AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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जयपुर। राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में चल रहे पांच दिवसीय 'सप्तरंग' संगीत समारोह के चौथे दिन मंच पर 11 राज्यों के लोक कलाकारों ने अपनी संस्कृति और लोकरंग को जीवंत किया। मिट्टी से उपजी संगीत की खुश्बू को दमदार परफॉर्मेंस ने यादगार बना दिया। देशभर के 6 सांस्कृतिक केन्द्रों के कलाकारों ने अपने राज्य और संस्कृति को साकार करते हुए पारंपरिक लोक संगीत के साथ दर्शकों को भी प्रस्तुति का हिस्सा बना लिया। ताल के साथ चलते देखने वालों के हाथ, झूमते सिर और विस्मित आंखों ने स्पष्ट कर दिया कि विश्व में भारतीय संस्कृति को इतना सम्मान क्यों मिलता है।
गणेश वंदना से की शुरुआत
चौथे दिन की संगीत संध्या की शुरुआत ओडिसी नृत्यांगना डॉ. कुंजलता मिश्रा और उनकी चार शिष्याओं ने की। मेवाड़ विश्वविद्यालय, चितौडग़ढ़ की कुंजलता के शिष्यों में विष्णुप्रिया गोस्वामी, बेल्जियम से व्रज लीला बौरखासेन, रूस से सोफिया कुहरेनोक और गौरांगी शर्मा शामिल रहीं। उन्होंने गणेश वंदना और उसके बाद शिव तांडव एवं शिव स्तुति के माध्यम से कार्यक्रम की शुरुआत की। ओडिसी नृत्य की भाव-भंगिमाओं और आंनदित कर देने वाली विभिन्न प्रस्तुतियों में मुद्राओं, लाइव शास्त्रीय संगीत और ताल-मेल के समन्वय ने खूब समा बांधा।
मंच पर साकार हुआ 'लघु भारत'
पटियाला, उदयपुर, कोलकाता, प्रयागराज, नागपुर और दीमापुर के जोनल सांस्कृतिक केन्द्र के कलाकारों ने जयपुराइट्स के सामने जोश, लचक, सहजता और भावपूर्ण प्रस्तुति देते हुए मंच पर 'लघु भारत' की तस्वीर को साकार किया। हरियाणवी डांस, असम का बिहू, ओडिशा का गोटीपुआ, महाराष्ट्र की लावणी, गुजरात का गरबा, राजस्थान का कालबेलिया, मध्य प्रदेश का बरेदी, वृंदावन का मयूर नृत्य, कर्नाटक से ढोलू कुनिथा, पंजाब का गिद्दा और पश्चिम बंगाल से पुरुलिया एवं छाऊ जैसे लोक नृत्यों ने दर्शकों की शाम को बारिश के साथ संगीत से भी तर कर दिया।


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Published on:
21 Sept 2023 03:19 pm


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