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वर्ष 1971 में बना बांध मानसून में भी रहा प्यासा, अतिक्रमण ने डुबो दी उम्मीदें

मानसूनी बारिश औसत से एक से ड़ेढ गुना तक हुई है। रिकॉर्ड बारिश के बाद भी हर साल की तरह आमेर की सीमा रूंडल के पास बने जमदेही बांध में पर्याप्त पानी नहीं आ पाया।

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जमदेही बांध
जयपुर के रुण्डल गांव के जमदग्नि आश्रम के पास जमदेही बांध।

जयपुर जिले के चौमूं, शाहपुरा और आमेर क्षेत्र में इस बार मानसूनी बारिश औसत से एक से ड़ेढ गुना तक हुई है। रिकॉर्ड बारिश के बाद भी हर साल की तरह आमेर की सीमा रूंडल के पास बने जमदेही बांध में पर्याप्त पानी नहीं आ पाया। हालांकि इस बार तलहटी तक पानी जरूर पहुंच पाया है। स्थिति यह है कि बांध परिक्षेत्र में मिट्टी का खनन होता है तो बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण पानी की आवक को प्रभावित कर रहा है, जबकि तीनों ही उपखंड में जलस्तर गहराने से फसलों की सिंचाई तो दूर लोग पेयजल के लिए जूझ रहे हैं, लेकिन सरकार और सिंचाई विभाग इस मुद्दे को प्राथमिकता से नहीं ले रही है। बांध से आमेर क्षेत्र रूंडल की तरफ 4.2 किमी लंबी नहर भी बनी है। इसका भी अस्तित्व मिटता जा रहा है।

जानकारी अनुसार रुण्डल गांव के जमदग्नि आश्रम के पास जमदेही बांध है। इसका निर्माण वर्ष 1971 से पहले हुआ बताया जा रहा है। वर्ष 1981-82 के बाद से बांध में पर्याप्त पानी नहीं आया। हालांकि जरूर तलहटी तक पानी पहुंचता है। जबकि पिछले साल और इस बार भरपूर बारिश हुई है। इसके बावजूद बांध में पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पाया है। लोगों का कहना है कि बहाव क्षेत्र में अनेक जगहों पर कच्चे-पक्के अतिक्रमण हैं तो नालों आदि को सिकुडा दिया है। बांध के पेटे में अवैध मिट्टी खनन धड़ल्ले से हो रहा है।

बदहाल हो रहा बांध
स्थिति यह है कि सार-संभाल के अभाव में बांध के मोरों पर लगे उपकरण भी गायब हो चुके हैं। साथ ही इसके मोरों में झाड़ झखाड़ उगा हुआ है। इसके जीर्णोद्धार और बहाव क्षेत्र के अतिक्रमण हटाने की जरूरत है।

इन तहसीलों को मिले फायदा
स्थानीय निवासी रामसिंह खडोत्या ने बताया कि बांध के जीर्णोद्धार के साथ बारिश का पानी लाने का कार्य किया जाए तो शाहपुरा, आमेर और चौमूं तहसील के अनेक गांवों को फायदा मिल सकता है। इसके पास धवली, म्हार, सेपटपुरा, रूंडल, डेहरा, कानपुरा सहित कई गांवों के इलाके में पानी का जलस्तर बढ़ सकता है।

जमदेही बांध के मोरों में उगी झाड़ियां।

कालख बांध में पहुंचता था पानी
रूंडल निवासी दिनेश मीणा ने बताया कि बांध में सामोद वीर हनुमान धाम एवं बरवाड़ा की पहाडियों से पानी की आवक होती थी। बांध के भरने से पर मोरे खोले जाते थे, जिसका पानी बांडी नदी में शामिल होता था। इस नदी का पानी धवली, बांसा, रामपुरा होते हुए कालख बांध में जाता था।

बांध पर एक नजर
गेज: 10 फीट
चौड़ाई: 150 मीटर
क्षमता: 2.74 एमसीएम
सिंचाई क्षमता: 586.8 हेक्टेयर।

चौमूं में बारिश का आंकड़ा
वर्ष बारिश
2021 615
2022 702
2023 780
2024 645
2025 1148
(जनवरी से सितंबर तक)

इनका कहना है…
बांध के विकास को लेकर उच्चाधिकारियों से वार्ता की जाएगी। अतिक्रमण हटाने को लेकर राजस्व टीम से मिलकर जांच करवाते हैं। इस बार बारिश में बांध की तलहटी तक पानी पहुंचा है। मिट्टी खनन पर भी पाबंदी लगाई जाएगी।
शैलेन्द्र गढ़वाल, सहायक अभियंता, सिंचाई विभाग, शाहपुरा

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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