AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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-ग्राम पंचायत धड़ल्ले से जारी कर रही अनापत्ति प्रमाण पत्र
-सिलोकोसिस, दमा, सांस के मरीज बढ़े
-नवसृजित प्रेमनगर के हालात.
खींवसर (नागौर) सरकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए भारी बजट खर्च कर गांव-मोहल्लों तक जागरूकता कार्यक्रम चला रही है, वहीं दूसरी ओर नवसृजित ग्राम पंचायत प्रेमनगर के ग्रामीण धुएं और डस्ट के गुब्बार के बीच सांस लेने को मजबूर हैं। गांव में सिलोकोसिस, दमा और सांस संबंधी रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है। इसकी मुख्य वजह आबादी क्षेत्र के बीच औद्योगिक इकाइयों को मंजूरियां देना है।
पिछले 10–15 वर्षों में चूना-कली भट्टों सहित दर्जनों बड़ी औद्योगिक इकाइयां गांव की आबादी को चारों ओर से घेर चुकी हैं। जब ये इकाइयां चालू होती हैं तो पूरे गांव में धुएं की चादर छा जाती है, लेकिन न सरकार और न ही निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने अब तक इस गंभीर समस्या पर ध्यान दिया है। उद्योगों के नाम पर अंधाधुंध मंजूरियों की कीमत गरीब ग्रामीण अपने स्वास्थ्य से चुका रहे हैं। उनके लिए इलाज कराना भी मुश्किल भरा है।
बीमारियां घेर रही
आबादी क्षेत्र से चिपते औद्योगिक ईकाईयां लगने के कारण स्थिति यह है कि दिनभर में ढाणियों में रहने वाले लोगों के कपड़े काले हो जाते हैं। लोग फेंफड़ों व सांस की बीमारियों के साथ सिलोकोसिस जैसी घातक बीमारी की जकड़ में आ गए हैं। पेट व फेंफड़ों में जमा रेत चिकित्सक भी नहीं निकाल पा रहे । पत्थरों की यह पाऊडर नुमा मिट्टी ग्रामीणों को खांसी, दमा का शिकार बना रही है।
आखिर जाए तो कहां
प्रेमनगर ग्राम पंचायत के अधिकांश लोग मजदूरी कर अपनी आजिविका चलाते है। ऐसे में वो यहां से आखिर कहां जाए। कोई दिहाड़ी मजदूर है तो कोई वाहन चालक है। कोई खेत में किसानी कर पेट भर रहा है। यहां से निर्वाचित जनप्रतिनिधि इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहे। ग्राम पंचायत एवं प्रदूषण बोर्ड ने भी इन औद्योगिक इकाइयों को मंजूरी देते वक्त ग्रामीणों का ख्याल नहीं रखा। प्रदूषण फैलाने वाली इन औद्योगिक इकाईयों को आबादी क्षेत्र में लगाने पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
-पुसाराम आचार्य, पंचायत समिति सदस्य, खींवसर
पता करवाएंगे
आबादी के पास अगर औद्योगिक इकाइयां स्थापित करना गलत है। मामले का पता करवाएंगे। विकास अधिकारी से जानकारी लेकर कार्रवाई की जाएगी।
-सुनील पंवार, उपखण्ड अधिकारी, खींवसर।
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Published on:
14 Dec 2025 04:29 pm


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