AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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जयपुर के रामगढ़ बांध के ठीक सामने स्थित ऐतिहासिक हवाओदी, जो कभी जयपुर रियासतकालीन शिकारगाह और स्थापत्य कला का शानदार नमूना रही, आज बदहाली की कगार पर है। चार मंजिला यह हवेली अपनी कलात्मक बनावट और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध रही है, पर अब इसकी दीवारें, सीढ़ियां और चारदीवारी खंडहर बन चुकी हैं। खिड़कियों पर लगी लोहे की एंगलें और फर्श के संगमरमर के पिलर चोरी हो चुके हैं। छत से वर्षा जल निकालने वाले पाइप टूट चुके हैं, जिससे बारिश का पानी सीधे अंदर घुस जाता है। हवाओदी का प्लास्टर झड़ रहा है और कई जगह पत्थर ढीले होकर गिरने लगे हैं।
शानदार स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना
हवाओदी अपने अनूठे निर्माण के लिए जानी जाती है। चार मंजिला इस इमारत का पिछला हिस्सा आयताकार व आगे का हिस्सा गोलाकार है। प्रत्येक मंजिल में आधे गोल आकार के कक्ष और शिकार देखने के लिए छोटी-छोटी खिड़कियां बनी हैं। हवेली के भीतर की चित्रकारी आज भी उस दौर की कलात्मकता का बखान करती है, हालांकि देखरेख के अभाव में यह चित्रकारी अब फीकी पड़ चुकी है। हवाओदी को पहले ‘शिकारगाह’ के रूप में जाना जाता था, जहां नीचे के तल में रसोईघर और सुरक्षाकर्मियों के लिए आवास बनाए गए थे।
राजा-महाराजाओं का आखेट स्थल रही हवाओदी
जयपुर रियासत के राजा-महाराजाओं के लिए हवाओदी प्रमुख आखेट स्थल हुआ करती थी। स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, यहां घना जंगल होने के कारण शेर, चीते, पैंथर, सियार और तीतर जैसी वन्य प्रजातियां प्रचुर मात्रा में थीं। बांध के किनारे बने इस भवन से राजा अपने आखेट का आनंद लेते थे।

हवाओदी के अंदर अर्द्ध चंद्राकार कक्ष की दीवार।
रामगढ़ बांध की पहचान और पर्यटन संभावनाएं
हवाओदी रामगढ़ बांध की प्रमुख पहचान रही है। कहा जाता है कि जब पानी हवाओदी तक पहुंच जाता था, तो लोग समझ जाते थे कि बांध पूरी तरह भर गया है। इसकी चार मंजिला ऊंचाई से पूरा बांध और आसपास का घना वनक्षेत्र दिखता है। यह स्थल आज भी पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत आकर्षक है, किंतु संरक्षण के अभाव में यह संभावनाएं दम तोड़ रही हैं।
फुलवारी और जीर्णोद्धार से बन सकता प्रमुख पर्यटन स्थल
हवाओदी का जीर्णोद्धार कर इसे पर्यटक आवास के रूप में विकसित किया जा सकता है। भवन के चारों ओर फुलवारी लगाकर और लाइटिंग व्यवस्था के साथ इसे ‘शाही स्टे’ थीम पर किराये के लिए खोला जा सकता है। वन विभाग ने पूर्व में हवाओदी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई थी, लेकिन वह अब तक फाइलों में ही दबकर रह गई है।
जर्जर सड़क बनी बड़ी बाधा
जमवारामगढ़ से हवाओदी तक जाने वाली सड़क भी पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। सड़क में डामर नदारद है और नुकीले पत्थरों के कारण वाहन चलाना मुश्किल हो गया है।
जनप्रतिनिधियों की चिंता, विभाग की चुप्पी
विधायक महेंद्रपाल मीना ने कहा कि ‘हवाओदी का जीर्णोद्धार व संरक्षण कराया जाना आवश्यक है। यह स्थान जंगल सफारी और पर्यटन के लिए उपयुक्त है।’ वहीं, वन्यजीव जयपुर के डीएफओ ओपी शर्मा ने बताया कि ‘हवाओदी की मरम्मत या जीर्णोद्धार की कोई योजना फिलहाल प्रस्तावित नहीं है।’
अब जरूरत है संवेदनशील पहल की
रियासतकाल की स्थापत्य कला का यह बेजोड़ नमूना यदि शीघ्र ही संरक्षित नहीं किया गया, तो यह धरोहर इतिहास के पन्नों में सिर्फ नाम बनकर रह जाएगी। हवाओदी आज भी हवाओं में बीते गौरवशाली दौर की कहानियां फुसफुसा रही है, सिर्फ सुनने वाला कोई चाहिए।
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Updated on:
27 Oct 2025 05:27 pm
Published on:
27 Oct 2025 04:45 pm


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