AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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शिवपुरी. शहर में पूरी रात हुई रिमझिम बारिश के बीच वार्ड 22 बड़ा बाजार कमलीगर मौहल्ले में शहरकाजी के आवास के सामने स्थित सौ साल पुराने हवेली टाइप मकान की एक दीवार भरभरा कर गिर गई। जिस मकान की दीवार गिरी, उसमें मशहूर फिल्म राइटर व शायर जावेद अख्तर अपने वालिद व दादा के साथ रहा करते थे। पिछले 12 घंटे हुई लगातार रिमझिम बारिश से हाईवे पर जहां बरसात का पानी भर गया, तो वहीं चांदपाठा झील लबालब हो जाने से घसारही के पुल झरना भी चल निकला। उधर मड़ीखेड़ा डैम का लेवल भी 336 मीटर के पार हो गया।
मड़ीखेड़ा का लेवल 336 मीटर के पार
ङ्क्षसध नदी पर बने मड़ीखेड़ा डैम का लेवल भी बढ़ते हुए 336 मीटर के पार पहुंच गया। डैम प्रभारी मनोहर बोराते ने बताया कि गुरुवार की शाम 4 बजे तक बांध का लेबल 336.25 मीटर तक पहुंच गया। फुल लेबल 346.25 मीटर है, यानि डैम अब 10 मीटर खाली है।
हाईवे पर पानी भरने से बिगड़े हालात
शिवपुरी शहर में बीते बुधवार की देर शाम से शुरू हुआ रिमझिम बारिश का दौर पूरी रात जारी रहा। इस दौरान बीच में कभी तेज बारिश भी होती रही। लगातार बारिश होने से हाईवे पर जल निकासी न होने से बड़ौदी के आगे फोरलेन हाईवे पर स्थित भैया होटल के पास सडक़ पर पानी भर गया। सडक़ पर चौतरफा पानी आने तथा निकासी न होने की वजह से छोटे वाहनों के जहां पूरे पहिए डूब रहे थे, तो वहीं बड़े वाहनों के निकलने से भी फव्वारे से चल रहे थे। यदि जल्द ही जल निकासी के लिए रास्ते नहीं बनाए तो यहां हाईवे की सडक़ गड्ढों में तब्दील होकर खतरनाक हो जाएगी, क्योंकि यह आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग होने से सबसे अधिक व्यस्ततम हाईवे है।
घसारही झील ओवर फ्लो
रात भर हुई बारिश का पानी नालों से होकर जाधव सागर तालाब किनारे से होकर करबला होते हुए चांदपाठा झील में पहुंचा तो झील लबालब हो गई। चांदपाठा झील का लेबल 1132 फीट फुल हो जाने की वजह से उसके गेट खोलकर पानी को घसारही में छोड़ा गया। उसके बाद घसारही पुल से लगातार पानी झरने की तरह बहता रहा और यह पानी सडक़ के नीचे से होकर कोटा-भगोरा की तरफ जा रहा है। इस नजारे को देखने के लिए यहां से गुजरने वाले लोग भी रुकते रहे।
जावेद का जन्म शिवपुरी में हुआ, गुजारे बचपन के 3 साल
कमलीगर मौहल्ले में रहने वाले हजमत अली ने बताया कि जिस मकान की दीवार गिरी है, उसमें जावेद अख्तर के दादा मुस्तर फेराबादी साहब (जो ग्वालियर स्टेट में सीनियर जज हुआ करते थे) रहते थे। बकौल हजमत अली, इसी मकान में जावेद अख्तर का जन्म हुआ था तथा वे तीन साल तक अपने वालिद मशहूर शायर अख्तर साहब के साथ इस घर में रहे थे, उसके बाद वे अपने दादा के साथ ग्वालियर चले गए थे। उन्होंने बताया कि मेरी तीन माह पूर्व ही जावेद अख्तर से मोबाइल पर बात हुई थी तथा उन्होंने मेरा फोन एक ही घंटी में उठा लिया था। उस दौरान जब हमने उनसे इस मकान के बारे में पूछा तो वे बोले कि वो हमारा पुश्तैनी मकान है, साथ ही उन्होंने कहा था कि हमारे उस घर के कुछ फोटोग्राफ हमें भेजना, लेकिन हजमत अली ने अभी तक उन्हें फोटो नहीं भेजे और आज वो दीवार ही गिर गई।

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Published on:
08 Aug 2024 11:32 pm


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