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किसानों पर दोहरी मार, फसल का बीमा है, लेकिन कम्पनी नहीं मान रही नुकसान

क्रॉप कटिंग प्रयोग में खराब हुई मूंग की फसल का वजन पर्याप्त आने से कम्पनी नहीं मान रही नुकसान, मंडी में खराब मूंग का किसानों को नहीं मिल रहा आधा भी दाम, एमएसपी 8768 रुपए प्रति क्विंटल, लेकिन बाजार में खराब मूंग बिक रहा 4 से 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल

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crop cutting
क्रॉप कटिंग प्रयोग

नागौर. मौसम की मार झेल चुके किसानों को अब फसल बीमा अधिसूचना के नियमों ने मायूस कर दिया है। अतिवृष्टि व बेमौसम बारिश से मूंग का दाना भले ही 70 से 80 प्रतिशत खराब हो चुका है, लेकिन वजन पूरा होने के कारण अधिसूचना की शर्तों की आड़ में कम्पनी के प्रतिनिधि फसल को नुकसान योग्य नहीं मान रहे हैं। ऐसे में 70 से 80 प्रतिशत फसल खराबा होने के बावजूद किसानों को इस बार बीमा क्लेम नहीं मिल पाएगा। बीमा कम्पनी का तर्क है कि वजन मानक से ऊपर आ रहा है, इसलिए नुकसान की श्रेणी में नहीं मान सकते।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा क्लेम क्रॉप कटिंग प्रयोग के दौरान आने वाले औसत उत्पादन के आधार पर दिया जाता है न कि फसल की गुणवत्ता को लेकर। इस बार सितम्बर के अंतिम सप्ताह व अक्टूबर के पहले सप्ताह में हुई बेमौसम बारिश में भीगने से मूंग के दाने काले पड़ गए, जिसके कारण मंडी में भाव आधे भी नहीं मिल रहे हैं। मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 8768 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है, लेकिन मंडी में किसानों को गुणवत्ता खराब होने के कारण 4 से 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल मिल रहे हैं, ऐसे में किसानों का कहना है कि फसल में नुकसान मानते हुए बीमा क्लेम दिया जाना चाहिए। भले ही क्रॉप कटिंग प्रयोग में मूंग का वजन, औसत उत्पादन के बराबर या ज्यादा आए।

बाजार स्थिति

- एमएसपी : 8768 रुपए प्रति क्विंटल

- मंडी भाव: काले पड़े मूंग के 4000-5000 रुपए प्रति क्विंटल

- मूंग की गुणवत्ता: बारिश से दाने काले, अंकुरित व दो फाड़ होकर दाल बन गए

किसानों की पीड़ा

फसल का बीमा इसलिए कराया, ताकि फसल खराब होने पर क्लेम से थोड़ी राहत मिल जाए, लेकिन बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि मूंग का वजन पूरा होने के कारण नुकसान शून्य बता रहे हैं। ऐसे में उन्हें बीमा क्लेम नहीं मिल पाएगा। सरकार को इस दिशा में नियमों में सुधार करके किसानों को राहत देनी चाहिए। अन्यथा मंडी में जो भाव मिल रहा है, उससे लागत भी नहीं निकलेगी।

- रामप्रकाश चौधरी, किसान, नागौर

- बीमा का प्रीमियम हर साल कटता है, पर नुकसान होने पर कम्पनी नियमों की आड़ लेकर क्लेम नहीं देती। ऐसी बीमा योजना का क्या फायदा, जिससे क्लेम ही नहीं मिले।

- हनुमान मेघवाल, किसान, जायल

नियमों में सुधार की आवश्यकता

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की गाइडलाइन के अनुसार फसल कटाई प्रयोग में फसल उत्पादन का वजन देखा जाता है, न कि उसकी गुणवत्ता। लेकिन गत दिनों हुई बेमौसम बारिश व अतिवृष्टि से मूंग की पूरी फसल लगभग खराब हो चुकी है, जिसका वजन तो मानक के अनुरूप आ रहा है, लेकिन गुणवत्ता खराब हो चुकी है, जिसके कारण मंडी में भाव आधे भी नहीं मिल रहे। ऐसे में वजन के साथ गुणवत्ता को भी देखा जाना चाहिए, ताकि किसानों को बीमा योजना का लाभ मिले।

- बुधाराम जाजड़ा, पटवारी, जायल

सरकार को भेजेंगे प्रस्ताव

हां, यह सही है कि इस बार बेमौसम बारिश से मूंग की पूरी फसल खराब हो गई। मूंग का दाना काला पडऩे व खराब होने से मंडी में उचित भाव नहीं मिल रहे हैं और नही एमएसपी पर खरीद हो पाएगी। बीमा योजना में वजन के साथ फसल की गुणवत्ता को आधार मानते हुए क्लेम देने के लिए जिला संगठन की ओर से सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

- महावीरसिंह सांदू, जिला मीडिया प्रभारी, भाजपा

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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