Patrika Logo
Switch to English
होम

होम

वीडियो

वीडियो

प्लस

प्लस

ई-पेपर

ई-पेपर

प्रोफाइल

प्रोफाइल

लेख: मोदी सरकार का आतंकवाद के खिलाफ अटूट संकल्प

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल अपने इस लेख में बताते हैं कि भारत आज उस निर्णायक दौर में है, जब हर नागरिक यह महसूस कर सकता है कि “राष्ट्रहित सर्वोपरि” अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि शासन की आत्मा बन चुका है।

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

पूरी खबर सुनें
  • 170 से अधिक देशों पर नई टैरिफ दरें लागू
  • चीन पर सर्वाधिक 34% टैरिफ
  • भारत पर 27% पार्सलट्रिक टैरिफ
पूरी खबर सुनें
Red Fort blast college student Jasir Bilal building drone terrorize Delhi NIA on remand
10 नवंबर को दिल्ली में लाल किला के बाहर हुए कार धमाके के बाद मुस्तैद जवान।

आज जब हम अपने देश की सुरक्षा को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की दिशा में निरंतर अग्रसर हैं, तब आतंक के कुछ ऐसे कायरतापूर्ण हमले सिर्फ निर्दोषों की जान नहीं लेते, बल्कि हमारे सामूहिक आत्मसम्मान को भी ललकारते हैं। आज का भारत आतंक की भाषा को उसी की जुबान में जवाब देना जानता है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश ने बीते वर्षों में आतंक पर जीरो टॉलरेंस नीति एवं राष्ट्रहित पर कोई समझौता नहीं करने की रणनीति अपनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने “जीरो टॉलरेंस” की नीति को सिर्फ नारा नहीं, बल्कि शासन का स्थायी सिद्धांत बना दिया है। चाहे सीमा पार से आने वाले आतंकी हमले हों, या देश के भीतर की कट्टरवादी गतिविधियां मोदी सरकार ने हर स्तर पर यह साबित किया है कि भारत अब न तो चुप रहेगा और न झुकेगा। आतंकवाद के खिलाफ यह दृढ़ नीति न केवल सीमाओं पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी देखने को मिली है। मोदी सरकार ने संयुक्त राष्ट्र और जी-20 जैसे मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई की पैरवी की है। पाकिस्तान जैसे आतंक प्रायोजक देशों को अंतरराष्ट्रीय दबाव में लाकर अलग-थलग किया गया है।

राष्ट्रहित सर्वोपरि: मोदी सरकार के निर्णायक कदमों से ध्वस्त आतंकी मंसूबे

भारत आज उस निर्णायक दौर में है, जब हर नागरिक यह महसूस कर सकता है कि “राष्ट्रहित सर्वोपरि” अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि शासन की आत्मा बन चुका है। भारत आज विश्व के सामने उस राष्ट्र के रूप में खड़ा है जो अपने नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान के लिए हर सीमा तक जाने का साहस रखता है।  पिछले केवल एक महीने की बात की जाए तो भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने घरेलू चरमपंथियों और विदेशी प्रायोजित नेटवर्कों द्वारा कई राज्यों में रची जा रही 9 से ज्यादा बड़ी आतंकी साजिशों पर विराम लगाया है, जिससे जैश-ए-मोहम्मद, ISIS-K, AQIS, BKI और अन्य के द्वारा देश में अंजाम दिए जाने वाले हमलों पर प्रभावी रोक लग पाई है। मोदी सरकार के सख्त नीति का परिणाम है कि 10 नवंबर को फरीदाबाद में 2,900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त करते हुए डॉक्टर मुजम्मिल शकील, डॉ शाहीना, डॉ आदिल अहमद, डॉ मोहिउद्दीन सईद के साथ-साथ पुलवामा और लखनऊ से जुड़े कई आतंकियों की गिरफ्तारी हुई है। फरीदाबाद में अल फलाह यूनिवर्सिटी के टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश किया गया है। पिछले एक महीने में कई आतंकी मॉड्यूल को निष्क्रिय किया गया है। 9 नवंबर को ISIS-K मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया, 7 नवंबर को गुजरात एटीएस ने एक महिला सहित चार आतंकियों को गिरफ्तार किया, 7 नवंबर को ही राजस्थान में TTP से जुड़ा एक प्रचारक गिरफ्तार किया गया, 28 अक्टूबर को पुणे में AQIS का तकनीकी विशेषज्ञ पकड़ा गया, 24 अक्टूबर को दिल्ली में ISIS से प्रेरित ऑनलाइन मॉड्यूल नाकाम किया गया, 15 अक्टूबर को पंजाब में ड्रोन-हथियार और ड्रग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया गया, 13 अक्टूबर को जैश-ए-मोहम्मद के कट्टरपंथ-वित्तपोषण मॉड्यूल का पर्दाफ़ाश हुआ और 9 अक्टूबर को जालंधर में ISI समर्थित BKI की IED साज़िश नाकाम किया गया है। यह महज कुछ ऐसी घटनाएं है जिनको देश की सेना और पुलिस बल ने सूझबूझ से रोक लगाई है।  पिछले 11 वर्षों में ऐसे हजारों हमलों को हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने टाला है। आज भारत में आतंकवाद अपनी आखिरी सांसे गिन रहा है लेकिन विपक्ष की तुष्टिकरण की राजनीति के कारण कभी-कभी उन्हें बूस्टर मिल जाता है।

कांग्रेस ने आतंक के खिलाफ हर लड़ाई को किया कमजोर

देशवासियों को यह याद रखना होगा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई केवल गोलियों या बमों से नहीं लड़ी जाती, बल्कि नीतियों, कानूनों और राजनीतिक इच्छाशक्ति से लड़ी जाती है। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने वर्ष 2002 में आतंकवाद की जड़ काटने के लिए ‘पोटा’ (POTA) कानून लागू किया था, तब उसका उद्देश्य स्पष्ट था ‘देश की एकता और नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखना।’ लेकिन वर्ष 2004 में जब केंद्र में विपक्षी दल की सरकार आई, तो उसने इस कठोर कानून को रद्द कर दिया और आतंक के खिलाफ भारत की लड़ाई को कमजोर कर दिया। परिणामस्वरुप देश ने अगले कुछ वर्षों में आतंक का भयावह रूप देखा जहां एक के बाद एक आतंकी हमले हुए और सैकड़ों निर्दोष नागरिक मारे गए।

इसका दुष्परिणाम वर्ष 2005 में ही दिखा जब अयोध्या में रामलला के टेंट पर हमला हुआ,जिसका उद्देश्य केवल एक धार्मिक स्थल को निशाना बनाना नहीं था, बल्कि भारत की आस्था पर वार करना था। इसके एक साल बाद ही 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में बम धमाके हुए जिसमें 187 लोग मारे गए। उसी वर्ष जम्मू-कश्मीर के डोडा और उधमपुर में हिंदू समुदाय पर हमला हुआ, जिसमें 34 लोगों की जान गई। वर्ष 2007 में हैदराबाद में धमाके हुए, 44 लोग मारे गए, लखनऊ और वाराणसी में भी आतंकियों ने अपनी नापाक हरकत को अंजाम दिया था। वर्ष 2008 वह साल था जब देश ने आतंक का सबसे भयावह चेहरा देखा ‘मुंबई हमले के रूप में’, जिसमें 246 निर्दोष नागरिक मारे गए। उसी वर्ष जयपुर, अहमदाबाद और दिल्ली में भी बम धमाकों की श्रृंखला चली, जिसमें दर्जनों जानें गईं। पुणे की जर्मन बेकरी पर हमला, वर्ष 2010 का वाराणसी धमाका और वर्ष 2011 में मुंबई में हुए विस्फोट ने साबित कर दिया कि उस समय की कांग्रेस सरकार न केवल आतंकियों को रोकने में नाकाम रही, बल्कि देश को भय और असुरक्षा के साये में छोड़ दिया। वर्ष 2005 से 2011 तक के बीच, आतंकवादियों ने भारत की धरती पर 27 बड़े हमले किए, जिनमें लगभग 1000 निर्दोष नागरिक मारे गए। यही नहीं, जब-जब भारत के आतंकी दुश्मन देश छोड़ कर भागे हैं, तब भी कांग्रेस की सरकार ही सत्ता में थी। दाऊद इब्राहिम साल 1986 में देश से भागा, सैय्यद सलाउद्दीन 1993 में, टाइगर मेमन और अनीस इब्राहिम भी 1993 में, रियाज भटकल साल 2007 में और इकबाल भटकल 2010 में भागे, हर बार सत्ता कांग्रेस की थी। आतंकियों के भागने का यह सिलसिला इस बात का प्रमाण है कि उस दौर में आतंक पर अंकुश लगाने की कोई राजनीतिक इच्छा ही नहीं थी। विपक्षी दलों की इस लापरवाही का परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच देश में 7,217 आतंकवादी घटनाएं घटित हुईं।

मगर जब वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार आई, तब तस्वीर बदलनी शुरू हुई। वर्ष 2019 में आतंकवादियों पर कड़े प्रहार के लिए विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक (यूएपीए) लागू किया गया है। मोदी सरकार ने आतंकवादियों को न केवल सीमाओं पर जवाब दिया गया बल्कि उनकी फंडिंग, नेटवर्क और ठिकानों पर भी निर्णायक वार किया। इस सख्त नीति का परिणाम आंकड़ों में साफ झलकता है। वर्ष 2014 से 2024 के बीच आतंकवादी घटनाओं की संख्या घटकर मात्र 2,242 रह गई। यानी घटनाओं में लगभग 70% की कमी आई। नागरिकों की मौतों में 81% की गिरावट दर्ज की गई और सुरक्षाकर्मियों की हताहत संख्या 50% घट गई। वर्ष 2004 में जहां 1,587 आतंकवादी घटनाएं हुई थीं, वहीं 2024 में यह संख्या घटकर मात्र 85 रह गई। 2004 में नागरिकों की मृत्यु 733 थी, जबकि 2024 में यह घटकर 26 रह गई। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि जब सरकार की नीयत साफ हो और नेतृत्व निर्णायक हो, तब आतंक की जड़ें हिलती हैं।

आज जब हम दिल्ली या किसी अन्य हिस्से में आतंकवादी घटनाओं की बात करते हैं, तो यह भी याद रखना होगा कि जिस राजनीतिक दल ने आतंक के खिलाफ कानून को कमजोर किया, उसी ने देश को इन हालातों तक पहुंचाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने दिखाया कि दृढ़ निश्चय, आधुनिक तकनीक, वैश्विक कूटनीति और सशक्त सुरक्षा नीति से आतंकवाद को न केवल रोका जा सकता है बल्कि उसकी जड़ों को भी खत्म किया जा सकता है। कांग्रेस ने जहां आतंक के खिलाफ हर लड़ाई को कमजोर किया, वहीं मोदी सरकार ने आतंक के फन को कुचलने का काम किया। यही अंतर है एक “राष्ट्र-प्रथम” और “राजनीति-प्रथम” की मानसिकता रखने वाली सरकार में। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर जैसे ऑपरेशन ने सिद्ध किया है कि नया भारत आतंकवाद, सीमा पार घुसपैठ और राष्ट्र विरोधी ताकतों के विरुद्ध न तो चुप बैठता है, न ही झुकता है, वह निर्णायक कार्रवाई करने में विश्वास रखता है।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

अभी चर्चा में
(35 कमेंट्स)

अभी चर्चा में (35 कमेंट्स)

User Avatar

आपकी राय

आपकी राय

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?


ट्रेंडिंग वीडियो

टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

User Avatar