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बुजुर्ग बोले: ’29 दिन की कैद के बाद पेंशन वाले दिन मिलती पैरोल’

-जवाहर सर्किल स्थित मानव सेवा आश्रम परिसर में नाटक 'एटीएम' का मंचन-आश्रम के चार बुजुर्गों ने निभाए नाटक में मुख्य किरदार

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बुजुर्ग बोले: '29 दिन की कैद के बाद पेंशन वाले दिन मिलती पैरोल'
बुजुर्ग बोले: '29 दिन की कैद के बाद पेंशन वाले दिन मिलती पैरोल'

जयपुर। जीवन भर का अनुभव समेटे जब उम्र की पूंजी लुटाकर व्यक्ति रिटायर होता है, तो उसके पास आत्मसम्मान की दौलत के सिवा कुछ नहीं होता। बुजुर्गों को अपनी आर्थिक जरूरत के लिए 'एटीएम' की तरह इस्तेमाल करने वाले बच्चों को यह समझने की जरूरत है कि बुजुर्ग काम से 'रिटायर' हुए हैं, जीवन से नहीं। ऐसे ही जज्बात मंच पर देखने को मिले नाटक 'एटीएम' में। जवाहर सर्किल स्थित मानव सेवा आश्रम परिसर के रीक्रिएशन हॉल में रंगशाला संस्था के बैनर तले सोमवार को 'वरिष्ठ नागरिक दिवस' पर वरिष्ठ रंगकर्मी संजय पारीक के लिखे और मुकेश सिंह निर्देशित नाटक ने दर्शकों को अपने भविष्य और बुजुर्गों के प्रति उनके व्यवहार के बारे में सोचने पर विवश कर दिया।

पोती बोली डीए बढ़े तो पॉकेट मनी भी बढ़ाना
नाटक के जरिए रिटायर हो चुके बुजुर्गों की मनोदशा को भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया है। कहानी एक बुजुर्ग नंदलाल की है, जो अपनी टीनएजर पोती नंदिनी के साथ हर महीने की एक तारीख को पेंशन लेने के लिए बैंक जाते है। पोती अपने दादा को बैंक तक लाने, पेंशन मिलने तक रुकने और वापस घर तक ड्रॉप करने के 'मेहनताने' के रूप में उसी पेंशन से पॉकेटमनी भी लेती है। वह अक्सर अपने दादा से कहती है कि जब-जब सरकार उनकी पेंशन बढ़ाए तो वह भी उसकी पॉकेट मनी बढ़ाना न भूलें। इधर बूढ़े पेंशनर को इस बात की खुशी है कि वह इस एक दिन अपने सभी साथियों से मिलकर दिल की बात कर लेते हैं। बैंक मैनेजर भी उन सबको एक अलग कमरे में बिठाकर उनके खाने-पीने का पूरा ध्यान रखता है। एक बैंककर्मी के इस आवभगत का कारण पूछने पर वह कहता है कि यह उनका आने वाला भविष्य है, इसलिए वह इन्हें इतना सम्मान देते हैं। वहीं आपसी बातचीत में नंदलाल कहते हैं कि 29 दिन घर की जेल में रहने के बाद इस एक दिन की 'पैरोल' का उन्हें सबसे ज्यादा इंतजार रहता है। नाटक बुजुर्गों की अकेलेपन की छटपटाहट और दिल की बात कहने के लिए कोई हमजुबां ढूंढने की बेबसी को सार्थक तरीके से प्रस्तुत करता है।

आश्रम के बुजुर्गों ने निभाए मुख्य पात्र
निर्देशक मुकेश सिंह ने बताया कि नाटक के मुख्य पात्र आश्रम के ही बुजुर्गों ने निभाए हैं, जिनकी उम्र 70 से ज्यादा है। नाटक में कुल 9 पात्र थे। विश्वनाथ अग्रवाल ने दादा नंदलाल, वीना सक्ससेना ने रिटायर कर्मचारी सुहासिनी, एस के सेन गुप्ता ने बैंक मैनेजर, कृष्णा बिंदल सुलक्षणा, प्रवीण सिंह ने बैंक क्लर्क का किरदार निभाया। प्रवीण आश्रम के योगा टीचर हैं। इन सभी ने 25 दिन की वर्कशॉप में अपने किरदार तैयार किए। खासकर नंदलाल बने अग्रवाल ने जिस सहजता से लंबे संवाद बोले, वह दर्शकों के दिल को छू गया। अग्रवाल को इससे पहले ब्रेन स्ट्रोक भी हो चुका है और कोरोना महामारी के वक्त उनकी पत्नी भी चल बसीं। अब वह आश्रम में ही रहते हैं।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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