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चुनाव की हवा थमते ही बहने लगी असंतोष की बयार

तीन कैबिनेट मंत्रियों की ओर से तीन उप मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की मांग ने पार्टी के भीतर चल रहे उठापटक का संकेत दे दिया है।

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Siddaramaiah vs DK Shiva kumar

लोकसभा चुनाव की हवा थमते ही सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर असंतोष की बयार बहने लगी है। तीन कैबिनेट मंत्रियों की ओर से तीन उप मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की मांग ने पार्टी के भीतर चल रहे उठापटक का संकेत दे दिया है।
लोक निर्माण मंत्री सतीश जरकीहोली, सहकारिता मंत्री केएन राजण्णा और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बीजेड जमीर अहमद खान ने सार्वजनिक रूप से तीन प्रमुख समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं को उप मुख्यमंत्री नियुक्ति करने की पुरानी मांग दोहराई है। सूत्रों का कहना है कि, सत्तारूढ़ कांग्रेस में फिलहाल कोई बड़ा बदलाव नहीं होने जा रहा है। यह पार्टी के भीतर बने सत्ता के अलग-अलग केंद्रों के बीच आपसी टकराव का संकेत है। लेकिन, भविष्य में किसी बड़े बदलाव से इनकार नहीं किया जा सकता।
पिछले साल सरकार गठन के समय सत्ता की साझेदारी को लेकर जिस ढाई-ढाई साल के फार्मूले की बात कही जा रही थी माना जा रहा है कि, वह गलत नहीं है। सिद्धरामय्या जब मुख्यमंत्री बने तो यह भी तय हुआ कि, डीके शिवकुमार जब तक उप मुख्यमंत्री रहेंगे, प्रदेश अध्यक्ष का पद भी उन्हीं के पास रहेगा। लेकिन, सरकार गठन के तुरंत बाद कुछ सिद्धरामय्या समर्थक मंत्रियों ने उनके 5 साल तक मुख्यमंत्री बने रहने की बात कहने लगे। पार्टी के भीतर कुछ नेता मानते हैं कि, सिद्धरामय्या समर्थकों ने तब यह मुद्दा उठाने में काफी जल्दीबाजी कर दी। अब जहां फिर से नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की चर्चा हो रही है वहीं, तीन उप मुख्यमंत्री नियुक्त करने की भी मांग जोर पकडऩे लगी है।

आपसी टकराव के संकेत
प्रदेश कांग्रेस में चल रहे इस अंदरुनी उठापटक को मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने सिद्धरामय्या की चाल करार दिया है। भाजपा ने कहा है कि, यह सिद्धरामय्या और डीके शिवकुमार के बीच चल रही रस्साकशी का नतीजा है। दरअसल, तीन उप मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने वाले सतीश जारकीहोली, केएन राजण्णा और जमीर अहमद खान तीनों सिद्धरामय्या समर्थक माने जाते हैं। हालांकि, इन मांगों पर पार्टी के अधिकांश नेता सहमत हैं। उनका मानना है कि, अगर लोकसभा चुनाव से पहले लिंगायत, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय से तीन उप मुख्यंमत्री नियुक्त किए जाते तो उसका अधिक लाभ मिलता। इस बार कांग्रेस के लगभग 40 लिंगायत समुदाय के विधायक चुने गए हैं जबकि, दलित और अल्पसंख्यकों ने भी कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में खुलकर समर्थन किया।

बेवजह नहीं है उप मुख्यमंत्री पद की मांग
सूत्रों का कहना है कि, अगर ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर कांग्रेस अमल करती है तो दो सवाल उठेंगे। क्या, नए मुख्यमंत्री के चयन का फैसला प्रदेश कांग्रेस पर छोड़ा जाएगा? अगर हां, तो डीके शिवकुमार के मुख्यमंत्री बनने की राह मुश्किल होगी। तब, डॉ.जी.परमेश्वर दौड़ में आगे निकल सकते हैं। अगर, पार्टी हाईकमान नए मुख्यमंत्री पर फैसला करता है तो, काफी संभावना है कि, डीके शिवकुमार के नाम पर मुहर लगेगी। लेकिन, सिद्धरामय्या समर्थक इतने आसानी से नहीं मानेंगे। सूत्रों का कहना है कि, कम से कम चार उप मुख्यमंत्री और नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होगी। इन पदों पर सिद्धरामय्या समर्थकों की नियुक्ति होगी। इसलिए तीन उप मुख्यमंत्री पद की उठ रही मांग को केवल अटकलबाजी कहना जल्दीबाजी होगी। पार्टी के भीतर सत्ता के तीन केंद्र बन चुके हैं और भविष्य की चाल के लिए अभी से मोहरे सही जगह बैठाए जा रहे हैं।

चन्नपट्टण विस उपचुनाव पर भी दांव
इस बीच डीके शिवकुमार फिर एक बार चन्नपट्टण विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे। चन्नपट्टण में शिवकुमार के दौरे को भी इन्हीं सियासी उठापटक का एक हिस्सा माना जा रहा है। बेंगलूरु ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र भाई डीके सुरेश को मिली हार के बाद शिवकुमार चन्नपट्टण जीतकर फिर से अपनी पकड़ साबित करना चाहते हैं। संभावना जताई जा रही है कि, यहां से जद-एस की जगह भाजपा उम्मीदवार सीपी योगेश्वर चुनाव लड़ सकते हैं। अगर चन्नपट्टण से डीके सुरेश जीत जाते हैं तो इससे शिवकुमार की स्थिति मजबूत होगी। वोक्कालिगा बेल्ट के अधिकांश सीटों पर पहले से ही कांग्रेस विधायक हैं और चन्नपट्टण की जीत से शिवकुमार फिर एक बार क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करेंगे। शिवकुमार यहां कह भी चुके हैं कि, चन्नपट्टण से उनके राजनीतिक जीवन में नए अध्याय की शुरुआत होगी।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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