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मत्स्य विश्वविद्यालय: तीन साल से बिना जांच किए निजी कॉलेजों को दे रहा संबद्धता

राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित 67 बीएड़ कॉलेजों को बीते तीन वर्ष से केवल प्रमाण-पत्र के जरिए संबद्धता दी जा रही है।

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अब तक नहीं पहुंचा जांच दल कॉलेज में, आयुक्तालय भी लगाता है नोडल

- विश्वविद्यालय और निजी कॉलेजों की सांठगांठ, इन कॉलेजों पर कैसे सके शिकंजा

- इन कॉलेजों में संसाधनों का अभाव, 22 कॉलेजों ने प्राचार्य अप्रूव्ड नहीं करवाए

राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित 67 बीएड़ कॉलेजों को बीते तीन वर्ष से केवल प्रमाण-पत्र के जरिए संबद्धता दी जा रही है। इन कॉलेजों का विश्वविद्यालय ने भौतिक निरीक्षण नहीं किया है। ये बीएड कॉलेज राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद(एनसीटीई )के मापदड़ों को पूरा नहीं कर रहे हैं। इन कॉलेजों की जांच के लिए आयुक्तालय ने नोडल भी बना रखे हैं, लेकिन उनका अतापता नहीं है। पहले विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से संचालित सभी कॉलेजों के ऑरिजनल दस्तावेजों की जांच होती थी, लेकिन अब तक प्रतिलिपि जमा करके भी विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से संबद्धता दी जा रही है। हालांकि बताया जा रहा है कि बिना स्टाफ विश्वविद्यालय के अप्रूव्ड करे ये सरेआम चल रहे हैं। ये एनसीटीई के नियमों को दरकिनार कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में बैठे अधिकारियों की सांठगांठ के चलते ये सब खेल चल रहा है। 22 कॉलेज ऐसे संचालित हो रहे है, जिनके पास अब तक विश्वविद्यालय से प्राचार्य को अप्रूव्ड नहीं करवा रहे हैं। इन कॉलेजों को रोकने-टोकने वाला कोई नहीं हैं। अलवर में संचालित किसी भी बीएड़ कॉलेजों के शिक्षकों काे विश्वविद्यालय ने अप्रूवल नहीं करा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 20 दिन पहले भी इन कॉलेजों को आदेश जारी किया।

कॉलेजों ने नहीं की वेबसाइट अपडे़ट, प्राचार्य भी दूसरे राज्य के

अलवर में संचालित कॉलेजों को भी दूसरे राज्यों के प्राचार्य संभाल रहे हैं, जो भौतिक तौर पर यहां कॉलेजों में काम नहीं कर रहे हैं, ऐसे कॉलेजो की विश्वविद्यालय ने अब तक जांच नहीं की है। वहीं, आने वाले दिनों में विद्यार्थियों की ओर इन कॉलेजों में दाखिला लिया जाएगा, लेकिन कई साल बीत गए हैं पर अब तक वेबसाइट को अपडेट नहीं किया गया है। वहीं, विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी स्टाफ क्वालिफाइड नहीं होने पर दिखाया गया है। फर्जी तरीके से स्टाफ का नाम दिखाया हुआ है। बताया जाता है कि अगर वेबसाइट अपडेट रहे तो विद्यार्थियों को राहत मिल सके।

8 से 10 कॉलेज चल रहे तीन कमरों में, संसाधनों का अभाव

अलवर के 16 ब्लाॅकों में चलने वाली कॉलेजों में 8 से 10 बीएड़ कॉलेज ऐसी हैं, जिनके पास केवल 3-4 कमरे हैं। न इनके पास भवन, लैब, फायर एनओसी, विद्यार्थियों की सुरक्षा के इंतजाम, कॉलेजों के पास शैक्षणिक और अशैक्षणिक स्टाफ का अभाव, लाईब्रेरी नहीं, हाजिरी भी बायोमेटि्रक मशीन के माध्यम से नहीं हो रही हैं।

विश्वविद्यालय के अंतर्गत ये कॉलेज संचालित

मत्स्य विश्वविद्यालय के अंतर्गत सरकारी और निजी कॉलेजों की संख्या 193 हैं। इन कॉलेजों को हर साल विश्वविद्यालय संबद्धता देता है। इसमें कॉलेजों की संख्या 87, टीटी कॉलेज 67, इंटीग्रेटेड की संख्या 19, विधि 3, सरकारी कॉलेजों की संख्या 10 और नई कॉलेज 3 शामिल है।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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