Bhind. जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह भदौरिया पिंकी के नेतृत्व में हुए आंदोलन में भदौरिया ने कहा कि योजना का नाम बदलने से महात्मा गांधी लोगों के दिलों से नहीं निकलेंगे, वे लोगों के दिलों में बसे हैं। नाम बदलने के के साथ ही भाजपा सरकार मनरेगा को विफल करने की साजिश रच रही है। कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने मनरेगा की योजना में 15 दिन में किसान मजदूर का भुगतान करने का अधिनियम बनाया गया था। लेकिन भाजपा ने पिछले 3 साल से कोई भी भुगतान नहीं किया। अब इस योजना का नाम बदलकर किसान मजदूर को गुमराह करना चाहती है। पहले मनरेगा के लिए केंद्र सरकार 100 प्रतिशत फंड उपलब्ध कराती थी, नई योजना में केंद्र और राज्य का अनुपात 60 एवं 40 का होगा। राज्य सरकर 40 प्रतिशत का खर्च वहन नही और योजना बंद हो जाएगी। कोरोना काल में मनरेगा ने मजदूरों का पलायन रोकने में बड़ी मदद की थी।
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कांग्रेस नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार को पूर्व की तरह बजट की व्यवस्था करनी चाहिए, जिसमें 10 प्रतिशत ही राज्य का हिस्सा रहता था। मप्र सरकार पहले से कर्ज में डूबी है, कई बाद कर्मचारियों के वेतन का टोटा पड़ जाता है। यदि 40 प्रतिशत भार राज्य सरकार पर रहेगा तो योजना बंद हो जाएगी और मजदूरों का पलायन बढ़ जाएगा। इसलिए केंद्र सरकार को चाहिए कि पूरा बजट उपलब्ध करवाए।
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कांग्रेस का आंदोलन कहीं उग्र न हो जाए, इसलिए सीआईडी दो तीन से आंदोलन की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी। कांग्रेस ने कहीं जाकर ज्ञापन देने का कार्यक्रम नहीं बनाया था। बल्कि अवकाश के बावजूद ग्रामीण तहसीलदार मोहनलाल शर्मा को स्वयं ज्ञापन लेने के लिए धरना स्थल पर भेजा। मोहनलाल शर्मा ने ज्ञापन लिया और उचित माध्यम से राष्ट्रपति तक पहुंंचाने का आश्वासन दिया। कांग्रेस का धरना प्रदर्शन आंदोलन दो घंटे से अधिक समय तक चला।
ज्ञापन देने वालों में
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव मनोज दैपुरिया, रामहर्ष सिंह कुशवाह, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रेखा भदोरिया, कांग्रेस सेवा दल के जिला अध्यक्ष संदीप मिश्रा, शहर ब्लॉक अध्यक्ष हलीम पठान, संतोष त्रिपाठी, मनीष शर्मा, राहुल कुशवाह, शिव शंकर भदोरिया आदि मौजूद रहे।
यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
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