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मंडी में बोली और तौल में बीत जाता पूरा दिन

सरसों की कटाई और गहाई का काम तेज होते ही कृषि उपज मंडी में किसानों की आवक बढ़ गई है। उपज की बोली और तौल करवाने में किसानों का पूरा दिन बीत जाता है।

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कृषि उपज मंडी-भिण्ड
मंडी में सरसों तुलवाते किसान।

भिण्ड. किसान उम्मीद करते हैं कि मंडी परिसर में उन्हें भोजन मिल जाए, विश्राम के लिए जगह मिल पाए, शुद्ध पीने का पानी मिल जाए, लेकिन तीनों ही सुविधाएं नहीं हैं। ऐसे में किसानों को पूरी तरह बाजार पर निर्भर रहना पड़ता है।
रबी फसलों की आवक शुरू होने के साथ ही मंडी में मार्च से लेकर जून तक गेहंू, चना, सरसों एवं अन्य उपज की बंपर आवक होती है। लेकिन किसानों को सुविधाएं नहीं मिल पातीं, जिससे परेशान होते हैं। किसानों को शौचालय तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है, पीने का पानी एक टंकी से आता है, लेकिन वहां सफाई नहीं है। कृषक विश्रामगृह एवं कृषक भोजनालय पर स्थाई ताला पड़ा है। मंडी प्रबंधन ने पिछले साल भी कहा था कि जल्द ही याायावर परिवारों को हटाकर शुरू पेयजल के साथ भोजनालय व विश्रामगृह की व्यवस्था कर देेंगे, लेकिन अमल नहीं हुआ।
घुमंतू परिवार बिगाड़ रहे व्यवस्था
मंडी परिसर में तत्कालीन कलेक्टर इलैयाराजा टी ने घुमंतू परिवारों को अस्थाई रूप से बसा दिया था। अब वे परिसर खाली नहीं करना चाहते। पानी की प्याऊ की टोंटियां तोड़ देते हैं और गंदगी फैलाकर रखते हैं, जिससे किसान वहां नहीं जा पाते।
भाव 4800 से 5100 तक
सरसों की नई उपज का भाव इस बार ठीक मिल रहा है। व्यापारी ऋषि कुमार जैन कहते हैं कि प्रति बीघा उपज कम या ज्यादा का पता नहीं, लेकिेन नई सरसों में तेल की मात्रा अधिक है। इसलिए नई 5100 रुपए तक और पुरानी 4800 से 4900 रुपए क्विंटल तक बिक रही है। सोमवार को करीब 50 ट्रॉली सरसों की आवक हुई।

कथन-
हम सुबह छह सात बजे से गांव से चलकर 10-11 बजे तक मंडी आ जाते हैं, बोली दो बजे तक लगती है। बोली और तौल के बाद भुगतान में पूरा दिन बीत जाता है। इस दौरान मंडी में भोजन, पीने का पानी, विश्राम आदि की कोई व्यवस्था नहीं है।
जाहर सिंह भदौरिया, किसान, रूपसहायकापुरा
-किसानों को मंडी में कोई सुविधा नहीं है, कैंटीन, शौचालय और पीने के पानी तक की सुविधा नहीं है। भाव भी अच्छा नहीं मिल रहा है, किसान ट्रैक्टर लेकर आता है तो भाड़ा व अन्य व्यवस्थाओं में भी खर्च हो जाता है।
जंगबहादुर सिंह, किसान
- मंडी में मनमानी हो रही है, बोली लगाने बाद पक्की पर्ची तक नहीं देते। टैक्स की चोरी करते हैं। बोली भी समय पर नहीं लगाते। लेबर भी किसान दे रहा है और बोरी भी 500 ग्राम की जगह 700 ग्राम काट रहे हैं। कैंटीन, पेयजल, विश्राम आदि कुछ नहीं है।
जंगबहादुर सिंह, किसान
-मंडी में किसानों की कोई सुनवाई नहीं है। न तो अच्छा भाव मिल रहा है और न ही कोई अन्य सुविधा है। पीने का पानी, भोजन की व्यवस्था तक नहीं है। मंडी प्रशासन बोली थी देर से लगाता है। किसान एक ट्रॉली तुलवाने के लिए दिन भर पड़ा रहता है।
अरुण कुमार, किसान जौरीकापुरा
कथन-
घुमंतू परिवार व्यवस्थाएं बिगाड़ रहे हैं, हमने पत्र कलेक्टर को लिखा था, लेकिन पहले विधानसभा चुनाव आ गए और बाद में एसडीएम से पहल की तो उनका तबादल हो गया। अब तो लोकसभा चुनाव के बाद ही कुछ हो पाएगा, समस्या तो है।
राकेश यादव, सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, भिण्ड।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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