AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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सिवनी. इस जिले से बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की तरफ गए हैं, उनमें से बहुत से ऐसे लोग हैं, जो हर साल तेंदूपत्ता तुड़ाई के समय वापस गांव लौट आते हैं। इस साल भी ऐसे हजारों लोग हैं जो शहर से गांव आकर तेंदूपत्ता तोडऩे के काम में जुटे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि सिवनी जिले के तेंदूपत्ता की खासी मांग देश भर की बीड़ी उद्योग में हो रही है। यहां के जंगलों में मिलने वाला तेंदूपत्ता अच्छी किस्म का होता है। इसीलिए बीड़ी बनाने वाले उद्योगों में इसकी खासी मांग रहती है। तेंदूपत्ता आदिवासी और मजदूर लोगों के लिए समानांतर आय का बेहतर साधन माना जाता है। वन क्षेत्र के लोगों में इस बात की खुशी है कि कुछ दिनों तक अपने घर-परिवार के बीच रहने और रोजगार का अवसर मिल गया है।

जिले की 44 समितियां तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य कर रही हैं। दक्षिण वनमंडल की 24 समितियों में 74592 संग्राहक तेंदूपत्ता तोडऩे, सुखाने और गड्डी बनाने का काम कर रहे हैं। उत्तर वनमंडल की 20 समितियों के हजारों संग्राहकों की आय तेंदूपत्ता पर निर्भर है, जिससे उनका कई महीनों का खर्चा चलता है। उत्तर वनमंडल में लक्ष्य का 46 प्रतिशत तेंदूपत्ता तुड़ाई कार्य पूरा हो चुका है। वे-मौसम वर्षा के साथ तेज आंधी-तूफान के कारण फड़ में सूख रहा तेंदूपत्ता में खराबी आ रही है। तेंदूपत्ता तुड़ाई और इससे मिलने वाली बोनस राशि से संग्राहक अपना गुजर बसर करते हैं। तेंदुपत्ता संग्राहकों की मजदूरी में इजाफा करते हुए इस साल सरकार ने एक हजार रुपए की बढ़ोत्तरी करते हुए प्रत्येक मानक बोरा पर चार हजार रुपए संग्राहकों को देने का ऐलान किया है। पिछले साल तक संग्राहकों को एक मानक बोरा पर तीन हजार रुपए मिलता था। दक्षिण सामान्य वनमंडल में 401 फड़ पर तेंदूपत्ता संग्रहण हो रहा है। इसके साथ ही वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी परिवार हर्रा, बहेड़ा, आंवला, चारबीजी, बेल सहित दूसरी वन उपज एकत्रित कर रहे हैं। कहीं-कहीं संग्राहकों में इस बात को लेकर भी कुछ नाराजगी है कि पिछले साल तेंदूपत्ता संग्रहण की बोनस राशि अभी तक नहीं मिली है।
देश भर में बढ़ी जिले के तेंदूपत्ता की मांग-

उत्तर वन मंडल अंतर्र्गत जिले के वन परिक्षेत्र शिकारा अंतर्गत तेंदूपत्ता तोडऩे का काम हो रहा है। इस जिले का तेंदूपत्ता बड़े आकार का होने से देशभर में मांग बढ़ी है। इसी कारण वन विभाग ने इसका संग्रहण लक्ष्य बढ़ा दिया है। जिससे शहरों में गए वन ग्राम के रहवासी लौटकर जंगलों से तेंदूपत्ता तोड़ रहे हैं।
वन विकास समितियों को मिली जिम्मेदारी-
एसडीओ गोपाल सिंह ने बताया कि शिकारा समिति में 28 से ज्यादा वन विकास समितियां हैं। यही समितियां मजदूरों के साथ तेंदूपत्ता तोडऩे और संग्रहण का काम कर रही हैं। इस बार 3000 मानक बोरा का लक्ष्य रखा गया है। पत्ता बिकने के बाद इस पर आधा बोनस दिया जाएगा। पोषक अधिकारी कमल सिंह बरकड़े ने बताया कि बैशाख की भीषण गर्मी वन ग्राम के रहवासियों के लिए उत्सव लेकर आती है और आदिवासी समाज के लोग इससे काफी उत्साहित हैं। आदिवासी अंचलों में रोजगार नहीं मिलने के कारण प्रदेशों के अन्य जिलों में रोजगार के लिए जाना पड़ता है। अब क्षेत्र में लोगों को रोजगार मिल रहा है। शिकारा, बिनैकी क्षेत्र के लोगों ने कहा कि तेंदूपत्ता के बाद इसी तरह क्षेत्र में कोई भी रोजगार मिलता रहे, ताकि फिर काम करने घर-परिवार और गांव से दूर न जाना पड़े।
चार जून तक होगी तेंदूपत्ता तुड़ाई-

वन परिक्षेत्र अधिकारी शिकारा रूचि पटेल ने बताया कि क्षेत्र में चार जून तक पत्ता संग्रहण किया जाएगा। अभी तक 33 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हो गया है। 3000 मानक बोरा तेंदूपत्ता का लक्ष्य है। इसमें 2500 ग्रामीण तेंदूपत्ता संग्रहण का काम कर रहे हैं। वन ग्रामों में मुनादी कराई गई है। हजारों आदिवासी मजदूर जंगल में उतरकर तेंदूपत्ता तोड़ रहे हैं। प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समिति के संग्राहकों को शासन स्तर से जूते-चप्पल, पानी की बोतल जैसी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
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Updated on:
19 May 2024 07:02 pm
Published on:
19 May 2024 07:01 pm


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