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पहाड़ से खांई तक: अखैपुरा – नयागांव की 100 फीट ऊंची पहाड़ी अवैध खनन की चढ़ी भेंट

आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन कहते हैं, लोग लगे रहे तो कभी ना कभी पहाड़ भी खत्म हो जाता है, यही कहावत यहां बस्सी उपखण्ड के समीप ग्राम पंचायत मनोहरपुरा में अखैपुरा - नयागांव की पहाड़ी पर चरितार्थ होती है.....।

– एक किलोमीटर लंबी और सौ फीट ऊंची प्राकृतिक पहाड़ी अवैध खनन में बनी खाई

– यहां अभी भी हो रहा है पहाड़ी की खांई से अवैध खनन

– राजकुमार मीना

बस्सी @ पत्रिका. आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन कहते हैं, लोग लगे रहे तो कभी ना कभी पहाड़ भी खत्म हो जाता है, यही कहावत यहां बस्सी उपखण्ड के समीप ग्राम पंचायत मनोहरपुरा में अखैपुरा – नयागांव की पहाड़ी पर चरितार्थ होती है…..। डेढ़ दशक पहले तक यहां पर एक पहाड़ी जो एक किलोमीटर के दायरे में फैली थी, जिसकी ऊंचाई करीब 100 फीट थी, जो अवैध खनन के कारण अब सौ फीट गहरी खांई के रूप में बदल गई है। यहां पन्द्रह साल में अवैध खनन ने एक किलोमीटर दायरे में फैली और सौ फीट ऊंची पहाड़ी को पूरी तरह मिटा दिया। कभी 10 – 12 किलोमीटर दूर से साफ दिखने वाली यह सौ फीट ऊंचाई वाली यह पहाड़ी अब सौ फीट गहरी खाई में बदल चुकी है और पूरा भू–दृश्य बदल चुका है।

बस्सी उपखण्ड के सांभरिया रोड पर बस्सी से सात किलोमीटर आगे स्थित यह क्षेत्र गैर–मुमकिन भूमि पर स्थित प्राकृतिक पहाड़ी थी, लेकिन आज भी इसमें से खनन माफिया रोजाना दर्जनों ट्रैक्टर–ट्रॉलियों में मोरम और पत्थर निकाल कर बेच रहे हैं। बस्सी इलाके में करीब एक दर्जन स्थानों पर सैंकड़ोंपहाडि़यों में अवैध खनन हो रहा है, लेकिन इस पहाड़ी की कहानी तो अलग ही है। (कास)

पन्द्रह साल की कहानी:पहाड़ी से खाई बनने तक:::::

ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 15 वर्ष पहले यहां की पहाड़ी सौ फीट ऊंची थी और पूरे क्षेत्र की पहचान थी। लगातार खनन ने न सिर्फ पहाड़ी खत्म कर दी बल्कि भूमि सतह को सौ फीट नीचे धकेल दिया। पिछले वर्षों में यहां इतनी मिट्टी, मोरम और पत्थर निकाला गया कि पहाड़ी का नामोनिशान तक मिट गया।

सबसे बड़ी चिंता यह है कि जहां कभी पहाड़ी थी, वहां अब गहरी खाई बन चुकी है। बरसात के दिनों में खाई में पानी भरकर खतरनाक तालाब बन जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि कई हिस्सों में पानी सालभर भरा रहता है और हादसों की आशंका बनी रहती है।

टीले पर खड़ा नीम का पेड़ मांग रहा जिंदगी :::::

अवैध खनन की भयावहता का अंदाजा इस दृश्य से लगाया जा सकता है कि पहाड़ी के अवशेष के रूप में अब केवल एक ऊंचा टीला बचा है, जिसके ऊपर एक नीम का पेड़खड़ा है। उसकी जड़ें बाहर दिखाई देती हैं और ग्रामीणों का कहना है कि यह पेड़ भी कभी भी गिर सकता है। हालांकि इस पहाड़ी पर पहले काफी संख्या में पेड़ – पौधे थे, जो सब नष्ट कर दिए गए। इससे पर्यावरण को भी खतरा हुआ है।

कभी दूर से दिखती थी पहाड़ी, अब पास जाकर भी नहीं दिखती:::::

बस्सी के गुढावास निवासी मदनलाल शर्मा बताते हैं कि पहाड़ी से उनका गांव करीब 10 किलोमीटर दूर है। यह “पहाड़ी पहले उनके गांव से साफ दिखाई देती थी। लेकिन अब पास जाकर भी पहचान नहीं आती कि कभी यहां सौ फीट ऊंची पहाड़ी थी।

फालियावास निवासी जितेन्द्र शर्मा बताते हैं कि “पहाड़ी पहले करीब सौ फीट ऊंची दीवार जैसी दिखाई देती थी। लेकिन अब यह अवैध खनन की भेंट चढ़ गई। नयागांव निवासी राजेश शर्मा कहते हैं कि “पहाड़ी खत्म होकर यह खाई बन गई है। गांव की पहचान ही बदल गई।

प्रशासन बेखबर या माफियाओं का दबदबा::::

ग्रामीणों का कहना है कि रोज दर्जनों ट्रैक्टर–ट्रॉलियों में भर कर पत्थर व मोरम बिकने के लिए जाता है। लेकिन कार्रवाई का नाम नहीं है। कई लोगों का आरोप है कि माफियाओं का दबदबा इतना अधिक है कि शिकायतें करने वाले भी पीछे हट जाते हैं।

बॉक्स –

पहले:::::

– पहले एक किलोमीटर में फैली प्राकृतिक पहाड़ी

– करीब 100 फीट ऊंचाई

अब:

– सौ फीट गहरी खाई

– बारिश में खतरनाक जलभराव

– केवल एक नीम का पेड़ अवशेष

बॉक्स :::::

– अवैध खनन का असर

– पत्थर और मोरम का तेजी से दोहन

– बारिश में डूबने का खतरा

– मिट्टी कटाव से चरागाह भूमि प्रभावित

– पन्द्रह साल में भू–स्वरूप पूरी तरह बदला

वर्जन

“पहाड़ी की ऊंचाई पहले सौ फीट थी। लगातार अवैध खनन से यह पूरी तरह नीचे चली गई। यहां पत्थर और मोरम के अलावा चरागाह भूमि से मिट्टी का खनन भी होता है। कई बार रोकने की कोशिश की, लेकिन माफियाओं के कारण कार्रवाई मुश्किल हो जाती है।

– लल्लूलाल शर्मा, प्रशासक ग्राम पंचायत मनोहरपुरा बस्सी।