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सड़क से डिजिटल प्लेटफॉर्म तक गूंज रहा ‘अरावली सेव’, आंदोलन

युवा से लेकर महिलाएं, हर किसी में रोष, सरकारों से एक ही सवाल-अरावली नहीं रही तो, हम कैसे रहेंगे

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जयपुर. अरावली पर्वतमाला को बचाने की मांग अब बड़े जन-आंदोलन का रूप लेती नजर आ रही है। अरावली को लेकर सरकार की नीतियों, खनन, अतिक्रमण और तेजी से हो रहे निर्माण कार्यों के खिलाफ उठी यह आवाज अब केवल सड़कों तक सीमित नहीं रही, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी जोरदार ढंग से गूंज रही है। हालात यह हैं कि लोग खुलकर विरोध में उतर आए हैं और सरकारों से जवाब मांग रहे हैं।

उनका कहना है कि अरावली केवल पहाड़ नहीं, बल्कि हमारी सांस, पानी और भविष्य की सुरक्षा है। दरअसल,अरावली पर उठ रहे संकट को देखते हुए लोग सड़कों पर उतर आए हैं। अलग-अलग तरीकों से विरोध जता रहे हैं। दूसरी ओर, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी आंदोलन उग्र हो रहा है।

नतीजतन व्हाट्सऐप, एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर लोग खुलकर अपने विचार रख रहे हैं। 'अरावली सेव', 'अरावली बचाओ', 'अरावली बचाओ-जीवन बचाओ' जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। पोस्ट, रील और वीडियो के जरिए लोग अरावली के महत्व को सामने रख रहे हैं। ज़्यादातर यूजर्स सूखते जलस्रोतों, बढ़ते तापमान और प्रदूषण को अरावली से जोड़ते हुए सरकारों से जवाब भी मांग रहे हैं। ऐसे में साफ है कि सोशल मीडिया पर उठ रहा शोर यह संकेत दे रहा है कि यह मुद्दा अब आमजन की प्राथमिक चिंता बन चुका है।

युवाओं में ज्यादा आक्रोश, महिलाओं में भी गुस्सा

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चल रहे इस आंदोलन में युवाओं की भागीदारी सबसे अधिक दिखाई दे रही है। कॉलेज छात्र, नौकरीपेशा युवा और डिजिटल क्रिएटर्स पर्यावरणीय तथ्यों के साथ अपनी बात रख रहे हैं। ड्रोन वीडियो, पुराने-नए फोटो और रिपोर्ट्स शेयर कर रहे हैं और बता रहे हैं कि किस तरह अरावली क्षेत्र लगातार सिमटता जा रहा है। विरोध कर रहे युवाओं का कहना है कि अरावली का संरक्षण सिर्फ पर्यावरण नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और रोजगार से भी जुड़ा मुद्दा है। इतना ही नहीं,महिलाएं भी खुलकर विरोध जता रही हैं। सोशल साइट्स पर कई महिला समूहों ने इस आंदोलन को आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जोड़ते हुए संरक्षण की मांग कर रही हैं।

…तो उठाना पड़ सकता भारी नुकसान

-पड़ताल में सामने आया कि एक्टिविस्ट और ट्रैवल ब्लॉगर भी इस मुहिम में सक्रिय हैं। एक्टिविस्ट प्रशासनिक ढिलाई और नियमों के उल्लंघन की बात सामने रख रहे हैं, जबकि ट्रैवल ब्लॉगर अरावली की जैव विविधता और प्राकृतिक विरासत को दिखाकर लोगों को जोड़ रहे हैं।
उनका कहना है कि, यदि अभी कदम नहीं उठाए गए, तो भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लोग सरकारों को भी घेर रहे हैं। उनका कहना है कि जब प्रदेश भर से आवाज उठ रही है, तो सरकाराें की ओर से स्पष्ट जवाब और ठोस कार्ययोजना क्यों नहीं आ रही।

इधर,साइक्लिस्टों ने जयगढ़ पर विशेष साइकिल राइडकर जताया विरोध

अरावली पर्वत श्रृंखला और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से 25 से अधिक साइक्लिस्टों ने रविवार को जयगढ़ पर एक विशेष साइकिल राइड का आयोजन किया। जिसमें उन्होंने अरावली को बचाने की मांग की। संयोजक इंदु गुर्जर ने बताया कि अरावली केवल ऊँचाई का नाम नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की जीवनरेखा है। विरोध में एमटीबी जयपुर राइड क्लब के सदस्यों ने विशेष राइड का आयोजन किया और आमजन से एकजुटता के साथ इस आंदोलन को मजबूती देने की अपील की। इसमें त्रिलोक कुमार, चक्रवर्ती सिंह, रेणु सिंघी, विकास गुप्ता, अक्षित भारद्वाज, कुणाल शाह सहित लगभग 25 से अधिक साइक्लिस्टों ने हिस्सा लिया।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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