AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव से हाल ही में जारी किए गए डॉक्यूमेंट्स से पता चला है कि पाकिस्तान के 'न्यूक्लियर' से अमेरिका और रूस दोनों घबरा गए थे।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बातचीत में पाकिस्तान की न्यूक्लियर प्रसार गतिविधियों को लेकर गहरी चिंताएं सामने आईं थीं। दोनों नेताओं ने कहा था कि इस स्थिति से उन्हें घबराहट हो रही है।
नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव द्वारा इस हफ्ते जारी किए गए डॉक्यूमेंट्स में 2001 से 2008 तक दोनों नेताओं के बीच बैठकों और कॉल्स के हूबहू रिकॉर्ड शामिल हैं।
इन डॉक्यूमेंट्स में यह खुलकर बताया गया है कि कैसे पाक सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया की न्यूक्लियर बनाने में मदद कर रहे थे?
2005 में ओवल ऑफिस में एक अहम बातचीत के दौरान पुतिन ने ईरानी सेंट्रीफ्यूज में पाए गए पाकिस्तानी मूल के यूरेनियम के सबूत दिखाए।
पुतिन ने कहा- यह साफ नहीं है कि ईरान की लैब में क्या है? लेकिन एक बात जाहिर है पाकिस्तान अभी भी उन्हें न्यूक्लियर बनाने में सहयोग कर रहा है।
बुश ने इसके जवाब में कहा- मैंने इस बारे में मुशर्रफ से बात की थी। मैंने उनसे कहा था कि हम ईरान और उत्तर कोरिया को आपके परमाणु ट्रांसफर को लेकर चिंतित हैं।
इस पर उन्होंने पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक AQ खान को जेल में डाल दिया है और उनके कुछ साथियों को भी हाउस अरेस्ट में रखा है।
बुश ने आगे कहा- मैं मुशर्रफ को यह याद दिलाता रहता हूं। या तो उन्हें कुछ नहीं मिल रहा है या वे खुलकर नहीं बता रहे हैं। पुतिन ने ईरानी सेंट्रीफ्यूज में पाए गए पाकिस्तानी मूल के यूरेनियम और अवैध प्रसार नेटवर्क से संभावित संबंधों के बारे में चिंताओं को उजागर करते हुए कहा- जहां तक मुझे समझ में आता है, उन्हें सेंट्रीफ्यूज में पाकिस्तानी मूल का यूरेनियम मिला है।
बुश ने अवैध ट्रांसफर में पाकिस्तान की भूमिका को स्वीकार किया और पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा अधूरी जानकारी दिए जाने पर निराशा भी जाहिर की।
पुतिन ने कहा- यह पाकिस्तानी मूल का था। इससे मुझे घबराहट होती है। जिस पर बुश ने जवाब दिया- इससे हमें भी घबराहट होती है। वहीं , 2001 में स्लोवेनिया में अपनी बैठक में पुतिन ने पाकिस्तान की जमकर आलोचना की थी।
पुतिन ने कहा- मुझे पाकिस्तान की चिंता है। यह सिर्फ न्यूक्लियर हथियारों वाला एक मिलिट्री शासन है। यह कोई लोकतंत्र नहीं है, फिर भी पश्चिम इसकी आलोचना नहीं करता। इस बारे में बात करनी चाहिए।
दोनों नेताओं ने पाकिस्तान की अंदरूनी स्थिति, राजनीतिक अस्थिरता और न्यूक्लियर कमांड सिस्टम को लेकर चिंता जताई, उन्हें डर था कि टेक्नोलॉजी गलत हाथों में जा सकती है।
पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक एक्यू खान के नेटवर्क ने ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी बेची थी। ट्रांसक्रिप्ट से यह भी खुलासा हुआ है कि खान के इस नेटवर्क से दुनिया को खतरा था।
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Published on:
26 Dec 2025 01:39 pm


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