AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

गाडरवारा। शनिवार 19 जनवरी को स्थानीय ओशो लीला आश्रम में विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक एवं आध्यात्मिक गुरु ओशो रजनीश के मृत्यु उत्सव पर एक दिवसीय ध्यान शिविर स्वामी ध्यान पुलक के संचालन में आयोजित किया गया। जिसमें ओशो की अनेक ध्यान विधियों के साथ ओशो सन्यासियों द्वारा ध्यान और नृत्यानंद का रसपान किया गया। साथ ही उक्त अवसर पर ओशो के विशेष संदेश प्रवचन माला का श्रवण किया गया। जिसका सार जीवन बोध पर दर्शाया कि आज के भागमभाग आधुनिक व भौतिकवादी युग में लोग गुणा भाग में लगे रुपयों के पीछे भाग रहे हैं। पर्याप्त के बाद भी अधिक की लालसा अभीप्सा की प्यास लोगों में बनी रहती है। इससे शेष जीवन के अन्य पहलुओं से वंचित रह जाता है। जीवन को जीना ही है तो पर्याप्त प्रेम हो, जिससे सम्मान मिलता है, पर्याप्त धन, जिससे जरूरत व सुख सुविधा मिल सके। पर्याप्त ध्यान जो शरीर को स्वस्थ व शांतिपूर्ण बना सके। लोगों के पास प्रेम धन और ध्यान की बराबर की पर्याप्तता हो, सहज सरल और निरअहंकारी होना ओशो सन्यासियों का श्रंगार है। तभी तो मौज आनंद घटित हो सकता है। जीवन और अस्तित्व जन्म और मृत्यु के बीच जीवन है, और जीवन भी तब तक है जब तक सांसे हैं। सांस खत्म होते ही व्यक्ति अस्तित्व से समाप्त हो जाता है। इसलिए जीवन को रोजाना महोत्सव पूर्ण तरीके से जिएं। इसके अलावा शिविर में बताया गया कि ओशो रजनीश का जन्म 11 दिसंबर 1931 में रायसेन जिले के ग्राम कुचवाड़ा में ननिहाल में हुआ था। वही उनका निर्वाण 19 जनवरी 1990 में अंतर्राष्ट्रीय ओशो कम्यून पुणे में हुआ पुणे में ही महोत्सव में उनकी अंतिम विदाई उपरांत कम्यून में समाधि बनाई गई। जो भारतीय व विदेशी सन्यासियों के लिए दर्शनीय स्थल है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?
संबंधित विषय:
Published on:
20 Jan 2019 01:45 pm


यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है
दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।