AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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दिल्ली विधानसभा से जुड़े फांसी घर विवाद पर शुक्रवार को हाई कोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। यह सुनवाई आम आदमी पार्टी के नेताओं अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की उस याचिका पर हुई, जिसमें उन्होंने विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के जारी किए समन को चुनौती दी है। हैरान करने वाली बात यह है कि जिस विशेषाधिकार समिति के समन को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई , उसने अभी तक कोई फैसला दिया ही नहीं है और मामला अभी सिर्फ जांच के स्तर पर है। इस ममाले की सुनवाई न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने की।
सुनवाई के दौरान दिल्ली विधानसभा सचिवालय के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि फिलहाल विशेषाधिकार समिति सिर्फ इस बात की जांच कर रही है कि फांसी घर को लेकर दावा सही है या नहीं। उन्होंने साफ किया कि अभी इस ममाले में किसी भी नेता पर किसी तरह के विशेषाधिकार उल्लंघन का आरोप नहीं लगा है और न ही सदन की अवमानना से जुड़ा कोई मामला बनाया गया है। साथ ही वकील ने कोर्ट में कहा कि केजरीवाल और सिसोदिया का समिति के सामने पेश नहीं होना जांच की प्रक्रिया को रोक रहा है। उनके अनुसार, ऐसा बर्ताव सदन की अवमानना जैसा है। साथ ही उन्होंने कहा कि समिति अभी किसी भी नतीजे पर पहुंची ही नहीं है, इसलिए दायर की गई याचिका पूरी तरह समय से पहले है। विधानसभा की तरफ से मौजूद वकील ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी की जान या स्वतंत्रता पर कोई खतरा नहीं है।
विधानसभा सचिवालय के वकील ने अदालत को यह भी बताया कि केजरीवाल और सिसोदिया विशेषाधिकार समिति के साथ बिल्कुल सहयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि समन भेजे जाने के बाद भी दोनों नेता अभी तक एक बार भी समिति के सामने पेश नहीं हुए हैं और इस वजह से जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। हाईकोर्ट ने इसको लेकर आम आदमी पार्टी की तरफ से जवाब सुनने के लिए मामले की सुनवाई की अगली तारीख 8 जनवरी तय की है।
बीजेपी इस साल फरवरी में जब सत्ता में आई, तब यह मामला सामने आया। विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने सदन में दावा किया था कि जिस पुराने अंग्रेजों के समय के ढांचे को साल 2022 में तब के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने “फांसी घर” या एग्जीक्यूटिव रूम के नाम से तैयर करवाया था, वह रिकॉर्ड के अनुसार असल में एक भोजनालय था। विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि इस विषय में गलत जानकारी फैलाई गई, जिसके बाद मामला जांच के लिए विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया गया।
वहीं आम आदमी पार्टी का कहना है कि फांसी घर को आजादी की लड़ाई और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद में एक प्रतीकात्मक स्मारक के रूप में बनाया गया था और इसके उद्घाटन की जानकारी पहले से ही सार्वजनिक थी। पार्टी के अनुासार, पिछले मानसून सत्र में स्पीकर ने 1912 का नक्शा दिखाकर यह बात रखी थी कि किसी भी दस्तावेज से यह साबित नहीं होता कि उस जगह पर कभी फांसी दी जाती थी।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
20 Dec 2025 07:36 am
Published on:
20 Dec 2025 07:27 am


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