AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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Green Potato is Cancerous or Not : लाल-सफेद आलू के बीच हरा आलू भी देखा होगा आपने! पर क्या ये ग्रीन कलर का आलू (Green Potato) कैंसर जैसी बीमारी का कारण हो सकता है? अक्सर रील्स में या सोशल मीडिया पर इस तरह का दावा किया जाता है। हम वहीं से जानकारी पढ़ने के बाद डर जाते हैं। चलिए, एक्सपर्ट्स- डॉ. जयेश शर्मा (कैंसर सर्जन), डॉ. अर्जुन राज (आयुर्वेदिक), डॉ. मनोज जांगिड़ (होम्योपैथिक) से समझते हैं कि हरा आलू कितना खतरनाक (Are green potatoes harmful) है?
इस तरह के तमाम सवाल यूजर्स गूगल पर सर्च भी कर रहे हैं। जिनके जवाब आपको नीचे आर्टिकल में मिल जाएंगे।
एक आलू बेचने वाले ने बताया कि हरे आलू को लेकर कस्टमर बहुत ज्ञान दे जाते हैं और अजीब से सवाल करने लगते हैं। हम उनके ऐसे सवाल सुनने के बाद खुद कोशिश करते हैं कि हरे आलू को पहले ही अलग रख दें। इसमें हमारा नुकसान ही होता है। क्योंकि, किसान हमें सारे आलू एक साथ तौल कर देते हैं जबकि, कस्टमर छांटकर खरीदते हैं।
सफेद आलू, लाल आलू पर हरे कलर का होना सही नहीं होता है। अक्सर इसको लेकर आपने कई जगहों पर पढ़ा भी होगा। जब आलू धूप या रोशनी के संपर्क में आता है, तो वह क्लोरोफिल बनाना शुरू कर देता है, जिससे उसका रंग हरा हो जाता है। क्लोरोफिल अपने आप में हानिकारक नहीं है, लेकिन हरा रंग इस बात का संकेत है कि आलू में 'सोलेनाइन' (Solanine) नामक प्राकृतिक जहर की मात्रा बढ़ गई है।
विज्ञान के मुताबिक, सोलेनाइन एक न्यूरोटॉक्सिन है। ये खतरनाक होता है। डॉ. अर्जुन राज कहते हैं कि 'फूड पॉइजनिंग' का कारण बनता है। इसलिए इसे खाने से बचना चाहिए। अगर आपने हरे रंग का आलू खाते हैं तो जी मिचलाना और उल्टी, पेट में तेज दर्द और दस्त, सिरदर्द और चक्कर आना आदि लक्षण हो सकते हैं। इसलिए, लालू कड़वा लगने पर नहीं खाना चाहिए।
डॉ. जयेश शर्मा (कैंसर सर्जन) का कहना है कि सोशल मीडिया पर ये सूचना सिर्फ डर फैलाती है। जबकि, सोलेनाइन एक न्यूरोटॉक्सिन है। इससे कैंसर नहीं हो सकता है। हां, अगर आप सेवन करते हैं तो फूड पॉइजनिंग हो सकती है। यही वजह है कि इसे नहीं खाना चाहिए। अगर आप इसका सेवन करेंगे तो आपको पेट दर्द, उल्टी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
डॉ. मनोज जांगिड़ भी कहते हैं, हमने भी हरे आलू के बारे में काफी कुछ सुना है। इसको लेकर खूब डर फैलाया जाता है। पर, तथ्य नहीं मिलते हैं कि इससे किसी की मौत हो सकती है या फिर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। बल्कि, हमें सिर्फ इसे खाने से बचना है ताकि विषाक्त आलू का हिस्सा हमारे शरीर में ना जाए।
थोड़ा सा हरा हिस्सा- अगर आलू में बस एक छोटा सा हिस्सा हरा है, तो उसे गहराई से काटकर निकाल दें। बाकी आलू सुरक्षित है। उसका सेवन किया जा सकता है।
ज्यादा हरा आलू- अगर आलू का बड़ा हिस्सा हरा हो चुका है, तो उसे फेंक देना ही बेहतर है।
अंकुरित आलू- आलू के जो 'अंकुर' या आंखें निकल आती हैं, उनमें भी सोलेनाइन की मात्रा अधिक होती है, उन्हें हमेशा काटकर निकाल दें।
ये एक आम धारणा है कि आलू को उबालने या पकाने पर उससे जहरीले पार्ट्स निकल जाएंगे। पर सोलेनाइन के साथ ऐसा नहीं होता है। उबालने या तलने (Cooking) से भी सोलेनाइन खत्म नहीं होता है।
डॉ. अर्जुन का कहना है कि आलू को कई लोग कहीं पर भी रख देते हैं। इसके साथ बहुत कैजुअल व्यवहार किया जाता है। जबकि, आलू का रख-रखाव सही तरीके से करना जरूरी है। अगर आप आलू को गलत तरीके से रखते हैं तो इससे वो खाने लायक नहीं रह जाता है। आलू को हमेशा अंधेरी और ठंडी जगह पर रखें। आलू को प्याज के साथ रखने पर वो जल्दी अंकुरित हो जाएंगे। इससे वो खाने लायक नहीं रह जाते।
इन्हें सीधे धूप या किचन की तेज लाइट से दूर रखें। क्योंकि, धूप के कारण आलू हरे हो सकते हैं। अंकुरित आलू या हरे आलू में सोलेनाइन हो जाएगा जिसको खाना हेल्थ के लिए सही नहीं होगा। इसलिए आलू का रख रखाव सुरक्षित तरीके से करें।
आलू पर आपको ये जानकारी कैसी लगी? आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। साथ ही नया आलू Vs पुराना आलू, दोनों में से अधिक फायदेमंद कौन-सा है। डायबिटीज वालों को कौन-सा आलू खाना चाहिए? इस पर भी एक आर्टिकल आपको पत्रिका स्पेशल पर पढ़ने के लिए मिल जाएगा।
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क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?
Published on:
24 Dec 2025 09:00 am


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