AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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Condom Tax: पाकिस्तान में बढ़ती आबादी एक बड़ी समस्या बन गई है। देश की आबादी हर साल करीब 60 लाख बढ़ रही है और जनसंख्या वृद्धि दर लगभग 2.55% है। ऐसे में परिवार नियोजन के सस्ते साधन अपनाना जरूरी है, लेकिन हाल ही में शहबाज शरीफ सरकार के इस दिशा में उठाए गए कदम को बड़ा झटका लगा है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कंडोम समेत गर्भ निरोधक उत्पादों पर लगाया गया 18% जीएसटी हटाने की अपील की थी, लेकिन IMF ने इसे साफ मना कर दिया। पाकिस्तान में कंडोम और अन्य परिवार नियोजन उत्पादों पर 18% जनरल सेल्स टैक्स (जीएसटी) लगता है। यह टैक्स स्थानीय सस्ते और प्रीमियम ब्रांड्स पर भी पर भी लागू होता है। इसी टैक्स की वजह से ये उत्पाद आम लोगों के लिए महंगे हो जाते हैं। सरकार का कहना है कि यह टैक्स गरीब परिवारों और खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वालों के लिए बड़ी मुश्किल पैदा करता है। जहां पहले से ही जागरूकता कम है और आय सीमित है, वहां ये उत्पाद लग्जरी जैसे लगने लगते हैं।
पाकिस्तान में कंडोम की कीमत ब्रांड और पैक साइज पर निर्भर करती है।
सस्ते लोकल ब्रांड: 3 कंडोम का पैक 80 से 120 पाकिस्तानी रुपये (PKR) में मिल जाता है।
मध्यम ब्रांड: 3 से 5 कंडोम का पैक 110 से 150 PKR के बीच मिलता है।
प्रीमियम ब्रांड (जैसे Durex या अन्य अंतरराष्ट्रीय): 3 कंडोम का पैक 450 से 650 PKR तक मिलता है।
बड़े पैक (10-12 कंडोम): 1200 से 2100 PKR या उससे ज्यादा कीमत में मिलता है।
जीएसटी और सप्लाई चेन की लागत मिलाकर ये कीमतें आम पाकिस्तानी की औसत आय के मुकाबले काफी ज्यादा हैं।
IMF का फैसला पूरी तरह वित्तीय अनुशासन पर आधारित है। पाकिस्तान अभी IMF के बेलआउट पैकेज पर निर्भर है और राजस्व लक्ष्य पूरा करने में संघर्ष कर रहा है। अगर जीएसटी हटाया गया तो सरकार को 40-60 करोड़ PKR का नुकसान हो सकता है। IMF ने कहा कि बीच में कोई टैक्स छूट नहीं दी जा सकती। यह मामला अगले बजट (2026-27) में ही देखा जा सकता है।
यह फैसला पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है। बढ़ती जनसंख्या पर काबू पाने के लिए परिवार नियोजन के साधन अपनाना जरूरी है, लेकिन महंगे कंडोम से जागरूकता और उपयोग दोनों कम हो सकते हैं। शहबाज सरकार ने सैनिटरी पैड और बेबी डायपर पर भी टैक्स राहत मांगी थी, लेकिन वो भी ठुकरा दी गई।
बहरहाल, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अभी कमजोर है और IMF की शर्तों से बंधी हुई है। ऐसे में देश की बढ़ती आबादी रोकने के लिए सस्ते परिवार नियोजन उत्पादों की उम्मीद अब अगले बजट तक टल गई है। यह स्थिति आम लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ा रही है।
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Updated on:
22 Dec 2025 08:32 pm
Published on:
21 Dec 2025 08:17 pm


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