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ITR Filing 2025: भारतीय Taxpayers कितनी बार नई और पुरानी टैक्स रिजीम के बीच कर सकते हैं स्वीच? जानें पूरी डिटेल

ITR Filing 2025: गैर-ऑडिट करदाताओं के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 (AY 2025-26) के लिए अपना ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2025 है।

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itr filing 2025
ITR Filing 2025: Old Vs New Tax Regime

ITR Filing 2025: भारत में करदाता पुरानी और नई आयकर व्यवस्थाओं (Old and New Tax Regime) में से अपनी सहूलियत के हिसाब से चुन सकते हैं। हालांकि, यह ऑप्शन परमानेंट नहीं है। इसे सालाना चेंज किया जा सकता है। आप चाहे वेतनभोगी कर्मचारी हों या व्यवसाय चला रहे हों, यह समझना महत्वपूर्ण है कि आप कितनी बार कर व्यवस्थाओं के बीच स्विच कर सकते हैं जिससे आप ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचा सकें। बता दें कि केंद्रीय बजट 2023 में नई कर व्यवस्था को डिफ़ॉल्ट व्यवस्था बना दिया गया था।

आईटीआर फ़्लिंग 2025

अपना आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना आपके कर दायित्वों के प्रबंधन का एक अनिवार्य हिस्सा है। गैर-ऑडिट करदाताओं के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 (AY 2025-26) के लिए अपना ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2025 है। हालांकि, यदि आप दी गई डेट के अंदर रिटर्न दाखिल करने से चूक जाते हैं, तो भी आप 31 दिसंबर, 2025 से पहले विलंबित रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।

ITR Filing 2025: आपको कौन सी Tax Regime चुननी चाहिए- नई या पुरानी?

2025 के लिए अपना आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय एक महत्वपूर्ण निर्णय पुरानी और नई कर व्यवस्थाओं के बीच चयन करना है। यह विकल्प आपकी कर देयता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है, इसलिए अंतरों को समझना आवश्यक है।

पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime): इसमें आप विभिन्न कटौतियों और छूटों का दावा कर सकते हैं। जैसे कि धारा 80सी (निवेश), 80डी (चिकित्सा बीमा) और HRA (मकान किराया भत्ता) के तहत।

नई कर व्यवस्था (New Tax Regime): यह व्यवस्था कम कर दरें प्रदान करती है, लेकिन अधिकांश कटौतियों और छूटों को छोड़ देती है।

व्यवसाय/पेशे से आय वाले व्यक्तियों के लिए कर व्यवस्था चयन नियम

किसी व्यवसाय या पेशे से आय प्राप्त करने वाला कोई भी व्यक्ति एक से अधिक बार कर व्यवस्था बदलने के लिए पात्र नहीं है। उदाहरण के लिए एक बार जब आप नई कर व्यवस्था चुन लेते हैं, तो आप अपने जीवनकाल में केवल एक बार पुरानी व्यवस्था में वापस जा सकते हैं।

नई और पुरानी टैक्स व्यवस्था के बीच स्वीच

टैक्स2विन के CEO और सह-संस्थापक अभिषेक सोनी ने बताया, "व्यवसाय या पेशेवर आय वाले करदाता जिनमें व्यक्ति, HUF, AOP (सहकारी समितियों को छोड़कर), BOI शामिल हैं, हर साल कर व्यवस्थाओं के बीच स्विच नहीं कर सकते हैं। यदि वे नई कर व्यवस्था से बाहर निकलते हैं, तो उनके पास वापस स्विच करने का केवल एक अवसर होता है और एक बार ऐसा करने के बाद वे भविष्य में पुरानी व्यवस्था में वापस नहीं जा सकते। हालांकि, गैर-व्यावसायिक आय वाले व्यक्ति सालाना नई और पुरानी कर व्यवस्थाओं के बीच स्विच कर सकते हैं। पुरानी कर व्यवस्था को चुनने का विकल्प आयकर अधिनियम की धारा 139(1) के तहत रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख से पहले किया जाना चाहिए।"

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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