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भीलवाड़ा के जुड़वां भाइयों के फिंगरप्रिंट और रेटिना ‘हमशक्ल’

सामान्यतः यह माना जाता है कि दुनिया के किन्हीं भी दो व्यक्तियों के रेटिना और फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं हो सकते, लेकिन जुड़वां भाई समीर और अमीर इस अवधारणा को खुली चुनौती दे रहे हैं। उनके बायोमीट्रिक निशान एक समान पाए गए हैं। इसके चलते उन्हें सरकारी पहचान प्रक्रिया में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पढि़ए राजस्थान पत्रिका के नरेन्द्र वर्मा की विशेष स्टोरी ।

भीलवाड़ा। जिले में एक ऐसा दुर्लभ मामला सामने आया है जिसने बायोमीट्रिक विज्ञान के आधारभूत सिद्धांत को सवालों के घेरे में ला दिया है। सामान्यतः यह माना जाता है कि दुनिया के किन्हीं भी दो व्यक्तियों के रेटिना और फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं हो सकते, लेकिन जुड़वां भाई समीर और अमीर इस अवधारणा को खुली चुनौती दे रहे हैं। उनके बायोमीट्रिक निशान एक समान पाए गए हैं। इसके चलते उन्हें सरकारी पहचान प्रक्रिया में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पढि़ए राजस्थान पत्रिका के नरेन्द्र वर्मा की विशेष स्टोरी ।

जानकारी के अनुसार मांडल के रूपपुरा निवासी मोमिन खान के 15 वर्षीय जुड़वां बेटे समीर और आमिर बचपन से हर चीज में ‘हमशक्ल’ हैं। समस्या तब शुरू हुई जब 10 साल की उम्र के बाद उनके आधार कार्ड को अपडेट करने की बारी आई। 3 अगस्त 2009 को जन्मे दोनों बेटों के आधार कार्ड तब बिना किसी रुकावट के बन गए थे, क्योंकि छोटे बच्चों के लिए फिंगरप्रिंट और रेटिना का मिलान अनिवार्य नहीं होता। बेटों की उम्र बढ़ने पर जब मोमिन खान आधार कार्ड अपडेट कराने सेंटर पहुंचे, तो यह दुर्लभ समस्या सामने आई। समीर के आधार में बायोमीट्रिक अपडेट होता है, तो आमिर का आधार कार्ड निरस्त हो जाता है, और इसके विपरीत भी यही होता है। यह क्रम सात-आठ बार से अधिक और इस साल अप्रेल से दिसंबर के बीच दस बार से अधिक बार दोहराया गया है।

एसडीएम कार्यालय से कलक्ट्रेट के चक्कर काटे

खेतीबाड़ी करने वाले मोमिन खान और चचेरे भाई अमजद खान लगातार कलक्ट्रेट, मांडल एसडीएम कार्यालय और विभिन्न आधार सेंटरों के चक्कर काट चुके हैं। इसके बावजूद उनका कोई समाधान नहीं निकाल पाया। इस ‘बायोमीट्रिकगड़बड़ी’ के कारण आमिर की ई-केवाईसी नहीं हो पा रही। इससे उसके भविष्य और बैंक खाते के उपयोग को लेकर परिवार की चिंता बढ़ी हुई है। परिजन बताते हैं कि समस्या से मुक्ति के लिए वह आधार कार्ड में दोनों की जन्म तिथि भी अलग-अलग कर चुके हैं। आधार सेंटर के कर्मचारियों ने भी गहन जांच की। उनका दावा है कि दोनों भाइयों के फिंगरप्रिंट और रेटिना स्कैन करीब एक जैसे हैं, इसी कारण समस्या आ रही है।

मेडिकल बोर्ड से मिल सकती है मदद

उधर, पत्रिका ने जब इस संबंध में संबंधित विशेषज्ञ चिकित्सकों से बात की तो उनका कहना था कि यह वास्तव में आश्चर्यजनक है। लेकिन आधार कार्ड के अपडेशन का एक मेडिकल आधार पर रास्ता भी संभव है। बच्चों के माता-पिता महात्मा गांधी चिकित्सालय के मेडिकल जूरिस्ट विभाग में एक प्रार्थना पत्र देकर मेडिकल बोर्ड का गठन करवा कर एक सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें आगे सभी जगह इसका लाभ मिलेगा और आधार कार्ड भी अपडेट हो सकेगा।