AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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चंडीगढ़ में हाल ही में नशे की लत के बुरी तरह शिकार बेटे की हत्या को लेकर उसके पूर्व डीजीपी पिता पर लगे आरोपों से जुड़े कई पहलू हैं। इनमें आपराधिक पहलू को देखने, समझने और न्याय करने का काम हमारा कानून और न्यायिक प्रणाली करेंगे। लेकिन, इसका जो दूसरा पहलू है नशे का, उस पर पुलिस, प्रशासन और समाज सभी को समग्रता व पूर्ण संवेदना के साथ समझने और इस पर अंकुश के उपाय करने की जरूरत है। यह मामला देश के लाखों करोड़ों उदाहरणों में से एक है, जो यह समझने के लिए काफी है कि नशे के सौदागर किस तरह बालपन में ही व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में लेकर उन्हें और उनके परिवार को बर्बाद करने का काम कर रहे हैं। वे जानते हैं कि एक बार किसी को नशे की लत लग गई तो जिंदगी भर के लिए वह उनकी कमाई की मशीन बन जाएगा। इसलिए वे स्कूली स्तर से ही ताक में लग जाते हैं और मौका मिलते ही बच्चे को शिकार बना देते हैं। फिर एक बच्चे से दूसरा, दूसरे से तीसरा करके सिलसिला चल निकलता है। अमरीका में इसके सटीक आंकड़े उपलब्ध हैं और वे सतत रूप से अपडेट भी होते हैं कि बारह साल से सत्रह साल तक और अठारह से पच्चीस साल तक के कितने लोग किस तरह के नशे की लत के शिकार हैं। भारत की मुश्किल यह है कि यहां इस तरह की सतत प्रक्रिया नहीं है। इसलिए सही रूप में किसी के पास यह जानकारी ही नहीं है कि समस्या कितनी गहरी है। कभी कोई संगठन, संस्थान या राज्य अपने स्तर पर सर्वे करवा लेता है। इसमें वस्तुस्थिति का सही अहसास नहीं किया जा सकता। फिर भी समस्या की भयावहता के भान के लिए एम्स की एक रिपोर्ट को आधार माना जा सकता है। नशे के कारण विभिन्न बीमारियों से घिरने पर एम्स में इलाज के लिए आए लोगों की संख्या पर आधारित इस रिपोर्ट के अनुसार देश में 2.26 करोड़ ज्यादा लोग हेरोइन, अफीम जैसे नारकोटिक्स नशे के शिकार हैं। इनमें 60 लाख से ज्यादा लोगों को इलाज की जरूरत है। साढ़े आठ लाख से ज्यादा लोग एम्स में ऐसे आए जिन्हें इंजेक्शन से ड्रग लेने की लत है। सूंघकर लिए जाने वाले थिनर और स्प्रे जैसे नशों में तो बच्चों (1.7 प्रतिशत) ने बड़ों (0.58 फीसदी) को भी पीछे छोड़ दिया है। अकेले एम्स में इतने लोग आ रहे हैं। पूरे देशभर के अस्पतालों में संख्या कितनी होगी और कितने ऐसे होंगे, जो अस्पतालों तक नहीं पहुंच रहे होंगे, अंदाजा ही लगाया जा सकता है। नशे की समस्या नशे तक सीमित नहीं है, हो भी नहीं सकती है। ब्लैकमेलिंग और अपराध इसी समस्या की अगली कडिय़ां हैं जो पूरे समाज के लिए खतरनाक हैं। इस खतरे को दूर करने के लिए जरूरी है कि नशा परोसने के पूरे तंत्र को नेस्तनाबूद किया जाए। दुर्भाग्य यह कि पुलिस और देश की विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों के स्तर पर पैडलर तो छिटपुट स्तर पर पकड़े जाते हैं, पर इस प्रक्रिया के मूल उद्गम तक कभी किसी की पहुंच नहीं रही। नशे पर नियंत्रण के लिए ऐसे मूल उद्गमों पर प्रहार करना होगा। कुछ जागरूकता के प्रयास हो रहे हैं, इन्हें भी व्यापक स्तर पर बढ़ाना होगा और सतत रूप से संचालित करना होगा।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
28 Oct 2025 12:35 pm


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