AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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लखनऊ - उत्तर प्रदेश इन दिनों मौसम के दो रूप देखने को मिल रहे हैं। बुंदेलखंड में आसमान से बारिश की झड़ी है वहीं पूर्वांचल के खेतों में धूल उड़ रही है। 29 जिलों में सूखे जैसे हालात हैं और सबसे खराब स्थिति देवरिया, कुशीनगर और संत कबीरनगर जैसे जिलों की है। जुलाई के आखिरी सप्ताह तक इन इलाकों में बारिश नहीं हुई तो यूपी के आधे से ज्यादा जिलों में खरीफ सीजन में उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
बुंदेलखंड में इस मानसून में अबतक जमकर बारिश हुई है। ललितपुर में सामान्य से 242% ज्यादा बारिश हुई, वहीं देवरिया में सिर्फ 6.5% ही पानी गिरा। इस असंतुलन ने राज्य के 75 में से आधे से ज्यादा जिलों को दो हिस्सों में बांट दिया है एक जहां बाढ़ का खतरा है, और दूसरा जहां सूखे की मार। राज्य में धान की नर्सरी तो 99% तैयार है, लेकिन औसत से कम बारिश के कारण 65% ही रोपाई हो सकी है। मक्का, बाजरा, तिल जैसी फसलें भी आधी-अधूरी बोई गई हैं।
खरीफ सीजन में उत्पादन को लेकर कृषि विभाग ने सिंचाई और ऊर्जा विभाग को पत्र लिखकर सहयोग मांगा है। लेकिन 29 जिलों में सिंचाई की कोई प्रभावी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है।राज्य सरकार अब उन 16 जिलों पर नजर रखे हुए है जहां 40% से भी कम बारिश हुई है।

मौसम विभाग के अनुसार समुद्र सतह का तापमान और क्षेत्रीय नमी जैसे कारकों ने मानसून को कमजोर कर दिया है। पूर्वांचल जैसे इलाकों में अब सामान्य स्थिति लौटेगी या नहीं, इस पर संशय है।

सवाल ये है कि क्या राज्य सरकार इस असंतुलित मानसून से उपजे संकट को गंभीरता से लेगी या फिर किसान एक बार फिर अपनी किस्मत के भरोसे छोड़ दिए जाएंगे?
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
23 Jul 2025 03:19 pm
Published on:
23 Jul 2025 03:14 pm


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