को भगवान का रूप माना जाता है, लेकिन यह एक ऐसे डॉक्टर (France Doctor Death Case) की कहानी है, जो मौत का सौदागर साबित हुआ। फ्रांस के बेसांकोन अस्पताल (Besancon Hospital Poisoning) से एक ऐसी कहानी सामने आई है, जिसने चिकित्सा जगत को शर्मसार कर दिया है। 'स्टार एनेस्थेटिस्ट' के नाम से मशहूर एक डॉक्टर असल में बैकस्टेज मौत का जाल बिछा रहा था। उसका मकसद मरीजों को बचाना नहीं, बल्कि उन्हें मौत के करीब लाकर अपनी महानता साबित करना था। पूर्वी फ्रांस के बेसांकोन शहर के दो नामी अस्पतालों में 53 वर्षीय फ्रेडरिक पेचियर (Frederic Pechier Life Sentence) का बड़ा नाम था। सहकर्मी उसे एक ऐसा विशेषज्ञ मानते थे, जो मरते हुए मरीज को भी वापस ले आता था। लेकिन इस 'पुनर्जीवन' के पीछे एक खौफनाक राज छिपा था। अदालत तमाम सुबूतों के आधार पर इस नतीजे पर पहुंची कि पेचियर जानबूझ कर मरीजों के इन्फ्यूजन बैग (ड्रिप) में ऐसे घातक पदार्थ मिला देता था, जिससे सर्जरी के दौरान मरीज को दिल का दौरा पड़ जाए या शरीर के अंदर खून बहना शुरू हो जाए।
पेचियर का तरीका बेहद शातिर था। वह मरीजों को जहर देकर इमरजेंसी की स्थिति पैदा करता था। जब मरीज की हालत बिगड़ती, तो वह सबसे पहले उसे बचाने के लिए दौड़ता। वह यह सब इसलिए करता था, ताकि संकट के समय अपने कौशल का प्रदर्शन कर सके और अपने साथी डॉक्टरों को नीचा दिखा सके। अभियोजकों ने अदालत में कड़े शब्दों में कहा, "तुम डॉक्टर मौत हो, तुमने अस्पतालों को कब्रिस्तान बना दिया और पूरे चिकित्सा पेशे पर कलंक लगा दिया।"
पेचियर के शिकार लोगों की सूची देखकर रूह कांप जाती है। उसकी साजिश का शिकार होने वालों में 4 साल के बच्चे से लेकर 89 साल के बुजुर्ग तक शामिल थे। साल 2016 में मामूली टॉन्सिल ऑपरेशन के लिए आया एक मासूम बच्चा पेचियर की साजिश के कारण दो बार कार्डियक अरेस्ट (हृदय गति रुकने) का शिकार हुआ। कुल 30 मरीजों को जहर दिया गया, जिनमें से 12 बदकिस्मत लोगों की जान चली गई।
करीब 15 हफ्तों तक चले लंबे मुकदमे के बाद, फ्रांस की अदालत ने पेचियर को दोषी करार दिया। हालांकि पेचियर ने आखिर तक खुद को निर्दोष बताया और हिप्पोक्रेटिक शपथ (डॉक्टरों की शपथ) का हवाला दिया, लेकिन केस की सुनवाई के दौरान पेश किए गए सुबूतों ने उसके दावों की धज्जियां उड़ा दीं। अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जिसमें से कम से कम 22 साल उसे सलाखों के पीछे ही काटने होंगे।
बहरहाल, यह मामला चिकित्सा इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है। साल 2008 से 2017 के बीच चले इस खूनी खेल का अब खात्मा हो गया है। पेचियर के पास अपील के लिए 10 दिन का समय बचा है, लेकिन फिलहाल 'मौत का यह सौदागर' अपनी करनी की सजा भुगतने के लिए जेल जा चुका है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
18 Dec 2025 07:38 pm


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