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राखी बांधनें पहुंची पांच हजार बहनें, खार सर के हाथ परपंद्रह सो राखियां

इस साल भी रक्षाबंधन के मौके पर पटना के एस.के. मेमोरियल हॉल में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की खास बात यह थी कि वहां करीब 5 हजार लड़कियां एक साथ पहुंचीं… और सबका मकसद था खान सर को राखी बांधना।

रक्षाबंधन का त्योहार आते ही हर तरफ भाई-बहन के प्यार की बात होती है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई उन्हें उम्रभर साथ निभाने का वादा करते हैं। लेकिन पटना में हर साल रक्षाबंधन कुछ खास हो जाता है… और वजह हैं – खान सर।

इस साल भी रक्षाबंधन के मौके पर पटना के एस.के. मेमोरियल हॉल में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की खास बात यह थी कि वहां करीब 5 हजार लड़कियां एक साथ पहुंचीं… और सबका मकसद था खान सर को राखी बांधना।

हर साल की तरह इस बार भी हजारों लड़कियों ने खान सर को राखी बांधी। इतनी ज़्यादा संख्या में राखियां बांधी गईं कि उनकी पूरी कलाई भर गई। खुद खान सर ने बताया कि शुरू में कुछ राखियां इतनी कसकर बाँंधी गईं कि हाथ में थोड़ी तकलीफ और ब्लड सर्कुलेशन में परेशानी महसूस हुई।

कार्यक्रम में खाने-पीने का भी खास इंतज़ाम था। लगभग 156 तरह के व्यंजन बनाए गए थे। हर किसी के लिए स्वादिष्ट खाना और अपनापन – दोनों ही इस मौके को यादगार बना रहे थे।

इस कार्यक्रम में देश के हर कोने से लड़कियां पटना पहुंची थीं। कोई दिल्ली से, कोई राजस्थान से, तो कोई साउथ इंडिया से। यह सिर्फ एक शिक्षक और उसकी छात्राओं का रिश्ता नहीं था – यह भाई-बहन के उस रिश्ते की तस्वीर थी, जो खून का नहीं… लेकिन दिल से जुड़ा होता है।

खान सर ने कहा कि रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति का प्रतीक है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि अपनेपन, सुरक्षा और भरोसे से बड़ा कोई रिश्ता नहीं होता। और जब एक शिक्षक अपनी हजारों छात्राओं को बहन मानता है, तो वो सिर्फ शिक्षा नहीं, समाज को भी दिशा दे रहा होता है।

इस आयोजन ने एक गहरा संदेश दिया – कि रिश्ते खून से नहीं, भावना से बनते हैं। और जब ये भावना सच्ची हो, तो उसका असर पूरे समाज पर पड़ता है।

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