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स्कूली बसों पर परिवहन विभाग की सख्ती : टैक्स बकाया, बीमा न होने पर दो बसों का चालान

बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मानकों को लेकर परिवहन आयुक्त के निर्देशों के बाद जनपद में स्कूली वाहनों की सघन जांच शुरू हो गई है। शुक्रवार को सेटेलाइट क्षेत्र में परिवहन विभाग ने चेकिंग अभियान चलाया।

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बरेली। बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मानकों को लेकर परिवहन आयुक्त के निर्देशों के बाद जनपद में स्कूली वाहनों की सघन जांच शुरू हो गई है। शुक्रवार को सेटेलाइट क्षेत्र में परिवहन विभाग ने चेकिंग अभियान चलाया।

इस दौरान दो स्कूली बसें नियमों की अनदेखी करती पाई गईं, जिनका तत्काल चालान कर कार्रवाई की गई।


एक बस का टैक्स था बकाया, दूसरी का बीमा नहीं था

यात्री कर अधिकारी (प्रवर्तन एवं सड़क सुरक्षा) रमेश चंद्र प्रजापति की अगुवाई में परिवहन विभाग की टीम ने सेटेलाइट चौराहे के पास स्कूली वाहनों की जांच की। जांच के दौरान एक निजी स्कूल की बस को रोका गया, जिसमें बच्चे तो व्यवस्थित बैठे मिले, लेकिन बस का रोड टैक्स जनवरी 2025 से बकाया था। अधिकारी ने तत्काल बस का चालान किया और बकाया टैक्स जमा कराने के निर्देश दिए।

इसके कुछ देर बाद एक और बस बच्चों को स्कूल छोड़ने निकली, जिसकी जांच में सामने आया कि उसका बीमा ही नहीं कराया गया था। इस पर उस वाहन का भी चालान कर कार्रवाई की गई।


चार अन्य वाहन जांच में पास, 731 स्कूली वाहनों में 70 पहले ही घोषित अनफिट

जांच के दौरान चार अन्य स्कूली ऑटो और वैन को भी रोका गया, जिनकी स्थिति सामान्य पाई गई। जानकारी के अनुसार जिले में कुल 731 पंजीकृत स्कूली वाहन हैं, जिनमें से अब तक 70 वाहनों को तकनीकी जांच में 'अनफिट' घोषित किया जा चुका है। ऐसे वाहनों की आरसी निलंबित करते हुए संबंधित स्कूलों को नोटिस भी जारी किए गए हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में जल्द चलेगा विशेष अभियान

यात्री कर अधिकारी रमेश चंद्र प्रजापति ने बताया कि अब तक शहरी क्षेत्रों में ही अभियान केंद्रित था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली वाहनों की स्थिति अधिक चिंताजनक है। जल्द ही वहां भी विशेष अभियान चलाकर वाहनों की वैधता, फिटनेस, बीमा, टैक्स और सुरक्षा मानकों की जांच की जाएगी।

अभिभावकों से की अपील : खुद परखें स्कूली वाहनों की स्थिति

अधिकारियों ने अभिभावकों से अपील की है कि वे केवल स्कूल प्रशासन पर निर्भर न रहें, बल्कि जिस वाहन से उनके बच्चे स्कूल जाते हैं, उसकी स्थिति स्वयं जांचें।

अभिभावकों को निम्न बिंदुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए:

वाहन का रंग पीला होना चाहिए।

दोनों ओर स्कूल का नाम लिखा होना अनिवार्य है।

बस में उचित सीटिंग व्यवस्था और बस्ता रखने की जगह हो।

खिड़कियों पर लगे लोहे की छड़ों के बीच की दूरी 5 सेंटीमीटर से अधिक न हो।

वाहन 15 वर्ष से अधिक पुराना न हो।

चालक का अनुभव कम से कम 5 वर्ष होना चाहिए, और उसका चरित्र सत्यापन पुलिस द्वारा किया गया हो।

वाहन में जीपीएस, सीसीटीवी कैमरा, और छात्राओं के लिए महिला परिचारक की व्यवस्था होनी चाहिए।

वाहन की अधिकतम गति 40 किमी प्रति घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए।

एम-परिवहन एप से करें पुष्टि

परिवहन विभाग ने बताया कि अभिभावक एम-परिवहन (mParivahan) मोबाइल एप के माध्यम से किसी भी स्कूल वाहन की आरसी, बीमा, फिटनेस और टैक्स की स्थिति की पुष्टि कर सकते हैं।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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