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Aravalli से याद आया अनोखा प्रदर्शन, जंगल बचाने के लिए 738 दिन पेड़ पर रहीं Julia Butterfly Hill

Save Aravalli campaign: अरावली पर्वत श्रृंखला को बचाने के लिए चल रहे अभियानों ने एक अनोखे विरोध प्रदर्शन की याद ताजा कर दी है। अमेरिका में जूलिया बटरफ्लाई हिल ने जंगल को कटने से बचाने के लिए पेड़ पर 738 दिन गुजारे थे।

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Save Aravalli
अमेरिका की जूलिया बटरफ्लाई हिल ने एक अनोखा प्रदर्शन किया था। (PC:Julia Butterfly Hill/instagram)

Julia Butterfly Hill tree protest: अरावली पर्वत श्रृंखला को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान (Save Aravalli) चलाए जा रहे हैं। इस मुद्दे ने अब सियासी रूप भी ले लिया है। तमाम विपक्षी दल सरकार पर अरावली की पहाड़ियों को खत्म करने की साजिश का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि, सरकार आरोपों से इनकार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा तय करने के बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर 'सेव अरावली' कैंपेन ट्रेंड करता रहा।

साहस का प्रतीक बना प्रदर्शन

पर्यावरण संरक्षण के लिए दुनिया भर में समय-समय पर प्रदर्शन होते रहे हैं। कई बार प्रदर्शन इतने बड़े या अनोखे बन जाते हैं कि उनकी तस्वीर दिमाग पर हमेशा के लिए छप जाती है। भारत का चिपको आंदोलन दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण की एक मिसाल बन गया था। इसी तरह, अमेरिका में हुआ एक प्रदर्शन एक लड़की के साहस का प्रतीक बन गया। जूलिया बटरफ्लाई हिल (Julia 'Butterfly' Hill) ने पेड़ों को कटने से बचाने के लिए कुछ ऐसा किया कि पूरी दुनिया देखती रह गई। उनके प्रयास रंग लाए और पेड़ों की कटाई का फैसला वापस लेना पड़ा।

किसी ने नहीं सोचा था ऐसा

23 साल की जूलिया बटरफ्लाई हिल ने कैलिफोर्निया में रेडवुड पेड़ों को बचाने के लिए अभियान चलाया था। जब उन्हें पता चला कि पैसिफिक लंबर कंपनी जंगल में पेड़ों की कटाई करने वाली है, तो उन्होंने विरोध का अनोखा तरीका अपनाया। वह एक ऊंचे पेड़ पर चढ़कर बैठ गईं और पूरे 738 दिन वहीं रहीं। इस तरह के विरोध की कल्पना किसी ने नहीं की थी। जूलिया को कई तरह से परेशान करने का प्रयास किया गया, हेलीकॉप्टर के जरिए उन्हें डराने की कोशिश भी हुई, लेकिन वह पूरे साहस के साथ अपनी अभियान में जुटीं रहीं।

इस तरह गुजरे 738 दिन

जूलिया का अभियान 10 दिसंबर, 1997 से लेकर 23 दिसंबर 1999 तक चला। इतने लंबे समय के लिए पेड़ पर रहना कोई आसान काम नहीं था। हर पल गिरने का खतरा, खाना-पानी जैसी तमाम समस्याएं उनके सामने थीं। लेकिन उन्होंने मन बना लिया था कि चाहे जो हो वह पेड़ नहीं कटने देंगी। इस अभियान में उनके साथ दूसरे लोग भी शामिल थे, मगर पेड़ पर रहना केवल उन्होंने ही चुना। उनके पास सोलर एनर्जी से चलने वाला एक फोन था, जिससे वह अपने साथियों के साथ संपर्क में रहती थीं। खाने-पीने की व्यवस्था स्वयंसेवकों द्वारा की जाती थी।

दुनिया ने की जूलिया की तारीफ

20 साल की उम्र में जूलिया एक गंभीर सड़क हादसे का शिकार हुई थीं, जिससे बाहर निकालने में उन्हें काफी समय लग गया। इसके बाद उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की तरफ खुद को मोड़ दिया। कैलिफोर्निया के अनोखे विरोध-प्रदर्शन ने उन्हें एक मजबूत एक्टिविस्ट के तौर पर दुनिया के सामने पेश किया। जूलिया बटरफ्लाई हिल ने 738 दिनों के लिए जिस पेड़ को अपना आशियाना बनाया था, वह 1500 साल पुराना था। बिजली गिरने की घटनाएं भी इस पेड़ का अस्तित्व नहीं मिटा पाईं थीं। इस पेड़ का नाम लूना था।

कई तरह से किया परेशान

पैसिफिक लंबर कंपनी द्वारा जूलिया बटरफ्लाई को परेशान करने की अनगिनत कोशिशें की गईं। पेड़ों के ऊपर हेलीकॉप्टर उड़ाया गया, ताकि गिरने के डर से जूलिया अपना इरादा छोड़ दें या फिर वह तेज हवा के चलते नीचे गिर जाएं। जूलिया तक पहुंचने वाली राहत सामग्री को रोकने का भी प्रयास किया गया। हालांकि, तमाम कोशिशों के बावजूद लंबर कंपनी जूलिया को तोड़ने में नाकाम रही। मौसम ने भी जूलिया का इम्तिहान लिया। उनके पेड़ पर रहने के अधिकांश समय बारिश होती रही, 70 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलतीं। लेकिन जूलिया बटरफ्लाई पेड़ से नीचे तभी उतरीं, जब जंगल की कटाई का फैसला वापस लिया गया।

आखिर जूलिया की हुई जीत

जूलिया के इस विरोध-प्रदर्शन की खबर जंगल में आग की तरह फैली और आखिरकार 1999 में एक समझौता हुआ। इसके तहत लूना और 200 फुट के दायरे में आने वाले सभी पेड़ों को सुरक्षित रखा गया और पहले से काटे गए पेड़ कंपनी की प्रॉपर्टी बन गए। लॉस एंजिल्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2007 में, पैसिफिक लंबर कंपनी ने बढ़ती लागत का हवाला देते हुए बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया था।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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