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सतना के छोरे का कमाल! सानिध्य का ‘फाइबर ऑप्टिक सेंसिंग’ देश में प्रथम

उपलब्धि: गूगल क्लाउड फ्यूचरएक्स 2025 के राष्ट्रीय विजेता बने, 5500 स्टार्टअप्स को पछाड़ा

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sanidhya

सतना। सतना के सानिध्य चतुर्वेदी ने गूगल क्लाउड फ्यूचर एक्स के राष्ट्रीय विजेता बनकर इतिहास रच दिया है। यह डीप टेक छात्र उद्यमियों द्वारा शुरू किए गए स्टार्टअप्स के लिए सबसे बड़ा मंच है।

आईआईटी मद्रास में पढ़ रहे सानिध्य का फाइबर ऑप्टिक सेंसिंग से जुड़ा स्टार्टअप 'फोलियम सेंसिंग' ने फ्यूचर एक्स में विश्व स्तरीय नवाचार का प्रदर्शन किया। इसे देश के सबसे आशाजनक डीप-टेक उपक्रमों में से एक माना गया है। गूगल मुख्यालय पर आयोजित इस प्रतियोगिता में सानिध्य के स्टार्टअप की पिच को असाधारण घोषित किया गया और कहा गया कि यह प्रोजेक्ट भविष्य की महत्वपूर्ण चुनौतियों को बड़े पैमाने पर हल करने की बेहतर क्षमता रखता है। फ्यूचर एक्स 2025 की प्रतियोगिता में देशभर से लगभग 5,500 स्टार्टअप्स ने भाग लिया था। फिनाले से पहले, पांच आईआईटी में क्षेत्रीय प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें से हर जगह से दो-दो स्टार्टअप चुने गए। इस तरह गूगल हेडक्वार्टर में 10 स्टार्टअप्स के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा थी, जिसमें सानिध्य को विजेता घोषित किया गया।

शुरू से प्रतिभाशाली रहे हैं सानिध्य

मध्य प्रदेश के सतना जिले के निवासी सानिध्य ने अपनी स्कूलिंग सेंट माइकल से की। अभी वे आईआईटी मद्रास से इलेक्टि्रकल इंजीनियरिंग में एमटेक अंतिम वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने गेट परीक्षा में 11वीं रैंक हासिल की थी। जेई में प्रथम रैंक आई थी। कैट भी इन्होंने 99.4 फीसदी अंक के साथ क्लियर की है। अब वे एमटेक के साथ स्टार्टअप की दुनिया में अपना परचम लहरा रहे हैं।

रक्षा, औद्योगिक निगरानी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन

सानिध्य ने पत्रिका को बताया कि उनका स्टार्टअप 'फोलियम सेंसिंग' फाइबर-ऑप्टिक आधारित सेंसिंग में नए समाधान दे रहा है। यह स्टार्टअप रक्षा, औद्योगिक निगरानी और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला रहा है। उनके स्टार्टअप की क्षमता को देखते हुए देश-विदेश की कई कंपनियों और राष्ट्रीय संस्थानों ने उनके साथ करार किया है। इस साझेदारी से 'फोलियम सेंसिंग' ऑक्यूपेशनल हेल्थ, पर्यावरण निगरानी और इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षा में नए मापदंड स्थापित कर रहा है। सानिध्य ने बताया कि उनके पास 15 से अधिक पेटेंट हैं जो भारतीय तकनीक के विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। आने वाले 5 सालों में यह तकनीक 30,000 करोड़ रुपए से अधिक के सेक्टर को बदल सकती है। सानिध्य के माता-पिता श्रवण कुमार चतुर्वेदी और स्नेहलता चतुर्वेदी दोनों शासकीय शिक्षक हैं।

ये हैं स्टार्टअप के उत्पाद

1. डीएएस (डिस्ट्रीब्यूटेड अकॉस्टिक सेंसिंग): यह प्रणाली कंपनियों की पाइपलाइनों, संरचनाओं और अन्य अवसंरचनाओं की सुरक्षा पर नजर रखने की सुविधा देती है। इससे उनके टूटने या लीकेज जैसी समस्याओं का पता समय रहते चल जाता है। गेल इंडिया ने अपने साउथ इंडिया के प्रोजेक्ट पर इस प्रणाली का उपयोग प्रारंभ कर दिया है।

2. टीटीएस (डिस्ट्रीब्यूटेड ट्रेम्प्रेचर सेंसिंग): यह तापमान को पूरी प्रणाली में हर जगह मापने में मदद करता है। इस प्रणाली का उपयोग मल्टीनेशनल कंपनी फोर्ब्स मार्शल कर रही है। उत्तर प्रदेश की विभिन्न टनल में इसका उपयोग किया जा रहा है। इस प्रणाली को लेकर रेलवे की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग आरडीएसओ ने रुचि दिखाई है। इसके प्रमुख अनिरुद्ध गौतम इस प्रणाली को अपने यहां प्रारंभ करने की दिशा में अंतिम चरण में हैं। पंबन ब्रिज में इस प्रणाली का प्रदर्शन हुआ है। सेना में भी एक स्थल पर इस प्रणाली का प्रयोग हुआ है। जहां ड्रोन और कैमरा के साथ ऑप्टिकल फाइबर को इंटीग्रेट कर रहे हैं, ताकि सीमा सुरक्षा और दुश्मन गतिविधियों का समय पर पता लगाया जा सके। सेना इस प्रणाली पर अपनी रुचि दिखा रही है।

3. डीएसएस (डिस्ट्रीब्यूटेड स्ट्रेन सेंसिंग): यह प्रणाली संरचनाओं में तनाव और दबाव को मापने के लिए काम आती है। इससे निर्माण परियोजनाओं और सेतु जैसे महत्वपूर्ण ढांचों की देखभाल की जा सकती है। जापान की कंपनी टीडीके इस प्रणाली को लेने जा रही है। टाटा स्टील के साथ टंडिस मॉनीटरिंग जैसी परियोजनाओं में भागीदारी शुरू हो चुकी है। माइनिंग उद्योग और स्टील उत्पादन के क्षेत्र में अत्यधिक प्रभावी साबित हो रही है।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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